हैदराबाद : कोरोना महामारी के बीच देश में जीका वायरस (Zika Virus) ने दस्तक दे दी है. राज्य में जीका वायरस के 14 मामलों की पुष्टि अब तक हुई है. इसके बाद प्रदेश को सतर्क कर दिया गया है. प्रदेश में गुरुवार को 24 साल की गर्भवती महिला में मच्छर जनित इस बीमारी की पुष्टि हुई थी. यह प्रदेश में जीका वायरस का पहला मामला था.
फरवरी 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जीका को अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. 2017 में, जीका वायरस का पहला मामला राजस्थान में आया था. यहां पर 63 गर्भवती महिलाओं में संक्रमण का पता चला था.
जीका वायरस संक्रमण
जीका वायरस संक्रमण एक मच्छर जनित बीमारी है. यह वायरस मच्छरों की एडीज प्रजाति से फैलता है, आमतौर पर इसके लिए एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस जिम्मेदार होते हैं. एडीज मच्छर से डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता हैं. यह वायरस गर्भवती महिलाओं से भ्रूण में भी फैल सकता है. गर्भावस्था के दौरान संक्रमण से कुछ जन्म दोष हो सकते हैं.जीका के लिए कोई टीका या दवा नहीं है.
जीका वायरस की उत्पत्ति और प्रसार
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका वायरस एक मच्छर जनित फ्लेवीवायरस है, जिसे पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पहचाना गया था. बाद में 1952 में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया में मनुष्यों में पाया गया था. 2007 में जीका वायरस का आउटब्रेक याप द्वीप पर हुआ था. वर्तमान में जीका वायरस का संक्रमण कई देशों में फैल गया है.
भारत में जीका वायरस
2017 में भारत में सर्वप्रथम जीका वायरस के चार मामले पाए गए थे. इसके बाद 2018 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में जीका वायरस के मामले मिले थे.
8 जुलाई 2021 को केरल में जीका वायरस का पहला मामला दर्ज किया गया था. राष्ट्रीय विषाणु संस्थान ने 13 और मामलों की पुष्टि की. इसके बाद प्रदेश को सतर्क कर दिया गया है.
प्रमुख लक्षण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जीका वायरस के लक्षण आमतौर पर तीन से 14 दिनों के बीच दिखाई देते हैं. हालांकि अधिकांश लोगों में इस वायरस के लक्षण विकसित नहीं होते हैं, लेकिन जिनमें होते हैं, उनमें बुखार, त्वचा पर चकत्ते, कंजक्टिवाइटिस, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिर दर्द और बेचैनी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ये लक्षण आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं.
इन जांच से पता चलता है संक्रमण
जीका वायरस संक्रमण के पुष्टि रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थ, जैसे मूत्र या वीर्य के प्रयोगशाला परीक्षणों से की जा सकती है.
इलाज
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस वायरस के संक्रमण या इससे जुड़ी बीमारियों का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. हालांकि, इस वायरस के संक्रमण के लक्षण अधिकतर हल्के होते हैं. इसके कारण बुखार, त्वचा पर चकत्ते या जोड़ों में दर्द जैसे लक्षणों वाले लोगों को भरपूर आराम करना चाहिए, तरल पदार्थ लेना चाहिए और सामान्य दवाओं के साथ दर्द और बुखार का इलाज करना चाहिए. अगर तबीतय बिगड़ती है तो उन्हें चिकित्सा देखभाल और सलाह लेनी चाहिए.
जीका वायरस की संख्या में वृद्धि
ब्राजील में जीका वायरस के प्रसार में तेजी से वृद्धि होने के साथ-साथ असामान्य रूप से छोटे सिर के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. जिन्हें माइक्रोसेफली के रूप में पहचाना जाता है.
इसके अलावा, ब्राजील सहित कई देशों ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. यह एक तंत्रिका संबंधी विकार जो पक्षाघात और मृत्यु का कारण बन सकता है. जीका वायरस भौगोलिक रूप से उन क्षेत्रों में फैल रहा है, जहां मच्छर मौजूद हैं, जो वायरस को प्रसारित कर सकते हैं.
उपाय
- इस वायरस को फैसने से रोकने के लिए सबसे बेहतर उपाया है मच्छरों की रोकथाम.
- मच्छरदानी का उपयोग करें.
- अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन और भरपूर आराम करें.
- बुखार और दर्द को कम करने के लिए दवा लें.
- मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें.
- गर्भवती महिलाओं को जीका से प्रभावित क्षेत्रों की गैर-जरूरी यात्रा से बचाना चाहिए.
- मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें.