हैदराबाद : नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस (Akshay Urja Diwas) मनाया जाता है. इसे नवीकरणीय ऊर्जा दिवस (National Renewable Day) के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए सरकारी-गैर सरकारी स्तर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसी दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी जन्म हुआ था. नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy-MNRE) की ओर से राजीव गांधी के जन्मदिन को यादगार बनाने और नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व को आम जनों तक पहुंचाने के लिए हर साल अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है.
भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस का इतिहास
उत्सव का उद्देश्य
नवीकरणीय ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा सूर्य और पवन जैसे स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा है, जो खत्म नहीं होता है. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है. यह सस्ता, इको फ्रेंडली होता है. इसका उपयोग बिजली जरूरतों को पूरा करने, परिवहन सहित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है.
नवीकरणीय ऊर्जा के प्रकार
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, जैसे बायोमास, भूतापीय संसाधन, सूरज की रोशनी, पानी और हवा, प्राकृतिक हैं. वे संसाधन जिन्हें इस प्रकार की स्वच्छ, उपयोगी ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है:
- बायोएनेर्जी (Bioenergy)
- भू - तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)
- हाइड्रोजन (Hydrogen)
- जल विद्युत (Hydropower)
- समुद्री ऊर्जा (Marine Energy)
- सौर ऊर्जा (Solar Energy)
- पवन ऊर्जा (Wind Energy)
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा
एक विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत अपनी ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है. सतत विकास के लिए अधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश के लिए प्रतिबद्ध है. दोनों का विकास किया जा रहा है. विकसित देशों के साथ-साथ पारंपरिक थर्मल उत्पादन पर बहुत अधिक निर्भर रहना जारी है, लेकिन अलग-अलग दरों पर नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की ओर परिवर्तन हो रहा है.
अग्रणी बाजार अनुसंधान के अनुसार कंपनी, चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं कोयले के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से हैं. (चीन-53.8% और भारत-12.5%) संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान जैसे विकसित देश और यूरोपीय संघ के सदस्य तेल की खपत में दबदबा. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2020 में विकास हो रहा है.
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वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा मांग का लगभग दो-तिहाई और विकास का लगभग 80% योगदान विकसित देशों का है. ऊर्जा की मांग में. हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि विकसित देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अभी भी अधिक है. अधिकांश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए विकासशील देशों की तुलना में विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार रहे हैं.
2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करना
आने वाले दशकों में भारत की ऊर्जा मांग किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक बढ़ने की उम्मीद है. इसकी बड़ी आबादी और वृद्धि और विकास की महत्वपूर्ण संभावनाओं के कारण है. इसलिए ऐसा है यह आवश्यक है कि इस नई ऊर्जा मांग का अधिकांश हिस्सा निम्न-कार्बन, नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जाए. भारत का 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने और अपनी बिजली जरूरतों का 50% पूरा करने की प्रतिबद्धता. 2030 तक नवीकरणीय स्रोत जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयास में एक ऐतिहासिक बिंदु है.
अक्षय उर्जा के क्षेत्र में उपलब्धियां
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- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है.
- अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अनुसार, भारत अब इसके लिए प्रतिबद्ध है. गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित से लगभग 50% संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करना.
- 2030 तक ऊर्जा संसाधन. अब तक कुल 167.75 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हो चुकी है. देश में 31.12.2022 तक स्थापित. इसके अलावा, 78.75 गीगावॉट क्षमता की परियोजनाएं विभिन्न अंतर्गत हैं. कार्यान्वयन के चरण और 32.60 गीगावॉट क्षमता बोली के विभिन्न चरणों में हैं.
- नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है.
- भारत पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है. पवन क्षमता 2 गुना बढ़कर 21 गीगावॉट से 42.6 हो गई.
- भारत सौर ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर है (REN21 नवीकरणीय 2022 वैश्विक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार). 2014 के बाद से सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता 2.6 गीगावॉट से 25 गुना बढ़कर 66.8 गीगावॉट हो गई है.
- स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी पनबिजली सहित) 76.37 गीगावॉट से बढ़ गई है.
- मार्च 2014 से दिसंबर 2022 में 167.75 गीगावॉट, यानी करीब 2.20 गुना की बढ़ोतरी.
- देश में कुल सौर ऊर्जा क्षमता मार्च, 2014 में 2.63 गीगावॉट से बढ़कर 63.30 हो गई है. दिसंबर 2022 में GW यानी 24.07 गुना की बढ़ोतरी.
