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रैगिंग से बर्बाद हो जाता है करियर, ये हैं कानून व सजा के तौर तरीके - रैगिंग के खिलाफ अधिनियम और कानून

रैगिंग को एक अक्षम्य कृत्य व अपराध की श्रेणी में गिना जाता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ साथ कई राज्यों ने अपने स्तर से कानून बनाए हैं. जानिए कैसे बरबाद हो सकता है इसमें छात्र छात्राओं का करियर

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग (कांसेप्ट फोटो)
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Published : Sep 15, 2022, 10:35 AM IST

Updated : Sep 15, 2022, 11:21 AM IST

नई दिल्ली : रैगिंग एक ऐसा अपराध जिससे एक ओर जहां पीड़ित छात्र-छात्राओं ने कई बार घातक कदम उठाएं हैं तो वहीं आरोपी व दोषी छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब हो जाता है. सरकार ने इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए कई नियम कानून बनाएं है. इसके बाद भी कई बड़े और नामी गिरामी शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की शिकायतें अक्सर मिल जाती हैं. ताजा मामला पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में मेडिकल की प्रथम वर्ष की छात्रा के आरोपों के बाद चर्चा में आया है, जिसमें परिसर के अंदर लगातार रैगिंग की घटनाओं का जिक्र किया गया है. इस पीड़ित छात्रा ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से भी पूरे मामले की शिकायत की है. इसी साल इंदौर मेडिकल कॉलेज, रतलाम स्थित शासकीय मेडिकल कॉलेज, हल्दवानी मेडिकल कॉलेज के साथ साथ झारखंड के संथाल परगना कॉलेज के आदिवासी कल्याण छात्रावास में रैंगिग का मामला के बाद पटना का यह नया मामला सामने आया है, जिसको देखकर ऐसा लग रहा है कि तमाम तरह के कानूनों व नियमों के बाद भी इस तरह की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. ऐसे में बड़े कॉलेजों में पढ़ने के लिए जाने वाले बच्चों के माता पिता को भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए और बच्चों से ऐसी हरकत न करने को समझाना चाहिए. जिससे उनके करियर पर किसी तरह की आंच न आए.

रैगिंग को एक अक्षम्य कृत्य व अपराध की श्रेणी में गिना जाता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ साथ कई राज्यों ने अपने स्तर से कानून बनाए हैं. आज आपको बताने की कोशिश करते हैं कि आखिर रैगिंग क्या है और कितना खतरनाक है और कैसे इसका असर बच्चों के भविष्य पर पड़ सकता है. इससे छात्र छात्राओं का करियर खराब हो सकता है. इसके बाद भी हर साल कई मामले संज्ञान में आते हैं. 2018 से 2021 तक के इन आंकड़ों को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है...

Ragging Related Data Actions Laws and Acts Supreme Court on Ragging
देशभर में रैगिंग के आंकड़े

रैगिंग का अर्थ और परिभाषा (Meaning of Ragging)

सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के विश्व जागृति मामले में रैगिंग को परिभाषित करते हुए कहा है कि छात्र अथवा छात्राओं द्वारा मौखिक रुप से शब्दों के द्वारा अथवा लिखित रुप से नये अथवा अन्य छात्र छात्राओं के साथ उत्पीड़न, दुर्व्यवहार अथवा अनुशासनहीनता जैसी ऐसी गतिविधियों में संलिप्त होना है, जिससे नये अथवा किसी अन्य छात्र को किसी तरह कष्ट, परेशानी या कठिनाई होती हो अथवा मनोवैज्ञानिक हानि होने अथवा उसमें भय की भावना उत्पन्न होने की संभावना होती हो. इसके साथ ही किसी नये या अन्य किसी छात्र से ऐसे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करना या डरा धमकाकर दबाब बनाना, जिससे उसमें लज्जा की भावना या घबराहट उत्पन्न हो और उस पर किसी भी तरह का मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़े या उसे अनावश्यक रूप से शर्मिंदगी उठानी पड़े.

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग का विरोध

देश के उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के खतरे को देखकर उसे रोकने के लिए नियम बनाए हैं और ऐसे कृत्यों को रैगिंग माना गया है...

