नई दिल्ली: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारी नीति दस्तावेज का मसौदा तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में बनी समिति में देश के सभी हिस्सों से 47 सदस्य शामिल हैं. राष्ट्रीय, राज्य, जिला और प्राथमिक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि; राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी समिति का हिस्सा हैं.
इससे पहले, 12-13 अप्रैल नई दिल्ली में सहकारिता नीति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया था. सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा भी उपस्थिति थे. इसमें दो दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव तथा संयुक्त सचिव, 36 राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव और रजिस्ट्रार सहकारिता, 40 सहकारी तथा लगभग 40 सहकारी और अन्य प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों एवं सहकारी संगठनों के प्रमुख तथात सदस्यों ने भाग लिया था.
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इस सम्मेलन में छह महत्वपूर्ण विषयों पर बात हुई थी. जिसमें न केवल सहकारी समितियों के पूरे जीवन चक्र को शामिल किया गया था बल्कि उनके व्यवसाय और शासन के सभी पहलुओं को भी शामिल किया गया था. सम्मेलन के दौरान वर्तमान कानूनी ढांचा, नियामक नीति की पहचान, संचालन संबंधी बाधाएं और उन्हें दूर करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा हुई. जिससे व्यापार करने में आसानी हो और सहकारी समितियों और अन्य आर्थिक संस्थाओं को एक समान अवसर प्रदान किया जा सके. इसके अलावा सहकारी सिद्धांतों, लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्यों की बढ़ती भागीदारी, पारदर्शिता, नियमित चुनाव, मानव संसाधन नीति, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने, खाता रखने और लेखा परीक्षा सहित शासन को मजबूत करने के लिए सुधार पर की जरूरत पर भी चर्चा हुई थी.