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समझदारी की कमी दिखाती है कैपिटोल हिंसा : डॉ प्रमिता रॉय चौधरी - अमेरिकी संसद कैपिटोल पर साक्षात्कार

अमेरिकी संसद कैपिटोल में हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई. इस घटना के बाद राष्ट्रपति ट्रंप की चौतरफा निंदा हो रही है. अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की पहल भी की है. अमेरिकी राजनीति की इस अप्रत्याशित घटना के संदर्भ में ईटीवी भारत (कोलकाता) के ब्यूरो चीफ सुमंत रॉय चौधरी ने इस मुद्दे पर अमेरिका में रह रहीं प्रवासी भारतीय डॉ प्रमिता रॉय चौधरी से बात की.

समझदारी की कमी दिखाती है कैपिटोल हिंसा
समझदारी की कमी दिखाती है कैपिटोल हिंसा
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Published : Jan 12, 2021, 6:42 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 7:20 PM IST

कोलकाता : अमेरिका के संसद भवन- कैपिटोल में हुई हिंसा पर प्रवासी भारतीय डॉ प्रमिता रॉय चौधरी ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हिंसा भड़काया जाना काफी छोटी सोच वाली हरकत है. उन्होंने कहा कि किसी भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ऐसा नहीं किया गया. डॉ प्रमिता ने कहा कि ट्रंप पहले भी अजीबोगरीब ट्वीट करते रहे हैं, लेकिन कैपिटोल की हिंसा समझदारी की कमी भी दिखाती है. उन्होंने कहा कि ट्रंप जैसे ओहदे के शख्स के इस तरह की अपेक्षा नहीं की जाती है.

उन्होंने इस घटना पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि पहले तो इस पर यकीन ही नहीं हुआ, मीडिया में हुई रिपोर्ट के बाद कैपिटोल पर हुए हमले की घटना पर भरोसा करने में ही लगभग आधे घंटे लगे.

डॉ प्रमिता रॉय चौधरी से खास बातचीत

डॉ प्रमिता ने कहा कि ट्रंप यह समझने में विफल रहे कि अमेरिकी संसद जैसी जगह पर उपद्रव जैसी हरकत का भविष्य में क्या परिणाम हो सकता है. उन्होंने कहा, 'मैं सोच भी नहीं सकती कि उनके (ट्रंप) के पास इतनी कम समझ है कि उन्हें इस बात की भी जानकारी न हो कि उनकी क्षमताओं की सीमाएं क्या हैं ?'

कैपिटोल में हुए उत्पात में ट्रंप की भूमिका से जुड़े सवाल पर डॉ प्रमिता ने कहा कि कई बार लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं जिससे लगता है कि वह दिमागी रूप से असंतुलित लगते हैं. इस कारण लोग काफी निचले स्तर तक गिर जाते हैं.

लोकतंत्र की रक्षा करने की शपथ लेने के बावजूद देश के शीर्ष नेताओं द्वारा अपने समर्थकों को उपद्रव के लिए सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों पर जारी संदेशों से उकसाने की कोशिश करने जैसे व्यवहार से जुड़े सवाल पर डॉ प्रमिता ने कहा कि आप जानते हैं कि अमेरिका और भारत जैसे देशों के राजनेता समर्थकों को जुटाने की कोशिश में सोशल मीडिया सहित अन्य विकल्पों का भी प्रयोग करते हैं. नेता ऐसी चीजें प्रसारित करते हैं, जो उन्हें लगता है कि सही है.

पढ़ें : US कैपिटोल हिंसा पर बोले विशेषज्ञ- हिंसा ने ट्रंप समेत पूरे अमेरिका को किया शर्मसार

उन्होंने ओबामा का जिक्र करते हुए कहा कि पहले भी कई डेमोक्रेट और रिपबल्किन राष्ट्रपति या इस पद के उम्मीदवार सोशल मीडिया का प्रयोग करते रहे हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में डेमोक्रेट नेता भी सोशल मीडिया का प्रयोग भीड़ जुटाने के लिए करते देखे गए हैं. डॉ प्रमिता ने कहा कि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता, इसी पर नेता राजनीति करते हैं.

बकौल डॉ प्रमिता, भीड़ कई बार बेकाबू हो जाती है और लोग कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले लेते हैं. दुनिया के कई देशों में पहले भी ऐसा हो चुका है, लेकिन जब आप अमेरिका के राष्ट्रपति होते हैं तो आपकी जवाबदेही अलग होती है, आप दल से ऊपर होते हैं.

एक राष्ट्रपति और एक सामान्य राजनीतिक नेता के रूप में भीड़ को उत्तेजित करने के दो अलग-अलग प्रभाव होते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अगर देश की जनता एक बार जब आप पर भरोसा करना छोड़ देती है तो यह दुनिया के किसी भी देश की तुलना में काफी बड़ा नुकसान होता है. यहां देश के प्रति आपकी जिम्मेदारी सर्वोपरी होती है. ट्रंप ने खुद अपनी छवि खराब की है.

