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आंध्र प्रदेश सरकार ने भगदड़ की हालिया घटनाओं के लिए जांच आयोग का गठन किया - Andhra Pradesh government sets up commission

तेलुगू देशम पार्टी अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान हाल ही में हुई भगदड़ के मद्देनजर आंध्र प्रदेश सरकार ने सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी है. साथ ही सरकार ने इन घटनाओं की जांच के लिए एक जांच आयोग का भी गठन किया है.

Andhra Pradesh government
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 8, 2023, 7:05 AM IST

अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार ने भगदड़ की दो हालिया घटनाओं के कारणों की जांच के लिए शनिवार देर रात एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने की घोषणा की. राज्य के मुख्य सचिव के. एस. जवाहर रेड्डी की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि जांच आयोग (सीओआई) की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी शेषसायन रेड्डी करेंगे. सीओआई को एक महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है. तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की एक राजनीतिक बैठक के दौरान 28 दिसंबर, 2022 को एसपीएस नेल्लोर जिले के कंदुकुरु शहर में हुई भगदड़ में आठ लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा एक जनवरी को मुफ्त उपहार वितरण कार्यक्रम में भगदड़ मचने से तीन लोगों की मौत हो गई थी.

पढ़ें: आंध्र प्रदेश सरकार ने सड़कों पर सभाओं, रैलियों पर लगाई रोक

इससे पहले, आंध्र प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी है. यह आदेश तेलुगू देशम पार्टी द्वारा पिछले सप्ताह कंदुकुरु में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान हाल ही में हुई भगदड़ के के बाद आया है, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस अधिनियम, 1861 के प्रावधानों के तहत सोमवार देर रात को यह निषेधाज्ञा जारी की गई. सरकार ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर एक बैठक आयोजित करने का अधिकार नियमन का विषय है, क्योंकि पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 30 अनिवार्य है.

पढ़ें: आंध्र भगदड़ : मृतक संख्या बढ़कर आठ हुई, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने राहत राशि की घोषणा की

शासनादेश में प्रधान सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित नहीं करते हैं. प्रमुख सचिव ने कहा, "प्राधिकारियों को सार्वजनिक सड़कों की सभाओं की अनुमति देने से बचना चाहिए. केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में सार्वजनिक सभाओं की अनुमति पर विचार किया जा सकता है, लिखित कारणों के साथ.

पढ़ें: चंद्रबाबू नायडू को जनसभा की इजाजत नहीं मिली तो बस पर चढ़कर संबोधित किया

प्रधान सचिव ने 28 दिसंबर को हुई कंदुकुरु घटना पर प्रकाश डाला और कहा कि सार्वजनिक स्थलों और सड़क पर बैठकें आयोजित करने से मौतें हो रही हैं और यातायात बाधित हो रहा है."पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं, जो सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक सड़कों पर सभा और जुलूसों के संचालन को नियंत्रित करता है. प्रमुख सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा है, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित न करे.

पढ़ें: आंध्र प्रदेश: टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की रैली को पुलिस ने रोका, समर्थकों ने जताई नाराजगी

अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार ने भगदड़ की दो हालिया घटनाओं के कारणों की जांच के लिए शनिवार देर रात एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन करने की घोषणा की. राज्य के मुख्य सचिव के. एस. जवाहर रेड्डी की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि जांच आयोग (सीओआई) की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी शेषसायन रेड्डी करेंगे. सीओआई को एक महीने में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है. तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की एक राजनीतिक बैठक के दौरान 28 दिसंबर, 2022 को एसपीएस नेल्लोर जिले के कंदुकुरु शहर में हुई भगदड़ में आठ लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा एक जनवरी को मुफ्त उपहार वितरण कार्यक्रम में भगदड़ मचने से तीन लोगों की मौत हो गई थी.

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इससे पहले, आंध्र प्रदेश सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्गों सहित सड़कों पर जनसभाओं और रैलियों के आयोजन पर रोक लगा दी है. यह आदेश तेलुगू देशम पार्टी द्वारा पिछले सप्ताह कंदुकुरु में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू के रोड शो के दौरान हाल ही में हुई भगदड़ के के बाद आया है, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस अधिनियम, 1861 के प्रावधानों के तहत सोमवार देर रात को यह निषेधाज्ञा जारी की गई. सरकार ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर एक बैठक आयोजित करने का अधिकार नियमन का विषय है, क्योंकि पुलिस अधिनियम 1861 की धारा 30 अनिवार्य है.

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शासनादेश में प्रधान सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित नहीं करते हैं. प्रमुख सचिव ने कहा, "प्राधिकारियों को सार्वजनिक सड़कों की सभाओं की अनुमति देने से बचना चाहिए. केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में सार्वजनिक सभाओं की अनुमति पर विचार किया जा सकता है, लिखित कारणों के साथ.

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प्रधान सचिव ने 28 दिसंबर को हुई कंदुकुरु घटना पर प्रकाश डाला और कहा कि सार्वजनिक स्थलों और सड़क पर बैठकें आयोजित करने से मौतें हो रही हैं और यातायात बाधित हो रहा है."पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं, जो सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक सड़कों पर सभा और जुलूसों के संचालन को नियंत्रित करता है. प्रमुख सचिव (गृह) हरीश कुमार गुप्ता ने संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र को जनसभाओं के संचालन के लिए सार्वजनिक सड़कों से दूर निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने के लिए कहा है, जो यातायात, सार्वजनिक आवाजाही, आपातकालीन सेवाओं के प्रवाह को बाधित न करे.

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