  1. किसी भी छात्र या छात्रा द्वारा कोई भी आचरण, चाहे वह बोलकर या लिखित तौर पर किसी कार्य द्वारा हो, जिससे किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र को चिढ़ाने, दुर्व्यवहार करने या अशिष्टता से पेश आने की कोशिश जैसा हो.
  2. किसी भी छात्र या छात्रा द्वारा नए या अन्य छात्र-छात्राओं से उदंडतापूर्वक या अनुशासनहीन तरीके से पेश आना, जिसके कारण किसी फ्रेशर या अन्य छात्र के मन में झुंझलाहट, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक क्षति या भय पैदा होने की संभावना हो.
  3. किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र को ऐसा कोई कार्य करने के लिए कहना, जो सामान्य पाठ्यक्रम का हिस्सा न हो और उसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी की भावना सहन करनी पड़ती हो.
  4. किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र से ऐसा कोई कार्य करवाना जिससे उसकी शरीर या मनोभाव पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो और नियमित शैक्षणिक कार्य में बाधा पड़ती हो.
  5. किसी फ्रेशर के साथ ऐसी गतिविधि करवाना, जिससे छात्र या छात्रा का शोषण होता हो.
  6. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से किसी अन्य तरीके जबरन धन की वसूली करना या जबरदस्ती खर्चे के लिए बाध्य करना.
  7. किसी छात्र या छात्रा के साथ शारीरिक शोषण या अन्य कोई भी कार्य करना या कराना, जिससे उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो. जैसे- यौन शोषण, समलैंगिक हमले, कपड़े उतारना या उतरवाना, जबरदस्ती अश्लील और भद्दे काम कराने को बाध्य करना..इत्यादि.
  8. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से बात के दौरान, ईमेल करके या सार्वजनिक रुप से संबोधित करके कोई अपमानजनक कार्य करना.
  9. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से आनंद प्राप्त करने की मंशा से प्रताड़ित करने वाला कार्य करना या कराना.
  10. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं को शारीरिक या मानसिक रुप से परेशान करने के लिए रंग, जाति, धर्म, जाति, लिंग (ट्रांसजेंडर सहित), भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर टीका टिप्पणी करना.

इसे भी देखें व जानें : एक बार फिर बाहर निकला रैगिंग का जिन्न, रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं पिछली घटनाएं

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग के खिलाफ कानून (कांसेप्ट फोटो)

रैगिंग के खिलाफ अधिनियम और कानून (Laws and Acts against Ragging)
70 के दशक से एक क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज में दो फ्रेशर्स की मौत के बाद पहली बार भारत सरकार देश में रैगिंग पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की. रैगिंग विरोधी अभियान को 1999 में तब गति मिली जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विश्व जागृति मिशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा. फिर यूजीसी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. के.पी.एस. उन्नी के नेतृत्व में 4 सदस्यीय का समिति का गठन किया.

इसके बाद उन्नी समिति ने एक निषेधात्मक और दंड के प्राविधानों वाला एक प्रस्ताव पेश किया, जिससे रैगिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. साथ ही इस बात की सिफारिश की कि केंद्र और राज्य सरकारों को एक ऐसा अधिनियम बनाना चाहिए, जिससे ऐसा कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. इसमें रैगिंग करने वाले का प्रवेश रद्द करने से लेकर 25 हजार के अर्थदंड व तीन साल तकी सजा का प्राविधान हो.

इसके बाद 2006 में एक बार फिर रैगिंग का मुद्दा तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले दिशानिर्देशों को लागू करने में असफल रहने के बाद मामले में घोर निराशा व्यक्त की और सीबीआई के तत्कालीन निदेशक डॉ. आरके राघवन के नेतृत्व में एक और समिति का गठन किया. साथ ही रैगिंग को रोकने के तरीके, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और रैगिंग को रोकने में विफल संस्थानों के खिलाफ संभावित कार्रवाई के लिए सुझाव देने की बात कही.

उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को बढ़ता देख इसे रोकने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2009 में कुछ रेगूलेशन्स तैयार किए, जिससे रैगिंग रोकी जा सके. 2009 में जारी किए गए इन निर्देशों का सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) द्वारा अनिवार्य रूप से पालन किया जाना था. इसके साथ ही संबंधित संस्थाओं के द्वारा भी दिशा निर्देश तैयार किए गए हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के निर्देश
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध किसी स्कूल में रैगिंग की कोई शिकायत मिलने पर उसके अनुसार कार्रवाई की जाती है. इसके संदर्भ में संबद्धता उपनियम और मौजूदा दिशानिर्देशों को ऑनलाइन जारी करके रखा गया है, जिसे https://saras.cbse.gov.in/ और www.cbse.gov.in/ पर जाकर देखा जा सकता है.

