नई दिल्ली: मणिपुर के एक विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) द्वारा केंद्र और राज्य सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के कुछ दिनों बाद, राज्य के एक अन्य मैतेई समूह के 25 नेता अस्थिर पूर्वोत्तर राज्य में शांति की एक आशा लेकर मुख्यधारा में आए.
गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा, 'यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), मणिपुर सरकार और भारत सरकार के बीच हाल ही में शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, मेजर बोइचा (उपप्रमुख) के नेतृत्व में नेशनल रिवोल्यूशनरी फ्रंट मणिपुर (एनआरएफएम- एक मैतेई यूजी संगठन) के लगभग 25 नेता और कैडर एनआरएफएम के आर्मी स्टाफ 25 हथियारों के साथ शनिवार को यूएनएलएफ में शामिल हो गए हैं.'
गृह मंत्रालय का मानना है कि एनआरएफएम के नेताओं के मुख्यधारा में आने से अस्थिर मणिपुर में शांति लाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी. गृह मंत्रालय ने कहा इसके साथ ही संगठन के ज्यादातर सदस्यों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने की दिशा में कदम उठाया है. इस घटनाक्रम से मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के भारत सरकार के प्रयासों को गति मिलने की संभावना है.
गौरतलब है कि एनआरएफएम (पहले यूनाइटेड रिवोल्यूशनरी फ्रंट) का गठन 11 सितंबर, 2011 को केसीपी, एक मेइतेई यूजी संगठन के तीन गुटों के कैडरों द्वारा किया गया था.
मंत्रालय ने कहा कि इसके वरिष्ठ नेता पड़ोसी देश के ठिकानों से काम करते थे और मणिपुर घाटी के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और जबरन वसूली में शामिल थे. मंत्रालय ने कहा कि इस विकास से अन्य मैतेई यूजी संगठनों को शांति प्रक्रिया में शामिल होने और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने की संभावना है, साथ ही मोदी सरकार के 'उग्रवाद मुक्त और समृद्ध उत्तर पूर्व' के दृष्टिकोण को पूरा करने को बढ़ावा मिलेगा.