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UP assembly elections 2022 : कौन हैं राजा भैया ? नहीं जानते अखिलेश यादव

आगामी यूपी चुनाव (UP assembly elections 2022) में पार्टी का खाता खोलने की आस लगाए जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतापगढ़ में ही पहचानने से इनकार कर दिया. तीन दिन पहले मुलायम सिंह यादव से मिलकर लौटे राजा भैया को करारा झटका लगा है.

akhilesh yadav etv bharat
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Published : Nov 28, 2021, 8:23 PM IST

प्रतापगढ़ : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजा भैया को करारा झटका दिया है. अखिलेश यादव प्रतापगढ़ एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान सपा और राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर अखिलेश ने कहा, कौन है राजा भैया ? उन्होंने राजा भैया को पहचानने से इनकार कर दिया.

बता दें कि 25 नवंबर को राजा भैया (raghuraj pratap singh alias raja bhaiya) सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मिलकर लौटे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की इस प्रतिक्रिया ने राजा भैया को करारा झटका दिया है. साथ ही अखिलेश यादव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सपा अभी तक जितनी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुकी है उन्हीं के साथ चुनाव लडे़गी. सपा प्रतापगढ़ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

राजा भैया को नहीं जानते अखिलेश.

अखिलेश यादव ने जिस अंदाज में मौजूदा गठबंधन को लेकर बात कही उससे लग रहा है कि वह फिलहाल राजा भैया की पार्टी से गठबंधन को लेकर इच्छुक नहीं हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह लीक सरकार है. इस सरकार में ज्यादातर पेपर लीक ही हो रहे हैं.

सब लीक पेपर की जांच एसआईटी को दी जा रही है. पेपर लीक कराने वालों के संबंध भाजपा से हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी नौजवान को नौकरी नहीं देना चाहती है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में जो चार हत्याएं हुईं हैं वह इसलिए हुईं हैं कि दलित परिवार चार सालों से रास्ता मांग रहा था. लेकिन थाने, तहसील, डीएम किसी ने भी सुनवाई नहीं की. इस विवाद में चार हत्याएं हो गईं.

उन्होंने सीएम योगी पर तंज कसते हुए कहा कि बाबा मुख्यमंत्री बोल रहे थे की लैपटॉप देंगे. किसी को यहां लैपटाप मिला क्या. हमारे बाबा सीएम लैपटाप चलाना ही नहीं जानते हैं. कहा कि किसी किसान को खाद नहीं मिल रही है. अब बोरियों में खाद कम मिलती है, लेकिन पैसा उतना ही लिया जाता है. जनता ने भाजपा सरकार को हटाने का मन बना लिया है.

तीन दिन पहले मुलायम से लखनऊ में मिले थे राजा भैया

25 नवंबर को जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कुंडा प्रतापगढ़ से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया (raghuraj pratap singh alias raja bhaiya) मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे थे. उनके अचानक वहां पहुंचने की सूचनाओं से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी. यह मुलाकात करीब 15 मिनट हुई थी. मुलायम सिंह से मिलकर लौटे राजा भैया ने अपनी इस मुलाकात को शिष्टाचार बैठक बताया था. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि वह हमेशा से ही नेता जी के करीब रहे हैं.

बड़ा सवाल, राजा भैया की पार्टी का जनाधार कैसे बढ़ेगा...

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस तरह मुकर जाने के बाद राजा भैया की पार्टी के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सामने पहले विधानसभा चुनाव में खाता खोलने की चुनौती है. हालांकि इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह लगातार छह बार से विधायक हैं, अभी तक वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. राजा भैया चाहते हैं कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी न केवल खाता खोले, बल्कि अच्छी सफलता भी हासिल करे. मुलायम सिंह यादव से उनकी मुलाकात इसी संदर्भ में देखी जा रही थी. उनकी सारी उम्मीदें अब धाराशायी हो गईं हैं, अब यह देखना रोचक होगा कि राजा भैया किसी और पार्टी का दामन थामेंगे या फिर अकेले ही अपनी पार्टी को चुनावी मैदान में उतार देंगे.

