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काशीनगरी के दो स्ट्रीट डॉग जाएंगे विदेश में बसने, दोनों का बन गया पासपोर्ट

वाराणसी की सड़कों पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग विदेश जाएंगे. इसके लिए विदेशी नागिरकों ने उनका पासपोर्ट बनवा लिया है. देश में पहली बार ऐसा हो रहा है कि भारत के 2 स्ट्रीट डॉग को विदेशी नागरिक उनका पासपोर्ट बनवाकर गोद लेकर अपने देश ले जाएंगे.

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Published : May 11, 2023, 6:01 PM IST

पासपोर्ट बनने के बाद स्ट्रीट डॉग को विदेश भेजने की प्रक्रिया पर ईटीवी भारत संवाददाता की खास रिपोर्ट

वाराणसी: विदेश में पढ़ाई करने और घूमने के लिए सबसे पहले लोगों को पासपोर्ट की आवश्यता होती है. इसी तरह अब सड़क पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग भी विदेश की सैर कर सकेंगे. वाराणसी में पहली बार 2 स्ट्रीट डॉग विदेश जाएंगे. इसके लिए उनका पासपोर्ट भी बन कर तैयार हो गया है. इनको नीदरलैंड और इटली के नागरिकों ने गोद लिया है.

डिजिटल प्रक्रिया हुई पूरीः काशी के 2 स्ट्रीट डॉग 'मोती' और 'जया' इटली और नीदरलैंड जाएंगे. इटली की वीरा लेज्जारेत्ती मोती और नीदरलैंड की मीरल बॉन्टेन बेल जया को गोद ले रही हैं. दोनों ही स्ट्रीट डॉग को हवाई यात्रा से ले जाया जाएगा. ऐसे में दोनों को एयरपोर्ट पर ले जाने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है. दोनों को ले जाने वालों के साथ ही इन डॉग्स के पासपोर्ट की भी व्यवस्था हो गई है. इसके लिए डिजिटल प्रक्रिया भी अपनाई गई है.

Dogs Passport
Dogs Passport

गोद लेने की प्रक्रिया की जा रही पूरीः काशी के इन 2 स्ट्रीट डॉग को वाराणसी की संस्था एनिमोटल केयर ट्रस्ट से गोद लिया गया है. दोनों ही फीमेल डॉग हैं. ट्रस्ट के प्रमुख फिजीशियन डॉ. इंद्रनील बसु ने बताया कि गोद लेने की प्रक्रिया में सभी मानकों का पालन किया गया है. उन्होंने बताया कि डॉग मोती को एंटी रैबीज का टीका लगाया गया है. वहीं, ट्रस्ट के सदस्य संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि मोती को माइक्रोचिप लगाई गई है. जिससे उसकी एयरपोर्ट पर पहचान हो सके.

माइक्रोचिप के माध्यम से होगी पहचानः संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि मोती को जो माइक्रोचिप लगाई गई है, उससे उसका एक डिजिटल नंबर भी जेनरेट हुआ है. इसके माध्यम से उसकी पहचान एयरपोर्ट पर की जा सकेगी. उन्होंने बताया कि इसमें 15 डिजिट का एक नंबर है. जिसे स्कैन करने के बाद सारी डिटेल मिल जाएगी. गुप्ता ने बताया कि पुर्तगाल की एक लैब ने इनके ब्लड सीरम रिपोर्ट पर मुहर लगा दी है. इन्हें ले जाने की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. विदेश भेजने की पूरी प्रक्रिया में 20-25 हजार रुपए का खर्च आता है.

जया को मुंशी घाट पर मीरल ने बचायाः नीदरलैंड की मीरल बॉन्टेन बेल को जया काशी की सड़कों पर ही मिली थी. मुंशी घाट पर जया को कुत्ते दौड़ा रहे थे. इसी दौरान वहां पर मौजूद मीरल बॉन्टेन ने जया को उन कुत्तों से बचाया था. इसके बाद ट्रस्ट ने जया को मीरल के हाथों में सौंप दिया. इसके बाद ही मीरल ने इसे गोद लेने की इच्छा जताई थी. बताया जा रहा है कि जया को ले जाने में कम से कम दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है.

ऐसे बनेगा डॉग का पासपोर्टः डॉग के पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया कई चरणों की है. सबसे पहले डॉग के अलग-अलग वैक्सीनेशन को पूरा करना होता है. उसके बाद उसे जिस देश में भेजना है, वहां की लेबोरेट्री में बकायदा डॉग के सीरम को भेज कर उसकी जांच की जाती है. जब उस देश से जांच में सभी प्रकार के अप्रूवल दे दिए जाते हैं, तब एक चिप लगाकर डॉग को एयरपोर्ट ले जाया जाता है. जहां पर एक स्पेशल बकेट से विमान के जरिए विदेश ले जाया जा सकता है. इस प्रक्रिया को पूरा करने में 3 से 4 महीने का समय लगता है.

