गांधीनगर: डॉ बाबा साहेब आंबेडकर की 132वीं जयंती के अवसर पर गांधीनगर के रामकथा मैदान में बौद्ध भिक्षुओं ने हजारों लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया और उनके वर्तमान धर्म का बहिष्कार कयवाया. बैठक में घोषणा की गई कि वर्ष 2028 तक 1 करोड़ लोग बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेंगे. स्वयं सैनिक दल के नेतृत्व में बौद्ध धर्म अपनाने के लिए गुजरात के कई जिलों से लोग गांधीनगर पहुंचे.
पूरी तरह से तैयार राम कथा मैदान में भी काफी भीड़ रही. डोम में लगभग 30,000 लोग थे. लेकिन स्वयं सैनिक दल द्वारा 50,000 लोगों का दावा किया गया है. स्वयं सैनिक दल के नेता ने कहा कि आज सभी राज्यों और पूरे देश में धर्म को लेकर भेदभाव हो रहा है. एससी-एसटी समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है. एक महिला का बलात्कार कर उसे मार दिया जा रहा है और सरकार केवल चार लाख रुपये की सहायता दे रही है.
नेता ने आगे कहा कि जब बहुत से लोगों पर अत्याचार हो रहा हो, लेकिन वह कुछ बोल न पा रहे हों और बोलने वालों को न्याय नहीं मिलता हो तो उन्होंने उस धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लेना चाहिए. स्वयं सैनिक दल के नेता विनय परमार ने कहा कि आज हजारों लोग बौद्ध धर्म स्वीकार करेंगे. कई लोगों को अनुमति दे दी है. इस संबंध में ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में विनय परमार ने कहा कि इस समय डोम में मौजूद सभी लोगों ने संकल्प लिया है.
कलेक्टर कार्यालय में रहते हुए इन सभी लोगों ने बौद्ध धर्म स्वीकार करने के लिए आवेदन दिया है. जिसमें कुछ लोगों को अनुमति दी गई है, जबकि कई आवेदन अभी कलेक्टर कार्यालयों में लंबित है. अगली बार में स्वीकृति मिलने पर यह सतत प्रक्रिया चलती रहेगी. स्वयं सैनिक दल के कार्यकर्ता देवेंद्र मकवाना ने गांधीनगर राम कथा मैदान में बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद एक जनसभा में कहा कि यह कार्यक्रम 2020-21 में गुजरात में होना था, लेकिन कोरोना के कारण यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया और आज यह कार्यक्रम किया जा रहा है.
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जब साल 2028 में फिर से इस तरह का कार्यक्रम होगा, उसमें एक करोड़ लोग खुद बौद्ध धर्म स्वीकार करेंगे. स्वयं सैनिक धर्म का आयोजन करते हुए अब देश के सभी एससी-एसटी समुदायों को एक करना है. इसके लिए मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया गया है. हमें एससी-एसटी आरक्षण नहीं बल्कि मूल्य निवासी आरक्षण चाहिए और इसे शुरू करने की मांग सरकार से पहले भी की गई थी.