अमरावती: तेलंगाना में हाल में अपने वरिष्ठ साथियों द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न किए जाने से तंग आकर मेडिकल की एक छात्रा के आत्महत्या करने के मद्देनजर आंध्र प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री विदादला रजनी ने एक समीक्षा बैठक में कहा कि राज्य में सभी मेडिकल कॉलेज को रैगिंग की बुराई को लेकर सतर्क रहना चाहिए. समीक्षा बैठक में सभी सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य शामिल हुए थे.
रजनी ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में कहा, कहीं भी, किसी भी मेडिकल कॉलेज में, किसी भी रूप में उत्पीड़न नहीं होना चाहिए. कॉलेजों में रैगिंग रोधी समितियों को निश्चित रूप से पूर्ण रूप से और सक्रियता से काम करना चाहिए. मंत्री ने निर्देश दिया कि रैगिंग की किसी भी घटना की स्थिति में चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) और स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के कुलपति को सीधे निगरानी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कॉलेज की रैगिंग रोधी समितियों से नियमित जानकारी लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा, शिक्षण कर्मचारियों को छात्रों के प्रति सौहार्दपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए. कुछ वरिष्ठ प्रोफेसर अपने स्वयं के समानांतर क्लीनिक व्यवसायों के कारण स्नातकोत्तर छात्रों पर अनुचित दबाव डाल रहे हैं. इस प्रकार के अतिरिक्त व्यवसायों को समाप्त करने की आवश्यकता है. इसके अलावा उन्होंने सभी कॉलेजों को छात्रों के लिए परामर्श सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया, जिसमें दबाव को कम करने के लिए योग और ध्यान की व्यवस्था करना भी शामिल है.
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हाल में वारंगल मेडिकल कॉलेज की 26 वर्षीय मेडिकल छात्रा डी. प्रीति ने वरिष्ठों द्वारा कथित उत्पीड़न किए जाने से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं, इससे पहले अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज में भी रैगिंग के मामले सामने आए थे. जहां रेजिडेंट डॉक्टरों ने इसको लेकर शिकायत भी की थी. घटना का संज्ञान लेते हुए एंटी रैगिंग कमेटी गठित की गई और मामले की जांच शुरू की गई.