यह भी पढ़ें- सरकार ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सशक्तिकरण के स्रोत के रूप में किया: पीएम मोदी

पासपोर्ट बनने के बाद स्ट्रीट डॉग को विदेश भेजने की प्रक्रिया पर ईटीवी भारत संवाददाता की खास रिपोर्ट

वाराणसी: विदेश में पढ़ाई करने और घूमने के लिए सबसे पहले लोगों को पासपोर्ट की आवश्यता होती है. इसी तरह अब सड़क पर घूमने वाले स्ट्रीट डॉग भी विदेश की सैर कर सकेंगे. वाराणसी में पहली बार 2 स्ट्रीट डॉग विदेश जाएंगे. इसके लिए उनका पासपोर्ट भी बन कर तैयार हो गया है. इनको नीदरलैंड और इटली के नागरिकों ने गोद लिया है.

डिजिटल प्रक्रिया हुई पूरीः काशी के 2 स्ट्रीट डॉग 'मोती' और 'जया' इटली और नीदरलैंड जाएंगे. इटली की वीरा लेज्जारेत्ती मोती और नीदरलैंड की मीरल बॉन्टेन बेल जया को गोद ले रही हैं. दोनों ही स्ट्रीट डॉग को हवाई यात्रा से ले जाया जाएगा. ऐसे में दोनों को एयरपोर्ट पर ले जाने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है. दोनों को ले जाने वालों के साथ ही इन डॉग्स के पासपोर्ट की भी व्यवस्था हो गई है. इसके लिए डिजिटल प्रक्रिया भी अपनाई गई है.

Dogs Passport
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गोद लेने की प्रक्रिया की जा रही पूरीः काशी के इन 2 स्ट्रीट डॉग को वाराणसी की संस्था एनिमोटल केयर ट्रस्ट से गोद लिया गया है. दोनों ही फीमेल डॉग हैं. ट्रस्ट के प्रमुख फिजीशियन डॉ. इंद्रनील बसु ने बताया कि गोद लेने की प्रक्रिया में सभी मानकों का पालन किया गया है. उन्होंने बताया कि डॉग मोती को एंटी रैबीज का टीका लगाया गया है. वहीं, ट्रस्ट के सदस्य संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि मोती को माइक्रोचिप लगाई गई है. जिससे उसकी एयरपोर्ट पर पहचान हो सके.

माइक्रोचिप के माध्यम से होगी पहचानः संदलीप सेन गुप्ता ने बताया कि मोती को जो माइक्रोचिप लगाई गई है, उससे उसका एक डिजिटल नंबर भी जेनरेट हुआ है. इसके माध्यम से उसकी पहचान एयरपोर्ट पर की जा सकेगी. उन्होंने बताया कि इसमें 15 डिजिट का एक नंबर है. जिसे स्कैन करने के बाद सारी डिटेल मिल जाएगी. गुप्ता ने बताया कि पुर्तगाल की एक लैब ने इनके ब्लड सीरम रिपोर्ट पर मुहर लगा दी है. इन्हें ले जाने की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. विदेश भेजने की पूरी प्रक्रिया में 20-25 हजार रुपए का खर्च आता है.

जया को मुंशी घाट पर मीरल ने बचायाः नीदरलैंड की मीरल बॉन्टेन बेल को जया काशी की सड़कों पर ही मिली थी. मुंशी घाट पर जया को कुत्ते दौड़ा रहे थे. इसी दौरान वहां पर मौजूद मीरल बॉन्टेन ने जया को उन कुत्तों से बचाया था. इसके बाद ट्रस्ट ने जया को मीरल के हाथों में सौंप दिया. इसके बाद ही मीरल ने इसे गोद लेने की इच्छा जताई थी. बताया जा रहा है कि जया को ले जाने में कम से कम दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है.

ऐसे बनेगा डॉग का पासपोर्टः डॉग के पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया कई चरणों की है. सबसे पहले डॉग के अलग-अलग वैक्सीनेशन को पूरा करना होता है. उसके बाद उसे जिस देश में भेजना है, वहां की लेबोरेट्री में बकायदा डॉग के सीरम को भेज कर उसकी जांच की जाती है. जब उस देश से जांच में सभी प्रकार के अप्रूवल दे दिए जाते हैं, तब एक चिप लगाकर डॉग को एयरपोर्ट ले जाया जाता है. जहां पर एक स्पेशल बकेट से विमान के जरिए विदेश ले जाया जा सकता है. इस प्रक्रिया को पूरा करने में 3 से 4 महीने का समय लगता है.

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