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के निर्देश
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने (विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित तकनीकी संस्थानों में रैगिंग की रोकथाम और निषेध रेगूलेशन्स 2009) का पालन अनिवार्य किया है और इसके लिए एआईसीटीई अधिनियम 1987 की धारा 23 और धारा 10 में सारे प्राविधान किए गए हैं.

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) के निर्देश
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सकीय संस्थानों में रैगिंग की रोकथाम के लिए रेगूलेशन्स बनाए हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिनियम 1956 की धारा 33 के तहत कई प्राविधान हैं.

इसे भी देखें व जानें : Indore Ragging : छात्रों ने पुलिस से की शिकायत, सीनियर्स बनाते हैं लड़कियों पर अश्लील कमेंट करने का दबाव, मना करने पर होती है पिटाई

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग (कांसेप्ट फोटो)

रैगिंग के लिए दंड के प्राविधान (Punishment For Ragging)
उच्च स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने पर यूजीसी के रेगूलेशन्स 2009 के अनुसार सभी संस्थानों में रैगिंग रोधी दस्ते बनाए जाएंगे और इस संदर्भ में किए गए अपराध की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर दोषियों के खिलाफ निम्नलिखित तरह की सजा के प्राविधान तय किए गए...

  • दोषी छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक संस्थान व कक्षा से निलंबन.
  • दोषी छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति, फेलोशिप और अन्य लाभकारी सुविधाओं को रोकना या वापस लेना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं को संस्थान की किसी भी परीक्षा या किसी अन्य मूल्यांकन प्रक्रिया में बैठने से रोकना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं के परीक्षाफल घोषित न करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं को किसी अन्य क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों प्रवेश या इन स्तरों पर होने वाले अन्य आयोजनों, टूर्नामेंट्स, युवा महोत्सव आदि पर रोक लगाना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का छात्रावास से निलंबन और निष्कासन करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का प्रवेश रद्द करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का एक से लेकर चार सेमेस्टर तक की अवधि के लिए संस्था से रस्टिकेशन करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का संस्थान से निष्कासन के साथ साथ किसी अन्य संस्थान में एक निश्चित समयावधि तक एडमिशन पर रोक लगाना.
Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग के खिलाफ जंग

रैगिंग के खिलाफ राज्यों के कानून (State Laws against Ragging)
देश के कई राज्यों ने अपने अपने राज्य में रैगिंग रोकने के लिए कानून बनाए हैं, जिसके जरिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के खतरे को कम किया जा सके. इन राज्यों में निम्नांकित तरह के कानून बने हैं....

  • त्रिपुरा शैक्षणिक संस्थान (रैगिंग की रोकथाम) अधिनियम 1990
  • आंध्र प्रदेश रैगिंग निषेध अधिनियम 1997
  • तमिलनाडु रैगिंग निषेध अधिनियम 1997
  • केरल रैगिंग निषेध अधिनियम 1998
  • असम रैगिंग निषेध अधिनियम 1998
  • महाराष्ट्र रैगिंग निषेध अधिनियम 1999
  • पश्चिम बंगाल शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग निषेध अधिनियम 2000
  • हिमाचल प्रदेश शैक्षणिक संस्थान (रैगिंग निषेध) अधिनियम 2009
  • यूपी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग निषेध विधेयक 2010
  • गोवा रैगिंग निषेध (संशोधन) विधेयक 2010
  • जम्मू और कश्मीर रैगिंग निषेध अधिनियम 2011

इसे भी देखें व जानें : Ragging In Ratlam: शासकीय मेडिकल कॉलेज में फिर हुई रैगिंग, सीनियर छात्रों ने जूनियर्स पर बरसाए थप्पड़, Video वायरल

अलग से नहीं बनी है कोई धारा
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रैगिंग को अलग से आईपीसी के तहत दंडनीय नहीं बनाया गया है. भारत के कुछ राज्यों में रैगिंग पर अपने स्वयं के कानून जबकि भारत में रैगिंग से निपटने वाले केंद्रीय कानून हैं. इसमें भारतीय दंड संहिता के माध्यम से धारा 294, 323, 324, 325, 326, 339, 340, 341, 342, 506 के तहत मामले दर्ज किए जा सकते हैं और उसी के हिसाब से जांच पड़ताल व दंड का प्राविधान बनाया गया है.

