नई दिल्ली : देश के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता दिवंगत अरुण जेटली की आज जयंती है. इस मौके पर अमित शाह ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में अरुण जेटली की प्रतिमा का अनावरण किया. इसके बाद शाह ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला क्रिकेट ग्राउंड में दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) कार्यक्रम को संबोधित किया.
शाह ने 13 साल तक डीडीसीए अध्यक्ष रहे जेटली को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'अरुण मेरे लिए बड़े भाई की तरह थे. राजनीतिक जगत में उन्हें उनकी खेल भावना के लिए जाना जाता है. वह अपने भाषण में आक्रामक रहते थे लेकिन कभी संसद की गरिमा को कम नहीं होने दिया.' उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए बहुत सम्मान और खुशी की बात है कि मैं यहां फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में हूं, जिसने अतीत में कुछ ऐतिहासिक क्रिकेट क्षण देखे हैं.
अपने हितों को पीछे रखने वाले अरुण
उन्होंने कहा, 'अरुण ने हमेशा अपने हितों को पीछे रखा, कभी प्रचार की उम्मीद नहीं की और आपातकाल के समय उभरकर आए जब उन्होंने 19 महीने जेल में बिताए. उस समय उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई. वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभाई.'
क्रिकेटरों के साथी थे अरुण जेटली
गांगुली ने कहा कि दिल्ली में क्रिकेट के विकास में जेटली का योगदान काफी अधिक है. उन्होंने कहा, 'जब हम खेलते हैं और शतक बनाते हैं तो इसे मान्यता मिलती है लेकिन काफी लोग पर्दे के पीछे से काम करते हैं और क्रिकेटरों की मदद करते हैं. वह क्रिकेटरों के साथी थे. यह प्रशासक की भूमिका होनी चाहिए.'
शानदार इंसान थे जेटली
गांगुली ने कहा, 'मुझे याद है जब दक्षिण अफ्रीका में 2003 विश्व कप के दौरान उनका फोन आया. हमने पहला मैच गंवा दिया था और पूरा देश हमारे खिलाफ हो गया लेकिन उन्होंने (जेटली) कहा कि संघ आपका समर्थन करता है और आप अच्छा खेले. ये छोटी चीजें मायने रखती हैं, वह शानदार इंसान थे.'
कई क्रिकेटरों को मिली है पहचान
उन्होंने कहा, 'यह काफी प्रतिभावान राज्य है जिसने इतने सामने खिलाड़ी दिए हैं. विराट कोहली, इशांत शर्मा, ऋषभ पंत अब और अतीत में इतने सारे क्रिकेटर. स्थिर डीडीसीए भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी चीज है और उम्मीद करते हैं कि वे ऐसा कर पाएंगे.'
प्रतिमा जेटली को 'परफेक्ट' श्रद्धांजलि
गंभीर ने कहा कि जेटली की प्रतिमा लगना उन्हें 'परफेक्ट' श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा, 'हमने उनके कार्यकाल के दौरान रणजी ट्रॉफी जीती और स्टेडियम भी बना. ईमानदारी से कहूं तो बुद्धिजीवी होना और पारदर्शिता रखना किसी भी प्रशासक के लिए सबसे महत्वपूर्ण है और उनके साथ ऐसा था.'
इससे पहले पूर्व भारतीय क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने किसी प्रेरणादायी क्रिकेटर की जगह प्रशासक की प्रतिमा लगाने का फैसला करने के लिए डीडीसीए की आलोचना की थी और मांग की थी कि फिरोजशाह कोटला मैदान की दर्शक दीर्घा से उनका नाम हटा दिया जाए.