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कार में बैठकर वकील करने लगा वर्चुअल बहस, नाराज कोर्ट ने महानिबंधक को 48 घंटे में नियम बनाने को कहा - हाईकोर्ट

एक वकील द्वारा कार से वर्चुअल बहस करने को लेकर हाई कोर्ट खफा हो गया. जिसके बाद कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई के लिए महानिबंधक को 48 घंटे में नियम बनाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि नियम न मानने वाले वकीलों को दंडित भी किया जाएगा.

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Published : Jul 4, 2021, 7:41 PM IST

प्रयागराज : वकील द्वारा कार में वर्चुअल बहस करने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट खफा हो गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों को देखते महानिबंधक को 48 घंटे में वर्चुअल सुनवाई के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इसे सभी बार एसोसिएशनों में कड़ाई से पालन के लिए भेजा जाय. इस तरह से वर्चुअल बहस करने का यह कोई पहला मामला नहीं है. बीती 27 जून को एक वकील द्वारा स्कूटर चलाते समय वर्चुअल बहस की थी, जिस पर भी कोर्ट नाराज हुआ था और वकील को फटकार लगाई थी.

ताजा मामले में कोर्ट ने कहा कि वकीलों को ध्यान में रखना चाहिए कि कोर्ट कार्यवाही के निश्चित नियम, प्रक्रिया और वस्त्र कोड होता है. वे कोर्ट की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे होते हैं न कि ड्राइंग रूम में बैठे होते हैं. कोर्ट की छूट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

कोर्ट ने महानिबंधक को कहा है कि वह वर्चुअल सुनवाई के समय 'क्या करें क्या न करें' के नियम बनाएं. बहस का तरीका, पहनावा और किस जगह से बहस की जाए, यह वकीलों को बताया जाय. वकील इसका कड़ाई से पालन करें. यदि नियमों की अवहेलना की जाती है तो उसका दंड तय किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने सोनू और अन्य की जमानत अर्जी पर दिया है.

इसे भी पढ़ें- स्कूटर चलाते हुए वकील ने की वर्चुअल बहस, कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याची अधिवक्ता संजय कुमार मिश्र द्वारा कार में बैठकर बहस करने पर नाराजगी प्रकट की और अर्जी को 8 हफ्ते बाद पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वकीलों से उम्मीद की जाती है कि वह कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में अपने ऑफिस, चेम्बर या घर में अच्छे स्थान पर बैठकर कोर्ट को संबोधित करेंगे. अदालतों द्वारा बार बार नसीहत देने के बावजूद कोर्ट की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है.

प्रयागराज : वकील द्वारा कार में वर्चुअल बहस करने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट खफा हो गया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों को देखते महानिबंधक को 48 घंटे में वर्चुअल सुनवाई के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इसे सभी बार एसोसिएशनों में कड़ाई से पालन के लिए भेजा जाय. इस तरह से वर्चुअल बहस करने का यह कोई पहला मामला नहीं है. बीती 27 जून को एक वकील द्वारा स्कूटर चलाते समय वर्चुअल बहस की थी, जिस पर भी कोर्ट नाराज हुआ था और वकील को फटकार लगाई थी.

ताजा मामले में कोर्ट ने कहा कि वकीलों को ध्यान में रखना चाहिए कि कोर्ट कार्यवाही के निश्चित नियम, प्रक्रिया और वस्त्र कोड होता है. वे कोर्ट की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे होते हैं न कि ड्राइंग रूम में बैठे होते हैं. कोर्ट की छूट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

कोर्ट ने महानिबंधक को कहा है कि वह वर्चुअल सुनवाई के समय 'क्या करें क्या न करें' के नियम बनाएं. बहस का तरीका, पहनावा और किस जगह से बहस की जाए, यह वकीलों को बताया जाय. वकील इसका कड़ाई से पालन करें. यदि नियमों की अवहेलना की जाती है तो उसका दंड तय किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने सोनू और अन्य की जमानत अर्जी पर दिया है.

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सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याची अधिवक्ता संजय कुमार मिश्र द्वारा कार में बैठकर बहस करने पर नाराजगी प्रकट की और अर्जी को 8 हफ्ते बाद पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वकीलों से उम्मीद की जाती है कि वह कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में अपने ऑफिस, चेम्बर या घर में अच्छे स्थान पर बैठकर कोर्ट को संबोधित करेंगे. अदालतों द्वारा बार बार नसीहत देने के बावजूद कोर्ट की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है.

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