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असम में बंद पड़ी कागज मिल के एक और कर्मचारी की मौत, अब तक 93 की हो चुकी मौत

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Published : Aug 31, 2021, 7:15 AM IST

नगांव और कछार मिलों के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसीआरयू) के अध्यक्ष मानवेन्द्र चक्रवर्ती ने कहा कि 62 साल के अक्षय कुमार मजूमदार की उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया है. अच्छे इलाज के अभाव में उनका निधन रविवार को हुआ.

कर्मचारी की मौत
कर्मचारी की मौत

गुवाहाटी : असम के मोरीगांव जिले (Morigaon district of Assam) में हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन (Hindustan Paper Corporation) की बंद पड़ी नगांव पेपर मिल के एक और कर्मचारी की मौत हो गई है. इस सार्वजनिक उपक्रम के दो कारखानों (नगांव और कछार पेप मिल) के बंद होने के बाद अब तक 93 लोगों की मौत हो चुकी है.

नगांव और कछार मिलों के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसीआरयू) के अध्यक्ष मानवेन्द्र चक्रवर्ती ने कहा कि 62 साल के अक्षय कुमार मजूमदार की उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया है. अच्छे इलाज के अभाव में उनका निधन रविवार को हुआ. मजूमदार के परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी है.

चक्रवर्ती के अनुसार हिमंत विश्व शर्मा की सरकार (Himanta Vishwa Sharma's government) के सत्ता में आने के बाद यह आठवीं मौत है. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाला (Former Chief Minister Sarbananda Sonowala) के कार्यकाल में 85 कर्मचारियों की भुखमरी और चिकित्सा के अभाव में निधन हो गया.

उन्होंने कहा कि हमारे अधिकतर कर्मचारियों की मृत्यु उचित उपचार के अभाव में हुई है, क्योंकि उन्हें पिछले 55 महीनों से वेतन या बकाया नहीं मिला है. यह कोई सामान्य मौत नहीं है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण हमारे लोग मर रहे हैं.

पढ़ें : असम सरकार ने कई नए क्षेत्रों में शुरू किया सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी पुरस्कार, मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला

चक्रवर्ती ने राज्य सरकार और केंद्र से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने तथा शेष कर्मचारियों के जीवन को बचाने के लिए सभी कानूनी बकाया जारी करने की अपील की. हैलाकांडी जिले के पंचग्राम में कछार पेपर मिल और मोरीगांव जिले के नगांव पेपर मिल क्रमशः अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद हैं.

सोनोवाल की अगुवाई में 2016 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने पर पेपर मिलों को पटरी पर लाने का वादा किया गया था. इस साल के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भी, भाजपा ने कहा था कि मिलों को पटरी पर लाने के लिये कदम उठाए जाएंगे.

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal-NCLT) ने सभी पक्षों के साथ कई दौर की बैठकों और सुनवाई के बाद, परिसमापक को 26 अप्रैल को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन को बेचने का आदेश दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : असम के मोरीगांव जिले (Morigaon district of Assam) में हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन (Hindustan Paper Corporation) की बंद पड़ी नगांव पेपर मिल के एक और कर्मचारी की मौत हो गई है. इस सार्वजनिक उपक्रम के दो कारखानों (नगांव और कछार पेप मिल) के बंद होने के बाद अब तक 93 लोगों की मौत हो चुकी है.

नगांव और कछार मिलों के मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसीआरयू) के अध्यक्ष मानवेन्द्र चक्रवर्ती ने कहा कि 62 साल के अक्षय कुमार मजूमदार की उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया है. अच्छे इलाज के अभाव में उनका निधन रविवार को हुआ. मजूमदार के परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी है.

चक्रवर्ती के अनुसार हिमंत विश्व शर्मा की सरकार (Himanta Vishwa Sharma's government) के सत्ता में आने के बाद यह आठवीं मौत है. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाला (Former Chief Minister Sarbananda Sonowala) के कार्यकाल में 85 कर्मचारियों की भुखमरी और चिकित्सा के अभाव में निधन हो गया.

उन्होंने कहा कि हमारे अधिकतर कर्मचारियों की मृत्यु उचित उपचार के अभाव में हुई है, क्योंकि उन्हें पिछले 55 महीनों से वेतन या बकाया नहीं मिला है. यह कोई सामान्य मौत नहीं है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण हमारे लोग मर रहे हैं.

पढ़ें : असम सरकार ने कई नए क्षेत्रों में शुरू किया सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी पुरस्कार, मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला

चक्रवर्ती ने राज्य सरकार और केंद्र से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने तथा शेष कर्मचारियों के जीवन को बचाने के लिए सभी कानूनी बकाया जारी करने की अपील की. हैलाकांडी जिले के पंचग्राम में कछार पेपर मिल और मोरीगांव जिले के नगांव पेपर मिल क्रमशः अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद हैं.

सोनोवाल की अगुवाई में 2016 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने पर पेपर मिलों को पटरी पर लाने का वादा किया गया था. इस साल के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भी, भाजपा ने कहा था कि मिलों को पटरी पर लाने के लिये कदम उठाए जाएंगे.

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal-NCLT) ने सभी पक्षों के साथ कई दौर की बैठकों और सुनवाई के बाद, परिसमापक को 26 अप्रैल को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के अनुसार हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन को बेचने का आदेश दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

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