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'नो मनी फॉर टेरर' के लिए 'One mind-One Approach' का सिद्धांत अपनाना होगा : अमित शाह

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Published : Nov 18, 2022, 1:24 PM IST

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुक़ाबला पर तीसरे 'नो मनी फॉर टेरर' मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के 'आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति' विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का सपोर्ट सिस्टम आतंकवाद के बराबर ही दुनिया के लिए खतरा है, हमें मिलकर उसे भी उजागर करना होगा. आतंकवाद और रेडिकल मेटेरियल को फैलाने के लिए डार्कनेट नया माध्यम बन रहा है, इसे रोकने के लिए एक संयुक्त मजबूत ऑपरेशनल सिस्टम की दिशा में काम करना होगा. उन्होंने कहा, नार्को टेरर आज टेरर फाइनेंसिंग का बड़ा माध्यम बना है, इसके समूल नाश के लिए हमें संयुक्त प्रयास करने होंगे. किसी आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर ही है.

Union Home Minister Amit Shah
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला पर तीसरे 'नो मनी फॉर टेरर' मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के 'आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति' विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की. अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद, निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है कि, टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि टेररिज्म के 'मीन्स एंड मेथड' को, इसी फंड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम टेररिज्म के वित्तपोषण से होता है.

  • After Aug 2021, there have been vast changes in the situation in South Asian region. Change in power, and rise in influence of ISIS and Al Qaeda have emerged as a major challenge to regional security. The new equations have made the issue of terror financing even more serious: HM pic.twitter.com/1FtYejLnRQ

    — ANI (@ANI) November 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गृह मंत्री ने कहा कि भारत टेररिज्म के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है. हमारा यह स्पष्ट मानना है कि, निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी कारण, स्वीकार नहीं किया जा सकता है. दुनियाभर के आतंकी हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित टेररिज्म का शिकार रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निरंतर और समन्वित तरीके से की गई अत्यंत गंभीर टेररिस्ट हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है.

पढ़ें: आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी : प्रधानमंत्री मोदी

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक कलेक्टिव एप्रोच है कि टेररिज्म के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन तकनीकी क्रांति से, टेररिज्म के रूप और प्रकार, निरंतर बदल रहे हैं. शाह ने कहा कि आज टेररिस्ट या टेररिस्ट ग्रुप, आधुनिक अधिकार तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और साइबर तथा फाइनेंसियल वर्ल्ड को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं. उन्होंने कहा कि टेररिज्म का 'डायनामाइट से मेटावर्स' और 'AK-47 से वर्चुअल एसेट्स' तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी. उन्होंने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि टेररिज्म का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे तथा कानूनी और वित्तपोषण व्यवस्था को मजबूत करने में हमने काफी प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद, टेररिस्ट लगातार हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं.

पढ़ें: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पहली बैठक में किये तीन जजों के तबादले, विरोध में उतरे वकील

उन्होंने कहा कि टेररिस्ट अपनी पहचान छिपाने और रेडिकल मेटेरियल को फैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे है. शाह ने कहा कि साथ ही क्रिप्टो-करेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स का उपयोग भी बढ़ रहा है, हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों का पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूंढने होंगे. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो टेररिज्म से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं, किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि, ऐसे तत्त्व, अपने इरादों में, कभी सफल न हो सकें. शाह ने कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और सत्ता परिवर्तन तथा अल कायदा और आईएसआईएस (ISIS) का बढ़ता प्रभाव, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इन नए समीकरणों ने टेरर फाइनेंसिंग की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है. शाह ने कहा कि तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रिजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े है और नाइन-इलेवन (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंदी के लिए तलोजा जेल से गौतम नवलखा की रिहाई की अड़चन हटाई

उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने के फ़िराक में हैं. अमित शाह ने कहा कि हमें कभी भी आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और ऐसे तत्त्वों, इन्हें स्पांसर, सपोर्ट करने वाले तत्त्वों के डबल-स्पीक को भी हमें उजागर करना होगा. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की टेररिस्ट चुनौतियों के बारे में सेलेक्टिव या आत्मसंतुष्ट दृष्टिकोण न रखे.

नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला पर तीसरे 'नो मनी फॉर टेरर' मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के 'आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति' विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की. अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद, निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है कि, टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि टेररिज्म के 'मीन्स एंड मेथड' को, इसी फंड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम टेररिज्म के वित्तपोषण से होता है.

  • After Aug 2021, there have been vast changes in the situation in South Asian region. Change in power, and rise in influence of ISIS and Al Qaeda have emerged as a major challenge to regional security. The new equations have made the issue of terror financing even more serious: HM pic.twitter.com/1FtYejLnRQ

    — ANI (@ANI) November 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गृह मंत्री ने कहा कि भारत टेररिज्म के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है. हमारा यह स्पष्ट मानना है कि, निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी कारण, स्वीकार नहीं किया जा सकता है. दुनियाभर के आतंकी हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित टेररिज्म का शिकार रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निरंतर और समन्वित तरीके से की गई अत्यंत गंभीर टेररिस्ट हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है.

पढ़ें: आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी : प्रधानमंत्री मोदी

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का एक कलेक्टिव एप्रोच है कि टेररिज्म के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन तकनीकी क्रांति से, टेररिज्म के रूप और प्रकार, निरंतर बदल रहे हैं. शाह ने कहा कि आज टेररिस्ट या टेररिस्ट ग्रुप, आधुनिक अधिकार तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और साइबर तथा फाइनेंसियल वर्ल्ड को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं. उन्होंने कहा कि टेररिज्म का 'डायनामाइट से मेटावर्स' और 'AK-47 से वर्चुअल एसेट्स' तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है.

उन्होंने कहा कि हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी. उन्होंने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए. केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि टेररिज्म का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे तथा कानूनी और वित्तपोषण व्यवस्था को मजबूत करने में हमने काफी प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद, टेररिस्ट लगातार हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं.

पढ़ें: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पहली बैठक में किये तीन जजों के तबादले, विरोध में उतरे वकील

उन्होंने कहा कि टेररिस्ट अपनी पहचान छिपाने और रेडिकल मेटेरियल को फैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे है. शाह ने कहा कि साथ ही क्रिप्टो-करेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स का उपयोग भी बढ़ रहा है, हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों का पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूंढने होंगे. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो टेररिज्म से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं, किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि, ऐसे तत्त्व, अपने इरादों में, कभी सफल न हो सकें. शाह ने कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और सत्ता परिवर्तन तथा अल कायदा और आईएसआईएस (ISIS) का बढ़ता प्रभाव, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इन नए समीकरणों ने टेरर फाइनेंसिंग की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है. शाह ने कहा कि तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रिजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े है और नाइन-इलेवन (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंदी के लिए तलोजा जेल से गौतम नवलखा की रिहाई की अड़चन हटाई

उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने के फ़िराक में हैं. अमित शाह ने कहा कि हमें कभी भी आतंकवादियों के पनाहगाहों या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और ऐसे तत्त्वों, इन्हें स्पांसर, सपोर्ट करने वाले तत्त्वों के डबल-स्पीक को भी हमें उजागर करना होगा. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की टेररिस्ट चुनौतियों के बारे में सेलेक्टिव या आत्मसंतुष्ट दृष्टिकोण न रखे.

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