नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में एनएफटी, एआई, मेटावर्स के युग में अपराध और सुरक्षा पर आधारित जी20 सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि साइबर सुरक्षा वैश्विक सुरक्षा का एक अनिवार्य पहलू बन गई है. इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक परिवेश को समझने की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कि आतंकवादी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए नए तरीके खोज रहे हैं.
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Multilateral cooperation is the key to success in securing nations from emerging threats to cyber security. Addressing the inaugural session of the 'G 20 Conference on Crime and Security in the Age of NFTs, AI & Metaverse'.#G20India https://t.co/FlIJrd6Afb
— Amit Shah (@AmitShah) July 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Amit Shah (@AmitShah) July 13, 2023
अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण, कट्टरपंथ, नार्को, नार्को आतंकी लिंक, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों द्वारा वित्तीय लेनदेन के लिए आभासी संपत्ति के रूप में नए तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. साइबर सुरक्षा पर यह पहला G20 शिखर सम्मेलन है. इसमें जी 20 सदस्यों के अलावा, नौ अतिथि देश और 2 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन, इंटरपोल और यूएनओडीसी के साथ ही विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हुए हैं.
शाह ने कहा कि आज 840 मिलियन भारतीयों की ऑनलाइन उपस्थिति है और 2025 तक अन्य 400 मिलियन भारतीय डिजिटल दुनिया में प्रवेश करेंगे. नौ वर्षों में इंटरनेट कनेक्शन में 250 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और भारत 2022 में 90 मिलियन लेनदेन के साथ वैश्विक डिजिटल भुगतान में अग्रणी है. शाह ने इंटरपोल की ग्लोबल ट्रेंड समरी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2022 के लिए रैमसमवेयर, फिशिंग, ऑनलाइन घोटाले, ऑनलाइन बाल यौन शोषण जैसे साइबर अपराध के रुझान दुनिया भर में गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि भविष्य में ये साइबर अपराध कई गुना बढ़ जाएंगे.
उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा चुनौतियों का 'डायनामाइट से मेटावर्स' और 'हवाला से क्रिप्टो करेंसी' में बदलना दुनिया भर के देशों के लिए चिंता का विषय है. हम सभी को मिलकर इसके खिलाफ एक साझा रणनीति बनानी होगी. शाह ने कहा कि डिजिटल युद्ध में लक्ष्य हमारे भौतिक संसाधन नहीं हैं बल्कि ऑनलाइन कार्य करने की हमारी क्षमता है. 10 मिनट के लिए भी ऑनलाइन नेटवर्क में व्यवधान घातक हो सकता है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी अपनी पहचान छिपाने और कट्टरपंथी मामलों को फैलाने के लिए डार्क नेट का उपयोग कर रहे हैं. हमें डार्क नेट पर चल रही इन गतिविधियों के पैटर्न को समझना होगा और इसका समाधान ढूंढना होगा.
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विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक साल 2019-2023 के दौरान साइबर हमलों से दुनिया को करीब 5.2 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. दुर्भावनापूर्ण खतरे वाले अभिनेताओं द्वारा क्रिप्टो मुद्रा का उपयोग इसकी पहचान और रोकथाम को और अधिक जटिल बना देता है. मेटावर्स के बारे में बात करते हुए शाह ने कहा कि एक समय यह साइंस फिक्शन आइडिया था लेकिन अब यह वास्तविक दुनिया में कदम रख चुका है.
गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार के कार्यक्रम के दौरान शाह ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (दिल्ली), अमृता विश्व विद्यापीठम, आईआईटी जोधपुर सहित देश के 7 प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साइबर वालंटियर दस्तों को भी हरी झंडी दिखाई, जिसमें आईआईटी मद्रास, नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी शामिल है.