पढ़ेंः uptet exam 2021 paper leak : प्रियंका और राहुल पर बोले वीके सिंह- जो फालतू बोलते हैं, उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए

प्रतापगढ़ : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजा भैया को करारा झटका दिया है. अखिलेश यादव प्रतापगढ़ एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान सपा और राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर अखिलेश ने कहा, कौन है राजा भैया ? उन्होंने राजा भैया को पहचानने से इनकार कर दिया.

बता दें कि 25 नवंबर को राजा भैया (raghuraj pratap singh alias raja bhaiya) सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मिलकर लौटे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की इस प्रतिक्रिया ने राजा भैया को करारा झटका दिया है. साथ ही अखिलेश यादव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सपा अभी तक जितनी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुकी है उन्हीं के साथ चुनाव लडे़गी. सपा प्रतापगढ़ की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

राजा भैया को नहीं जानते अखिलेश.

अखिलेश यादव ने जिस अंदाज में मौजूदा गठबंधन को लेकर बात कही उससे लग रहा है कि वह फिलहाल राजा भैया की पार्टी से गठबंधन को लेकर इच्छुक नहीं हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह लीक सरकार है. इस सरकार में ज्यादातर पेपर लीक ही हो रहे हैं.

सब लीक पेपर की जांच एसआईटी को दी जा रही है. पेपर लीक कराने वालों के संबंध भाजपा से हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी नौजवान को नौकरी नहीं देना चाहती है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में जो चार हत्याएं हुईं हैं वह इसलिए हुईं हैं कि दलित परिवार चार सालों से रास्ता मांग रहा था. लेकिन थाने, तहसील, डीएम किसी ने भी सुनवाई नहीं की. इस विवाद में चार हत्याएं हो गईं.

उन्होंने सीएम योगी पर तंज कसते हुए कहा कि बाबा मुख्यमंत्री बोल रहे थे की लैपटॉप देंगे. किसी को यहां लैपटाप मिला क्या. हमारे बाबा सीएम लैपटाप चलाना ही नहीं जानते हैं. कहा कि किसी किसान को खाद नहीं मिल रही है. अब बोरियों में खाद कम मिलती है, लेकिन पैसा उतना ही लिया जाता है. जनता ने भाजपा सरकार को हटाने का मन बना लिया है.

तीन दिन पहले मुलायम से लखनऊ में मिले थे राजा भैया

25 नवंबर को जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कुंडा प्रतापगढ़ से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया (raghuraj pratap singh alias raja bhaiya) मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे थे. उनके अचानक वहां पहुंचने की सूचनाओं से सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी. यह मुलाकात करीब 15 मिनट हुई थी. मुलायम सिंह से मिलकर लौटे राजा भैया ने अपनी इस मुलाकात को शिष्टाचार बैठक बताया था. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि वह हमेशा से ही नेता जी के करीब रहे हैं.

बड़ा सवाल, राजा भैया की पार्टी का जनाधार कैसे बढ़ेगा...

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस तरह मुकर जाने के बाद राजा भैया की पार्टी के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सामने पहले विधानसभा चुनाव में खाता खोलने की चुनौती है. हालांकि इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह लगातार छह बार से विधायक हैं, अभी तक वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते रहे हैं. राजा भैया चाहते हैं कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी न केवल खाता खोले, बल्कि अच्छी सफलता भी हासिल करे. मुलायम सिंह यादव से उनकी मुलाकात इसी संदर्भ में देखी जा रही थी. उनकी सारी उम्मीदें अब धाराशायी हो गईं हैं, अब यह देखना रोचक होगा कि राजा भैया किसी और पार्टी का दामन थामेंगे या फिर अकेले ही अपनी पार्टी को चुनावी मैदान में उतार देंगे.

पढ़ेंः uptet exam 2021 paper leak : प्रियंका और राहुल पर बोले वीके सिंह- जो फालतू बोलते हैं, उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए

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