लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के एग्जीक्यूटिव मेंबर्स की बैठक रविवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में हुई. बताया जाता है कि बैठक में देश में हिजाब समेत मुसलमानों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा की गई. देशभर से आए बोर्ड के तमाम सदस्यों ने बैठक में भाग लिया. सूत्रों की मानें तो बोर्ड की बैठक में हिजाब मामले को जोरशोर से उठाया गया और बोर्ड के सदस्य इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट दिखे. यह भी कहा जा रहा है कि अब बोर्ड के सदस्य हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहे हैं.
बैठक में जोर देकर कहा गया कि इस मामले में कोर्ट नए सिरे से विचार करे. बैठक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई. बैठक में सैयद कासिम रसूल इलियास, खालिद सैफुल्लाह रहमानी, वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, जमीयत उलमा ए हिन्द चीफ मौलाना अरशद मदनी समेत तमाम लोगों ने भाग लिया.
इस संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास (Syed Qasim Rasool Ilyas) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई और उन्हें अमल में लाने पर भी सहमति बनी. उन्होंने कहा कि बैठक में हिजाब के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. इसमें, खासकर कर्नाटक में, ताकि मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों में जा सकें. उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बोर्ड ने फैसला किया है कि हिजाब के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सख्ती से लड़ाई लड़ी जाएगी और उम्मीद है कि सकारात्मक नतीजे आएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता तब तक सरकार को मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर शिक्षण संस्थानों में प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए. कासिम रसूल ने कहा कि कॉमन सिविल कोड भारतीय संविधान द्वारा सभी जनजातियों, जातियों और धर्मों के अनुयायियों को दिए गए अधिकार का हनन करता है. प्रत्येक नागरिक अपने तरीके से जीने के लिए स्वतंत्र है. ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू करना असंवैधानिक होगा.
सैयद इलियास ने कहा कि एक और महत्वपूर्ण बिंदु पर विचार किया गया कि वर्तमान में अदालतें धार्मिक पुस्तकों की अपने तरीके से व्याख्या कर रही हैं, जो चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भी बोर्ड के सभी सदस्यों ने चिंता जताई. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है और समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की गई है, जिस पर गंभीरता से विचार किया गया है. पर्सनल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन का कड़ा विरोध करता है.
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