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नई दिल्ली : रैगिंग एक ऐसा अपराध जिससे एक ओर जहां पीड़ित छात्र-छात्राओं ने कई बार घातक कदम उठाएं हैं तो वहीं आरोपी व दोषी छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब हो जाता है. सरकार ने इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए कई नियम कानून बनाएं है. इसके बाद भी कई बड़े और नामी गिरामी शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की शिकायतें अक्सर मिल जाती हैं. ताजा मामला पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में मेडिकल की प्रथम वर्ष की छात्रा के आरोपों के बाद चर्चा में आया है, जिसमें परिसर के अंदर लगातार रैगिंग की घटनाओं का जिक्र किया गया है. इस पीड़ित छात्रा ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से भी पूरे मामले की शिकायत की है. इसी साल इंदौर मेडिकल कॉलेज, रतलाम स्थित शासकीय मेडिकल कॉलेज, हल्दवानी मेडिकल कॉलेज के साथ साथ झारखंड के संथाल परगना कॉलेज के आदिवासी कल्याण छात्रावास में रैंगिग का मामला के बाद पटना का यह नया मामला सामने आया है, जिसको देखकर ऐसा लग रहा है कि तमाम तरह के कानूनों व नियमों के बाद भी इस तरह की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं. ऐसे में बड़े कॉलेजों में पढ़ने के लिए जाने वाले बच्चों के माता पिता को भी इस बात पर ध्यान देना चाहिए और बच्चों से ऐसी हरकत न करने को समझाना चाहिए. जिससे उनके करियर पर किसी तरह की आंच न आए.

रैगिंग को एक अक्षम्य कृत्य व अपराध की श्रेणी में गिना जाता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ साथ कई राज्यों ने अपने स्तर से कानून बनाए हैं. आज आपको बताने की कोशिश करते हैं कि आखिर रैगिंग क्या है और कितना खतरनाक है और कैसे इसका असर बच्चों के भविष्य पर पड़ सकता है. इससे छात्र छात्राओं का करियर खराब हो सकता है. इसके बाद भी हर साल कई मामले संज्ञान में आते हैं. 2018 से 2021 तक के इन आंकड़ों को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है...

Ragging Related Data Actions Laws and Acts Supreme Court on Ragging
देशभर में रैगिंग के आंकड़े

रैगिंग का अर्थ और परिभाषा (Meaning of Ragging)

सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के विश्व जागृति मामले में रैगिंग को परिभाषित करते हुए कहा है कि छात्र अथवा छात्राओं द्वारा मौखिक रुप से शब्दों के द्वारा अथवा लिखित रुप से नये अथवा अन्य छात्र छात्राओं के साथ उत्पीड़न, दुर्व्यवहार अथवा अनुशासनहीनता जैसी ऐसी गतिविधियों में संलिप्त होना है, जिससे नये अथवा किसी अन्य छात्र को किसी तरह कष्ट, परेशानी या कठिनाई होती हो अथवा मनोवैज्ञानिक हानि होने अथवा उसमें भय की भावना उत्पन्न होने की संभावना होती हो. इसके साथ ही किसी नये या अन्य किसी छात्र से ऐसे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करना या डरा धमकाकर दबाब बनाना, जिससे उसमें लज्जा की भावना या घबराहट उत्पन्न हो और उस पर किसी भी तरह का मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव पड़े या उसे अनावश्यक रूप से शर्मिंदगी उठानी पड़े.

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग का विरोध

देश के उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के खतरे को देखकर उसे रोकने के लिए नियम बनाए हैं और ऐसे कृत्यों को रैगिंग माना गया है...

