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जानें कहां मिला तहखाना, 200 साल पुराना है इसका इतिहास!

जैसलमेर से 20 km दूर बासनपीर गांव में पंचायत के लोग पौधे लगाने के लिए गड्ढे खुदवा रहे थे. इस दौरान आज गड्ढा खोदते समय जमीन के नीचे एक रहस्यमयी तहखाना निकला. इसे देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी.

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Published : Sep 18, 2021, 10:37 PM IST

जैसलमेर : जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित है बासनपीर गांव. यहां पंचायत की ओर से पौधारोपण कार्य के लिये गड्ढे खुदवाए जा रहे थे. इसी दौरान गड्ढा खोदने वाले मजदूर उस वक्त हैरान रह गये जब जमीन के नीचे से पूरा का पूरा तहखाना निकल आया.

200 साल पुराना है इसका इतिहास

इस रहस्यमयी तहखाने को देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. तहखाने का अधिकांश हिस्सा जमीन के काफी भीतर तक था. भीतर से तहखाना रेत से भरा हुआ था. जैसलमेर का इतिहास जानने वाले इस तहखाने के पीछे 200 साल पुरानी एक किंवदंती सुनाते हैं.

तहखाना
तहखाना

लोगों का कहना है कि जैसलमेर में करीब 200 वर्ष पहले पालीवाल ब्राह्मण जिले के 84 गांवों में निवास करते थे. इस समुदाय ने एक ही रात में अपने सभी गांव तत्कालीन दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों से परेशान होकर खाली कर दिये थे. पालीवाल ब्राह्मणों के टोले यहां से चले गए थे.

रहस्यमयी तहखाना
रहस्यमयी तहखाना

लोगों का मानना है कि बासनपीर दक्षिण भी 200 साल पहले पालीवालों का एक गांव हुआ करता था, जिसे वे छोड़कर चले गए थे. यह तहखाना उन्हीं पालीवालों के गांव का कोई भवन हो सकता है.

इसे भी पढ़ें : कपासन: लापरवाही के चलते पुराना सरकारी अस्पताल भवन बना नशेड़ियों का अड्डा

गांव की एएनएम प्रमिला जांगिड़ ने इस तहखाने को अंदर जाकर देखा. वे कहती हैं कि जमीन के नीचे शायद बहुत बड़ा मकान है, जिसकी सीढ़ियां भी हैं और अंदर एक कमरे जैसा निर्माण भी है, लेकिन अंधेरे के कारण अंदर जाने में डर लगता है.

जैसलमेर : जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित है बासनपीर गांव. यहां पंचायत की ओर से पौधारोपण कार्य के लिये गड्ढे खुदवाए जा रहे थे. इसी दौरान गड्ढा खोदने वाले मजदूर उस वक्त हैरान रह गये जब जमीन के नीचे से पूरा का पूरा तहखाना निकल आया.

200 साल पुराना है इसका इतिहास

इस रहस्यमयी तहखाने को देखने के लिए गांव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी. तहखाने का अधिकांश हिस्सा जमीन के काफी भीतर तक था. भीतर से तहखाना रेत से भरा हुआ था. जैसलमेर का इतिहास जानने वाले इस तहखाने के पीछे 200 साल पुरानी एक किंवदंती सुनाते हैं.

तहखाना
तहखाना

लोगों का कहना है कि जैसलमेर में करीब 200 वर्ष पहले पालीवाल ब्राह्मण जिले के 84 गांवों में निवास करते थे. इस समुदाय ने एक ही रात में अपने सभी गांव तत्कालीन दीवान सालिम सिंह के अत्याचारों से परेशान होकर खाली कर दिये थे. पालीवाल ब्राह्मणों के टोले यहां से चले गए थे.

रहस्यमयी तहखाना
रहस्यमयी तहखाना

लोगों का मानना है कि बासनपीर दक्षिण भी 200 साल पहले पालीवालों का एक गांव हुआ करता था, जिसे वे छोड़कर चले गए थे. यह तहखाना उन्हीं पालीवालों के गांव का कोई भवन हो सकता है.

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गांव की एएनएम प्रमिला जांगिड़ ने इस तहखाने को अंदर जाकर देखा. वे कहती हैं कि जमीन के नीचे शायद बहुत बड़ा मकान है, जिसकी सीढ़ियां भी हैं और अंदर एक कमरे जैसा निर्माण भी है, लेकिन अंधेरे के कारण अंदर जाने में डर लगता है.

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