धर्मावरम: पूरा देश अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. भक्त उपहार भी दे रहे हैं. आंध्र प्रदेश के श्री सत्यसाई जिले के धर्मावरम के हथकरघा परिवारों द्वारा माता सीता के लिए साड़ी तैयार की गई है. इसे चार महीने तक पूरी शिद्दत से बुनाई कर तैयार की गई है. यह सिल्क की साड़ी है.
इसी महीने की 22 तारीख को अयोध्या में श्रीराम मंदिर में माता सीता और भगवान राम विराजमान होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होने वाले इस कार्यक्रम की पूरी तैयारी की जा चुकी है. देश भर में कई लोग भगवान राम और माता सीता के लिए अपनी उपहार भेज रहे हैं. श्री सत्यसाई जिले के धर्मवारा के दो हथकरघा परिवारों के लिए यह रेशम की साड़ी बनाना मुश्किल था.
रेशम की साड़ी का वजन 16 किलोग्राम है और चौड़ाई 44 इंच है. 'जय श्री राम' को तेलुगु, कन्नड़, मराठी, उड़िया, तमिल, गुजराती, कोंकणी, मलयालम, उर्दू सहित अन्य 13 विभिन्न भारतीय भाषाओं में 32,200 बार लिखा गया है. रामायण से भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाले 168 जीवंत चित्र बनाए गए है.
साड़ी नागराजू द्वारा डिजाइन की गई है और सुरेंद्रनाथ और उनके बेटे तेजा द्वारा करघे पर बुनी गई है. हथकरघा परिवारों का कहना है कि रेशम की साड़ी उपहार में देने का मौका पाकर वे भाग्यशाली महसूस करते हैं. रेशम साड़ी डिजाइनर नागाराजू ने कहा, 'हमारे पूर्वजों ने हथकरघा को अपना पेशा बनाया और आज तक यह परंपरा चली आ रही है.
हम भगवान राम को अपनी ओर से कुछ उपहार देना चाहते हैं. उसी के हिस्से के रूप में मैंने रामायण से दृश्य लिए और अयोध्या राम मंदिर को भेंट करने के लिए उस पर चित्र बनाए. इसे बनाने में मुझे चार महीने लगे.' हथकरघा से जुड़े नागेंद्रनाथ ने कहा, 'नागराजू ने इसे डिजाइन किया है. हमने इसे बनाया है. हमने एक ऐसी साड़ी बनाई जिसे बच्चे भी समझ सकें.
सीता माता के लिए बनाई गई रेशम की साड़ी 60 मीटर लंबी है. इस साड़ी के बॉर्डर पर संपूर्ण रामायण कथा की तस्वीरें बुनी गई हैं. इन्हें कंप्यूटर से तैयार किया गया है. आधुनिक तकनीक से रेशम की साड़ी की किनारियों पर प्रदर्शित किया गया है. उन्होंने बताया कि 5 लाख रुपये की रेशम साड़ी पूरी तरह से हाई क्वालिटी की रेशम से बनी है. अयोध्या भेजे जाने से पहले इस साड़ी को धर्मावरम में जनता के लिए प्रदर्शन के लिए रखा गया. अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के बाद नागराजू और नागेंद्रनाथ के परिवार के सदस्यों ने साड़ी ले जाने की योजना बनाई.