  1. किसी भी छात्र या छात्रा द्वारा कोई भी आचरण, चाहे वह बोलकर या लिखित तौर पर किसी कार्य द्वारा हो, जिससे किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र को चिढ़ाने, दुर्व्यवहार करने या अशिष्टता से पेश आने की कोशिश जैसा हो.
  2. किसी भी छात्र या छात्रा द्वारा नए या अन्य छात्र-छात्राओं से उदंडतापूर्वक या अनुशासनहीन तरीके से पेश आना, जिसके कारण किसी फ्रेशर या अन्य छात्र के मन में झुंझलाहट, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक क्षति या भय पैदा होने की संभावना हो.
  3. किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र को ऐसा कोई कार्य करने के लिए कहना, जो सामान्य पाठ्यक्रम का हिस्सा न हो और उसके कारण उसे शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी की भावना सहन करनी पड़ती हो.
  4. किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र से ऐसा कोई कार्य करवाना जिससे उसकी शरीर या मनोभाव पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो और नियमित शैक्षणिक कार्य में बाधा पड़ती हो.
  5. किसी फ्रेशर के साथ ऐसी गतिविधि करवाना, जिससे छात्र या छात्रा का शोषण होता हो.
  6. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से किसी अन्य तरीके जबरन धन की वसूली करना या जबरदस्ती खर्चे के लिए बाध्य करना.
  7. किसी छात्र या छात्रा के साथ शारीरिक शोषण या अन्य कोई भी कार्य करना या कराना, जिससे उसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो. जैसे- यौन शोषण, समलैंगिक हमले, कपड़े उतारना या उतरवाना, जबरदस्ती अश्लील और भद्दे काम कराने को बाध्य करना..इत्यादि.
  8. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से बात के दौरान, ईमेल करके या सार्वजनिक रुप से संबोधित करके कोई अपमानजनक कार्य करना.
  9. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं से आनंद प्राप्त करने की मंशा से प्रताड़ित करने वाला कार्य करना या कराना.
  10. किसी नए नवेले छात्र-छात्राओं को शारीरिक या मानसिक रुप से परेशान करने के लिए रंग, जाति, धर्म, जाति, लिंग (ट्रांसजेंडर सहित), भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर टीका टिप्पणी करना.

इसे भी देखें व जानें : एक बार फिर बाहर निकला रैगिंग का जिन्न, रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं पिछली घटनाएं

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग के खिलाफ कानून (कांसेप्ट फोटो)

रैगिंग के खिलाफ अधिनियम और कानून (Laws and Acts against Ragging)
70 के दशक से एक क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज में दो फ्रेशर्स की मौत के बाद पहली बार भारत सरकार देश में रैगिंग पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की. रैगिंग विरोधी अभियान को 1999 में तब गति मिली जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विश्व जागृति मिशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से रैगिंग पर अंकुश लगाने के लिए विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा. फिर यूजीसी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. के.पी.एस. उन्नी के नेतृत्व में 4 सदस्यीय का समिति का गठन किया.

इसके बाद उन्नी समिति ने एक निषेधात्मक और दंड के प्राविधानों वाला एक प्रस्ताव पेश किया, जिससे रैगिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. साथ ही इस बात की सिफारिश की कि केंद्र और राज्य सरकारों को एक ऐसा अधिनियम बनाना चाहिए, जिससे ऐसा कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. इसमें रैगिंग करने वाले का प्रवेश रद्द करने से लेकर 25 हजार के अर्थदंड व तीन साल तकी सजा का प्राविधान हो.

इसके बाद 2006 में एक बार फिर रैगिंग का मुद्दा तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले दिशानिर्देशों को लागू करने में असफल रहने के बाद मामले में घोर निराशा व्यक्त की और सीबीआई के तत्कालीन निदेशक डॉ. आरके राघवन के नेतृत्व में एक और समिति का गठन किया. साथ ही रैगिंग को रोकने के तरीके, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और रैगिंग को रोकने में विफल संस्थानों के खिलाफ संभावित कार्रवाई के लिए सुझाव देने की बात कही.

उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को बढ़ता देख इसे रोकने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2009 में कुछ रेगूलेशन्स तैयार किए, जिससे रैगिंग रोकी जा सके. 2009 में जारी किए गए इन निर्देशों का सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) द्वारा अनिवार्य रूप से पालन किया जाना था. इसके साथ ही संबंधित संस्थाओं के द्वारा भी दिशा निर्देश तैयार किए गए हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के निर्देश
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध किसी स्कूल में रैगिंग की कोई शिकायत मिलने पर उसके अनुसार कार्रवाई की जाती है. इसके संदर्भ में संबद्धता उपनियम और मौजूदा दिशानिर्देशों को ऑनलाइन जारी करके रखा गया है, जिसे https://saras.cbse.gov.in/ और www.cbse.gov.in/ पर जाकर देखा जा सकता है.