- 2014 से लगभग 78 बिलियन USD का निवेश (जिसमें 10.27 USD बिलियन FDI निवेश (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी शामिल है.)
- 2014 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन 196 बीयू से 1.5 गुना बढ़कर 291 बीयू हो गया.
- पिछले 5 वर्षों में 63 गीगावॉट की तीसरी सबसे बड़ी आरई क्षमता वृद्धि करना.
- आईएसटीएस छूट, 2029-30 तक आरपीओ प्रक्षेपवक्र (RPO Trajectory), ग्रीन ओपन जैसे नवोन्वेषी नीतिगत हस्तक्षेप प्रवेश नियम प्रस्तुत किये गये.
केंद्र सरकार द्वारा की गई पहल
- रूफटॉप सोलर पर राष्ट्रीय पोर्टल का शुभारंभ : मंत्रालय ने इसके लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया. किसी भी हिस्से से आवासीय उपभोक्ताओं को सक्षम करने के लिए 30.07.2022 को रूफटॉप सोलर (solarrooftop.gov.in) देश के अधिकांश लोग रूफटॉप सोलर के लिए डिस्कॉम द्वारा निविदा और पैनल को अंतिम रूप देने की प्रतीक्षा किए बिना आवेदन कर सकते हैं.
- हरित हाइड्रोजन: 19,744 रुपये के प्रारंभिक परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक विकसित करने के समग्र उद्देश्य के साथ जनवरी 2023 में करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी. संबद्ध नवीकरणीय ऊर्जा के साथ प्रति वर्ष टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता 2030 तक देश में लगभग 125 GW की क्षमता वृद्धि करना.
- ऊर्जा भंडारण : भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) ने इसके लिए बोली प्रक्रिया संपन्न की टैरिफ-आधारित वैश्विक के तहत 500 मेगावाट/1000 मेगावाट स्टैंडअलोन बीईएसएस की पायलट परियोजनाएं स्थापित करना पावरग्रिड के फतेहगढ़ III सबस्टेशन पर प्रतिस्पर्धी बोली (ईएसएस-I).
- आरई में महिलाएं : नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अपने 'आरई में महिलाएं: आह्वान' (Women in RE: Call for Action). आरई क्षेत्र में महिला की भूमिका को स्वीकार करती है और आगे बढ़ने का प्रयास करती है आरई मूल्य श्रृंखला में उनके योगदान को पहचानकर व्यवहार में बदलाव लाना है.
- सौर ऊर्जा संचालित गांव : भारत का पहला 24x7 सौर ऊर्जा संचालित गांव गुजरात में 09.10.2022 को, गुजरात में मोढेरा, अपने सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध, भारत का पहला निरंतर सौर ऊर्जा से संचालित 'सूर्यग्राम' के रूप में विकसित किया गया.
- बैटरी भंडारण : मंत्रालय ने विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 14.02.2022 को एक रूपरेखा जारी की. डीआरई पहुंच और टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा (डीआरई) आजीविका मॉडल विकसित किया है. इसका फायदा ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को भी हो, इस पर काम किया जा रहा है.
- इंटरनेशनल सोलर एलायंस : एक संधि-आधारित अंतर्राष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ( International Solar Alliance-ISA) का लक्ष्य है की सौर उर्जा के लिए 2030 तक आवश्यक 1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश जुटाया जाय. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बीच 30 नवंबर 2015 में हुई बैठक के दौरान सहमति बनी की भविष्य की उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए काम लागत वाली तकनीक का उपयोग, वित्तीय, तकनीकि प्रबंधन सहित अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर साथ में काम करना है.
अक्षय ऊर्जा पोर्टल
भारत में अक्षय ऊर्जा पोर्टल (https://akshayurja.gov.in) पर देश के भीतर उर्जा जरूरतों के बारे में जानकारी के लिए नोडल पोर्टल के रूप में विकसित किया गया है. इस पोर्टल पर राज्यवार बिजली के संबंध में जानकारी प्राप्त किया जा सकता है. सौर, पवन, लघु जलविद्युत, जैव उर्जा (Bio Energy) के संबंध में क्षमता. पोर्टल पर अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र, और स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम, घर जैसे ऑफ-ग्रिड घटक, प्रकाश व्यवस्था सहित अन्य जानकारी के बारे में मासिक, वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध होता है.