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पंजाब में 32 संगठनों ने की किसान कचहरी, नेताओं से पूछे सवाल

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के 32 किसान संगठन एक मंच पर आ गए हैं. शुक्रवार को इन संगठनों ने चंडीगढ़ में कचहरी लगाई, जिसमें राजनीतिक दलों से सवाल-जवाब किए. किसानों की इस कचहरी में भाजपा नेताओं के आने की मनाही थी.

कांग्रेस की तरफ से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू पहुंचे
कांग्रेस की तरफ से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू पहुंचे
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Published : Sep 10, 2021, 6:27 PM IST

चंडीगढ़ : कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर पंजाब के 32 किसान संगठन एक मंच पर आ गए हैं. सियासी दलों के खिलाफ किसान संगठनों ने आज चंडीगढ़ में कचहरी लगाई जिसमें राजनीतिक दलों के नेताओं से किसान नेताओं ने सवाल-जवाब किए. इस कचहरी में हर संगठन का एक किसान नेता शामिल हुआ है. आप को बता दें कि इस मीटिंग में भाजपा नेताओं के आने की मनाही थी.

कचहरी में कांग्रेस की तरफ से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू पहुंचे. उनके साथ कार्यकारी प्रधान कुलजीत नागरा और पंजाब कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी परगट सिंह भी शामिल हुए.

सुनिए क्या बोले नेता

शिअद की तरफ से किसानों के साथ मीटिंग करने के लिए वरिष्ठ नेता बलविन्दर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चन्दूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डॉ.दलजीत सिंह चीमा पहुंचे. अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रो. प्रेम सिंह चन्दूमाजरा ने कहा कि माहौल को ठीक करने के लिए बैठक हो रही है. उन्होंने कहा कि बैठक करके बढ़िया रास्ते निकलते हैं, इस लिए बढ़िया है कि मीटिंग हो रही है.

कृषि कानूनों का विरोध

शिरोमणि अकाली दल (यू) के नेता परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि उनकी पार्टी की तरफ से कोई रैली नहीं की गई, लेकिन किसानों के साथ बढ़िया बात होगी. किसानों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई है. जिस तरह से एकजुट होकर मोर्चे की अगुवाई की गई है वह काबिलेतारीफ है. कोरोना के बीच आगामी चुनाव पर उन्होंने कहा कि तारीखों के एलान के बाद रैलियों पर फैसला होगा. वहीं, ब्रहपुरा ने कहा कि 500 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा.

आम आदमी पार्टी के कुलतार संधवा ने कहा कि बातचीत होनी ज़रूरी है, उन्होंने कहा कि कुछ किसान कहेंगे, और कुछ वह सुझाव रखेंगे. उन्होंने कहा कि वह भी किसान हैं और समाज दो फाड़ न हो इसलिए हम इस मीटिंग का समर्थन करते हैं. महेशइन्दर ग्रेवाल का कहना कि अकाली दल की तरफ से चिट्ठी लिखी गई थी, जिसके बाद ये मीटिंग हुई. उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष पूरे देश का संघर्ष है. लोक इंसाफ पार्टी के सिमरनजीत सिंह बैंस ने कहा कि हमारा निशाना सीधा है कि तीनों कृषि कानूनों को रद करवाना है.

ये किसान नेता हुए शामिल
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, कुलवंत सिंह, हरमीत सिंह कादियां, हरिन्दर सिंह लक्खोवाल, रुलदू सिंह मानसा, बलवंत सिंह बहरमाके, रजिन्दर सिंह, मनजीत सिंह, हरिन्दर सिंह टांडा समेत कई किसान नेता इस कचहरी में शामिल हुए.

किसको कितना मिला समय

किसान जत्थेबंदियाें की तरफ से राजनीतिक पार्टियाें को समय दिया गया था. जिससे पहले 11:15 बजे से दोपहर 12 बजे तक अकाली दल को समय दिया गया. इसके बाद कांग्रेस को दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे तक का समय दिया गया. दोपहर 12:30 बजे से 1 बजे तक आम आदमी पार्टी, एक बजे से डेढ़ बजे तक लोक इंसाफ़ पार्टी, बसपा को 1:45 से 2:15 बजे तक, 2:15 से 2:45 बजे तक लेफ्ट, 2:45 से 3 बजे तक अन्य पार्टियाें को जवाब देने का समय दिया गया. इसी तरह से संयुक्त अकाली दल को 2:45 बजे से 3:15 बजे तक का समय दिया गया.

