मुंबई (महाराष्ट्र): बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जबरन वसूली के एक मामले में निलंबित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सौरभ त्रिपाठी को शुक्रवार को गिरफ्तारी से 15 नवंबर तक के लिए अंतरिम राहत दे दी. न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर की अवकाशकालीन पीठ ने त्रिपाठी को जांच में सहयोग करने और नौ नवंबर को पुलिस के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका पर सुनवाई 15 नवंबर को तय की.
2010 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी त्रिपाठी ने सत्र अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था. दक्षिण मुंबई में एलटी मार्ग पुलिस ने त्रिपाठी सहित चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ 19 फरवरी को जबरन वसूली की प्राथमिकी दर्ज की थी. मामले में एलटी मार्ग थाने से जुड़े एक निरीक्षक, एक सहायक निरीक्षक और एक उप निरीक्षक को गिरफ्तार किया गया था. वे अभी जमानत पर बाहर हैं.
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में कहा कि वह निर्दोष हैं और आरोप लगाया कि उन्हें तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ विशेष जांच दल का नेतृत्व नहीं करने के लिए आवेदक के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण दिमाग और प्रतिशोध के साथ मामले में फंसाया था. जांच एजेंसी आवेदक (त्रिपाठी) को झूठा फंसाने के लिए अंगदिया संचालकों और उनके एजेंटों के बयानों पर भरोसा कर रही है.
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याचिका में कहा गया कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उक्त अंगड़िया संचालकों/उनके एजेंटों ने पहले से ही आवेदक के खिलाफ शिकायत की थी, क्योंकि आवेदक उन्हें अपनी अवैध गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित नहीं करने दे रहा था और बार-बार उन्हें रिश्वत देने के उनके प्रयासों से इनकार कर रहा था. 'अंगड़िया' प्रणाली देश में एक शताब्दी पुरानी समानांतर बैंकिंग प्रणाली है, जहां व्यापारी आम तौर पर एक राज्य से दूसरे राज्य में, अंगदिया या कूरियर नामक व्यक्ति के माध्यम से नकद भेजते हैं.
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने दक्षिण मुंबई के भुलेश्वर इलाके के कुछ अंगड़िया व्यवसायियों को चार दिनों के लिए हिरासत में लिया और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बहाने पैसे की उगाही की और उनके व्यापारिक लेनदेन के बारे में आयकर विभाग को सूचित करने की भी धमकी दी.