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राज्यपाल से खींचतान के बीच केरल सरकार ने बिलों के कानूनी समाधान के लिए किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

केरल सरकार और केरल के राज्यपाल के बीत लंबे समय से तनातनी चली आ रही है, लेकिन अब यह तनातनी कानूनी रूप लेने वाली है. केरल सरकार हस्तक्षेप की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही है. इसे लेकर केरल सरकार अनुभवी वकीलों से भी चर्चा कर रही है. Supreme Court, Kerala Government, Governor of Kerala.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 2, 2023, 4:13 PM IST

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार और केरल के राज्यपाल के बीच खींचतान नए स्तर पर पहुंच गई, क्योंकि केरल सरकार ने हस्तक्षेप की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राजभवन का निर्णय है कि कानूनी रूप से इसका सामना किया जाए. केरल सरकार ने शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल जानबूझकर राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करने में देरी कर रहे हैं.

राज्य ने बताया कि कुछ बिल 2 वर्षों से लंबित थे. राज्यपाल के पास कुल 8 बिल लंबित हैं. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से राज्यपाल को लंबित विधेयकों का जल्द से जल्द निपटारा करने का निर्देश देने का आग्रह किया. अपनी रिट याचिका में केरल सरकार ने दलील दी कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं.

पिछले कुछ महीनों से केरल सरकार राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कानून विशेषज्ञों से परामर्श कर रही थी. रिट याचिका अनुभवी वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तैयार की थी. सरकार से मशहूर वकील फली एस नरीमन ने भी सलाह ली थी.

इससे पहले केरल के राज्यपाल ने स्पष्ट किया था कि उनके पास विचार के लिए भेजे गए विधेयकों के बारे में कुछ संदेह हैं और वह सीएम पिनाराई विजयन के उनसे मिलने और संदेह दूर करने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन सीएम ने उस वक्त जवाब दिया कि बिलों के संबंध में सीएम द्वारा राज्यपाल को जानकारी देने की ऐसी कोई परंपरा नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित मंत्रियों ने राज्यपाल को विधेयकों के बारे में जानकारी दे दी है. 2021 के विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक, संशोधन 1 और 2, केरल सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022 [एमआईएलएमए], केरल लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2022 और सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक 2021 उन विधेयकों में से हैं, जो केरल के राज्यपाल के समक्ष लंबित हैं और उनके विचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार और केरल के राज्यपाल के बीच खींचतान नए स्तर पर पहुंच गई, क्योंकि केरल सरकार ने हस्तक्षेप की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राजभवन का निर्णय है कि कानूनी रूप से इसका सामना किया जाए. केरल सरकार ने शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल जानबूझकर राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करने में देरी कर रहे हैं.

राज्य ने बताया कि कुछ बिल 2 वर्षों से लंबित थे. राज्यपाल के पास कुल 8 बिल लंबित हैं. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से राज्यपाल को लंबित विधेयकों का जल्द से जल्द निपटारा करने का निर्देश देने का आग्रह किया. अपनी रिट याचिका में केरल सरकार ने दलील दी कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं.

पिछले कुछ महीनों से केरल सरकार राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कानून विशेषज्ञों से परामर्श कर रही थी. रिट याचिका अनुभवी वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तैयार की थी. सरकार से मशहूर वकील फली एस नरीमन ने भी सलाह ली थी.

इससे पहले केरल के राज्यपाल ने स्पष्ट किया था कि उनके पास विचार के लिए भेजे गए विधेयकों के बारे में कुछ संदेह हैं और वह सीएम पिनाराई विजयन के उनसे मिलने और संदेह दूर करने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन सीएम ने उस वक्त जवाब दिया कि बिलों के संबंध में सीएम द्वारा राज्यपाल को जानकारी देने की ऐसी कोई परंपरा नहीं है.

उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित मंत्रियों ने राज्यपाल को विधेयकों के बारे में जानकारी दे दी है. 2021 के विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक, संशोधन 1 और 2, केरल सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022 [एमआईएलएमए], केरल लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2022 और सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक 2021 उन विधेयकों में से हैं, जो केरल के राज्यपाल के समक्ष लंबित हैं और उनके विचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

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