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के निर्देश
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने (विश्वविद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित तकनीकी संस्थानों में रैगिंग की रोकथाम और निषेध रेगूलेशन्स 2009) का पालन अनिवार्य किया है और इसके लिए एआईसीटीई अधिनियम 1987 की धारा 23 और धारा 10 में सारे प्राविधान किए गए हैं.

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) के निर्देश
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सकीय संस्थानों में रैगिंग की रोकथाम के लिए रेगूलेशन्स बनाए हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिनियम 1956 की धारा 33 के तहत कई प्राविधान हैं.

इसे भी देखें व जानें : Indore Ragging : छात्रों ने पुलिस से की शिकायत, सीनियर्स बनाते हैं लड़कियों पर अश्लील कमेंट करने का दबाव, मना करने पर होती है पिटाई

Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग (कांसेप्ट फोटो)

रैगिंग के लिए दंड के प्राविधान (Punishment For Ragging)
उच्च स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने पर यूजीसी के रेगूलेशन्स 2009 के अनुसार सभी संस्थानों में रैगिंग रोधी दस्ते बनाए जाएंगे और इस संदर्भ में किए गए अपराध की प्रकृति और गंभीरता के आधार पर दोषियों के खिलाफ निम्नलिखित तरह की सजा के प्राविधान तय किए गए...

  • दोषी छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक संस्थान व कक्षा से निलंबन.
  • दोषी छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति, फेलोशिप और अन्य लाभकारी सुविधाओं को रोकना या वापस लेना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं को संस्थान की किसी भी परीक्षा या किसी अन्य मूल्यांकन प्रक्रिया में बैठने से रोकना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं के परीक्षाफल घोषित न करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं को किसी अन्य क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों प्रवेश या इन स्तरों पर होने वाले अन्य आयोजनों, टूर्नामेंट्स, युवा महोत्सव आदि पर रोक लगाना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का छात्रावास से निलंबन और निष्कासन करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का प्रवेश रद्द करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का एक से लेकर चार सेमेस्टर तक की अवधि के लिए संस्था से रस्टिकेशन करना.
  • दोषी छात्र-छात्राओं का संस्थान से निष्कासन के साथ साथ किसी अन्य संस्थान में एक निश्चित समयावधि तक एडमिशन पर रोक लगाना.
Ragging Related Laws and Acts Supreme Court on Ragging
रैगिंग के खिलाफ जंग

रैगिंग के खिलाफ राज्यों के कानून (State Laws against Ragging)
देश के कई राज्यों ने अपने अपने राज्य में रैगिंग रोकने के लिए कानून बनाए हैं, जिसके जरिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के खतरे को कम किया जा सके. इन राज्यों में निम्नांकित तरह के कानून बने हैं....

  • त्रिपुरा शैक्षणिक संस्थान (रैगिंग की रोकथाम) अधिनियम 1990
  • आंध्र प्रदेश रैगिंग निषेध अधिनियम 1997
  • तमिलनाडु रैगिंग निषेध अधिनियम 1997
  • केरल रैगिंग निषेध अधिनियम 1998
  • असम रैगिंग निषेध अधिनियम 1998
  • महाराष्ट्र रैगिंग निषेध अधिनियम 1999
  • पश्चिम बंगाल शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग निषेध अधिनियम 2000
  • हिमाचल प्रदेश शैक्षणिक संस्थान (रैगिंग निषेध) अधिनियम 2009
  • यूपी शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग निषेध विधेयक 2010
  • गोवा रैगिंग निषेध (संशोधन) विधेयक 2010
  • जम्मू और कश्मीर रैगिंग निषेध अधिनियम 2011

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अलग से नहीं बनी है कोई धारा
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रैगिंग को अलग से आईपीसी के तहत दंडनीय नहीं बनाया गया है. भारत के कुछ राज्यों में रैगिंग पर अपने स्वयं के कानून जबकि भारत में रैगिंग से निपटने वाले केंद्रीय कानून हैं. इसमें भारतीय दंड संहिता के माध्यम से धारा 294, 323, 324, 325, 326, 339, 340, 341, 342, 506 के तहत मामले दर्ज किए जा सकते हैं और उसी के हिसाब से जांच पड़ताल व दंड का प्राविधान बनाया गया है.

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Last Updated : Sep 15, 2022, 11:21 AM IST
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