यह भी पढ़ें : अमेरिका : कैपिटोल में हिंसा के बाद 15 दिनों की इमरजेंसी, कांग्रेस में बाइडेन की जीत

बता दें कि विगत सात जनवरी को अमेरिका में कैपिटोल परिसर के बाहर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद परिसर को लॉकडाउन (प्रवेश एवं निकास बंद) कर दिया गया. पुलिस के साथ हुई झड़प में अब तक चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि एक पुलिस अधिकारी की मौत इलाज के दौरान हुई थी. उत्पात के बाद प्रशासन ने वॉशिंगटन डीसी में पब्लिक इमरजेंसी को 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया था.

कोलकाता : अमेरिका के संसद भवन- कैपिटोल में हुई हिंसा पर प्रवासी भारतीय डॉ प्रमिता रॉय चौधरी ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हिंसा भड़काया जाना काफी छोटी सोच वाली हरकत है. उन्होंने कहा कि किसी भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ऐसा नहीं किया गया. डॉ प्रमिता ने कहा कि ट्रंप पहले भी अजीबोगरीब ट्वीट करते रहे हैं, लेकिन कैपिटोल की हिंसा समझदारी की कमी भी दिखाती है. उन्होंने कहा कि ट्रंप जैसे ओहदे के शख्स के इस तरह की अपेक्षा नहीं की जाती है.

उन्होंने इस घटना पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि पहले तो इस पर यकीन ही नहीं हुआ, मीडिया में हुई रिपोर्ट के बाद कैपिटोल पर हुए हमले की घटना पर भरोसा करने में ही लगभग आधे घंटे लगे.

डॉ प्रमिता रॉय चौधरी से खास बातचीत

डॉ प्रमिता ने कहा कि ट्रंप यह समझने में विफल रहे कि अमेरिकी संसद जैसी जगह पर उपद्रव जैसी हरकत का भविष्य में क्या परिणाम हो सकता है. उन्होंने कहा, 'मैं सोच भी नहीं सकती कि उनके (ट्रंप) के पास इतनी कम समझ है कि उन्हें इस बात की भी जानकारी न हो कि उनकी क्षमताओं की सीमाएं क्या हैं ?'

कैपिटोल में हुए उत्पात में ट्रंप की भूमिका से जुड़े सवाल पर डॉ प्रमिता ने कहा कि कई बार लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं जिससे लगता है कि वह दिमागी रूप से असंतुलित लगते हैं. इस कारण लोग काफी निचले स्तर तक गिर जाते हैं.

लोकतंत्र की रक्षा करने की शपथ लेने के बावजूद देश के शीर्ष नेताओं द्वारा अपने समर्थकों को उपद्रव के लिए सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों पर जारी संदेशों से उकसाने की कोशिश करने जैसे व्यवहार से जुड़े सवाल पर डॉ प्रमिता ने कहा कि आप जानते हैं कि अमेरिका और भारत जैसे देशों के राजनेता समर्थकों को जुटाने की कोशिश में सोशल मीडिया सहित अन्य विकल्पों का भी प्रयोग करते हैं. नेता ऐसी चीजें प्रसारित करते हैं, जो उन्हें लगता है कि सही है.

पढ़ें : US कैपिटोल हिंसा पर बोले विशेषज्ञ- हिंसा ने ट्रंप समेत पूरे अमेरिका को किया शर्मसार

उन्होंने ओबामा का जिक्र करते हुए कहा कि पहले भी कई डेमोक्रेट और रिपबल्किन राष्ट्रपति या इस पद के उम्मीदवार सोशल मीडिया का प्रयोग करते रहे हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में डेमोक्रेट नेता भी सोशल मीडिया का प्रयोग भीड़ जुटाने के लिए करते देखे गए हैं. डॉ प्रमिता ने कहा कि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता, इसी पर नेता राजनीति करते हैं.

बकौल डॉ प्रमिता, भीड़ कई बार बेकाबू हो जाती है और लोग कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले लेते हैं. दुनिया के कई देशों में पहले भी ऐसा हो चुका है, लेकिन जब आप अमेरिका के राष्ट्रपति होते हैं तो आपकी जवाबदेही अलग होती है, आप दल से ऊपर होते हैं.

एक राष्ट्रपति और एक सामान्य राजनीतिक नेता के रूप में भीड़ को उत्तेजित करने के दो अलग-अलग प्रभाव होते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अगर देश की जनता एक बार जब आप पर भरोसा करना छोड़ देती है तो यह दुनिया के किसी भी देश की तुलना में काफी बड़ा नुकसान होता है. यहां देश के प्रति आपकी जिम्मेदारी सर्वोपरी होती है. ट्रंप ने खुद अपनी छवि खराब की है.

यह भी पढ़ें : अमेरिका : कैपिटोल में हिंसा के बाद 15 दिनों की इमरजेंसी, कांग्रेस में बाइडेन की जीत

बता दें कि विगत सात जनवरी को अमेरिका में कैपिटोल परिसर के बाहर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद परिसर को लॉकडाउन (प्रवेश एवं निकास बंद) कर दिया गया. पुलिस के साथ हुई झड़प में अब तक चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि एक पुलिस अधिकारी की मौत इलाज के दौरान हुई थी. उत्पात के बाद प्रशासन ने वॉशिंगटन डीसी में पब्लिक इमरजेंसी को 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया था.

Last Updated : Jan 12, 2021, 7:20 PM IST
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