पढ़ें- किसान पंचायत : फिर बेनतीजा रही बैठक, सिंघु और टिकरी बॉर्डर के जैसे आंदोलन करने का एलान

चंडीगढ़ : कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर पंजाब के 32 किसान संगठन एक मंच पर आ गए हैं. सियासी दलों के खिलाफ किसान संगठनों ने आज चंडीगढ़ में कचहरी लगाई जिसमें राजनीतिक दलों के नेताओं से किसान नेताओं ने सवाल-जवाब किए. इस कचहरी में हर संगठन का एक किसान नेता शामिल हुआ है. आप को बता दें कि इस मीटिंग में भाजपा नेताओं के आने की मनाही थी.

कचहरी में कांग्रेस की तरफ से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू पहुंचे. उनके साथ कार्यकारी प्रधान कुलजीत नागरा और पंजाब कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी परगट सिंह भी शामिल हुए.

सुनिए क्या बोले नेता

शिअद की तरफ से किसानों के साथ मीटिंग करने के लिए वरिष्ठ नेता बलविन्दर सिंह भूंदड़, प्रो. प्रेम सिंह चन्दूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल और डॉ.दलजीत सिंह चीमा पहुंचे. अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रो. प्रेम सिंह चन्दूमाजरा ने कहा कि माहौल को ठीक करने के लिए बैठक हो रही है. उन्होंने कहा कि बैठक करके बढ़िया रास्ते निकलते हैं, इस लिए बढ़िया है कि मीटिंग हो रही है.

कृषि कानूनों का विरोध

शिरोमणि अकाली दल (यू) के नेता परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि उनकी पार्टी की तरफ से कोई रैली नहीं की गई, लेकिन किसानों के साथ बढ़िया बात होगी. किसानों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई है. जिस तरह से एकजुट होकर मोर्चे की अगुवाई की गई है वह काबिलेतारीफ है. कोरोना के बीच आगामी चुनाव पर उन्होंने कहा कि तारीखों के एलान के बाद रैलियों पर फैसला होगा. वहीं, ब्रहपुरा ने कहा कि 500 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं लेकिन मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा.

आम आदमी पार्टी के कुलतार संधवा ने कहा कि बातचीत होनी ज़रूरी है, उन्होंने कहा कि कुछ किसान कहेंगे, और कुछ वह सुझाव रखेंगे. उन्होंने कहा कि वह भी किसान हैं और समाज दो फाड़ न हो इसलिए हम इस मीटिंग का समर्थन करते हैं. महेशइन्दर ग्रेवाल का कहना कि अकाली दल की तरफ से चिट्ठी लिखी गई थी, जिसके बाद ये मीटिंग हुई. उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष पूरे देश का संघर्ष है. लोक इंसाफ पार्टी के सिमरनजीत सिंह बैंस ने कहा कि हमारा निशाना सीधा है कि तीनों कृषि कानूनों को रद करवाना है.

ये किसान नेता हुए शामिल
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, कुलवंत सिंह, हरमीत सिंह कादियां, हरिन्दर सिंह लक्खोवाल, रुलदू सिंह मानसा, बलवंत सिंह बहरमाके, रजिन्दर सिंह, मनजीत सिंह, हरिन्दर सिंह टांडा समेत कई किसान नेता इस कचहरी में शामिल हुए.

किसको कितना मिला समय

किसान जत्थेबंदियाें की तरफ से राजनीतिक पार्टियाें को समय दिया गया था. जिससे पहले 11:15 बजे से दोपहर 12 बजे तक अकाली दल को समय दिया गया. इसके बाद कांग्रेस को दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे तक का समय दिया गया. दोपहर 12:30 बजे से 1 बजे तक आम आदमी पार्टी, एक बजे से डेढ़ बजे तक लोक इंसाफ़ पार्टी, बसपा को 1:45 से 2:15 बजे तक, 2:15 से 2:45 बजे तक लेफ्ट, 2:45 से 3 बजे तक अन्य पार्टियाें को जवाब देने का समय दिया गया. इसी तरह से संयुक्त अकाली दल को 2:45 बजे से 3:15 बजे तक का समय दिया गया.

पढ़ें- किसान पंचायत : फिर बेनतीजा रही बैठक, सिंघु और टिकरी बॉर्डर के जैसे आंदोलन करने का एलान

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