ETV Bharat / bharat

अखिलेश यादव का जिन्ना प्रेम, विधानसभा चुनाव में लेने के देने न पड़ जाएं

मुहम्मद अली जिन्ना आजाद भारत के हीरो कभी नहीं रहे. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले जिन्ना का राग छेड़ दिया. आखिर क्या है उनकी मंशा, क्या जिन्ना के जरिये वह मुस्लिम वोट को साधना चाहते हैं. क्या जिन्ना का दांव उल्टा पड़ सकता है, पढ़ें रिपोर्ट

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
author img

By

Published : Nov 10, 2021, 4:28 PM IST

Updated : Nov 10, 2021, 4:36 PM IST

हैदराबाद : सरदार पटेल की जयंती पर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जिन्ना की शान में कसीदे पढ़ दिए. साथ ही, उनकी तुलना गांधी और पटेल से कर दी. बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक लिया. आलोचना हुई तो अखिलेश ने विरोधियों को फिर से इतिहास पढ़ने की नसीहत भी दे दी. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि जिन्ना प्रेम दिखाकर अखिलेश ने विधानसभा चुनाव से पहले ऐतिहासिक भूल कर ली और ध्रुवीकरण के लिए तैयार बैठी भाजपा को गोल्डन चांस दे दिया. जैसी उम्मीद थी, बीजेपी अखिलेश के जिन्ना वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रही है. शायद जिन्ना का जिन्न चुनाव तक अखिलेश का पीछा नहीं छोड़े.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
अखिलेश यादव

जिन्ना की बात करने से भारत में नहीं मिलता है वोट : पॉलिटिकल एक्सपर्ट अखिलेश के जिन्ना वाले बयान को बेवजह मानते हैं. माना जाता है कि इस बार उत्तरप्रदेश में मुसलमान रणनीति के तहत वोट करेंगे . वह सिर्फ एक दल को वोट नहीं करेंगे बल्कि क्षेत्र के हिसाब से उस पार्टी को वोट देंगे, जो बीजेपी को हराने की दम रखती हो. इस लिहाज से समाजवादी पार्टी को अल्पसंख्यक वोट खुद ब खुद मिल जाता. मगर अब जिन्ना का जिन्न बीजेपी को हिंदू वोट लामबंद करने का मौका दे सकता है. अगर जिन्ना प्रकरण लंबा खिंचेगा, तो नुकसान सपा को ही होगा. भारत के मुसलमान जिन्ना से 75 साल पहले ही अपना पल्ला झाड़ चुके हैं.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने मुहम्मद अली जिन्ना को कभी नेता नहीं माना.

मुस्लिम वोट, जिसके लिए अखिलेश जिन्ना को यूपी ले आए : उत्तर प्रदेश की 130 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता अपना प्रभाव रखते हैं. इनमें से ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश की बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, मेरठ, हापुड़, बागपत में 30 से 40 फीसद मुस्लिम वोटर हैं. पूर्वांचल में गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर में मुस्लिम वोटरों का प्रतिशत 15 से 20 फीसद है. इन जिलों जब मुसलमान वोटर जाटव या दलित के साथ वोट करते हैं तो परिणाम बहुजन समाजवादी पार्टी के पक्ष में आता है. जब मुस्लिम वोट बैंक यादव बिरादरी के साथ तालमेल से एम-वाई समीकरण बनाता है, तो समाजवादी पार्टी को फायदा मिलता है.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
नरेद्र मोदी और योगी आदित्य नाथ के कारण माइनॉरिटी पॉलिटिक्स हाशिये पर चली गई है.

एम-वाई समीकरण को साधने की कोशिश : असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम यूपी की 75 जिले में से 55 जिलों की सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिनमें से ज्यादातर सीट पश्चिम यूपी की है. इसके अलावा लखीमपुर खीरी समेत जिन इलाकों में प्रियंका गांधी ने हाल के दिनों में जो पहुंच बनाई है, उन इलाकों में मुस्लिम वोटर कांग्रेस का रुख कर सकते हैं. बहुजन समाज पार्टी बड़ी तादाद में मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में उतार सकती है. पिछले 5 साल में अखिलेश एम-वाई समीकरण के M यानी मुस्लिम से दूर नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि जिन्ना के बहाने उन्होंने अपने पुराने वोटर को करीब लाने की कोशिश की है, मगर यह दांव उल्टा पड़ सकता है.

गांधी और पटेल की जिन्ना की तुलना कर अखिलेश यादव ने बड़ी गलती की है. भारतीय राजनीति में जिन्ना का नाम जिससे जुड़ा, उसका पॉलिटिकल कैरियर खत्म हो गया. पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाने के चलते आडवाणी राजनीति के हाशिए पर चले गए. अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण देश की राजनीति में मेजॉरिटी पॉलिटिक्स हो रही है. अखिलेश मॉइनॉरिटी पॉलिटिक्स के कारण हिट विकेट ही होंगे.

- योगेश मिश्र, पॉलिटिकल एक्सपर्ट

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
लालकृष्ण आडवाणी को पाकिस्तान में जिन्ना की तारीफ करना महंगा पड़ा.

बोले एक्सपर्ट, जिन्ना वाला बयान, अनुभव की कमी : पॉलिटिकल एक्सपर्ट योगेश मिश्र सपा प्रमुख की जिन्ना वाली टिप्पणी को अनुभव की कमी भी मानते हैं. उनका कहना है कि जिन्ना भारतीय मुसलमानों के आइडियल नहीं हैं. अगर ऐसा होता तो मुसलमान बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए होते. भारत में रह रहे मुसलमानों का जिन्ना से कोई लेना-देना ही नहीं है. योगेश मिश्र के अनुसार, अखिलेश यादव इतिहास के छात्र नहीं रहे हैं. उन्हें नहीं पता कि भारतीय इतिहास में गांधी, पटेल, नेहरू और जिन्ना का रोल क्या है. उन्हें सामान्य छात्र की तरह इतना ही मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम में ये सभी अंग्रेजों को खिलाफ लड़ रहे थे. अखिलेश को यह बयान देने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए था कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विश्व के 130 देशों में सम्मानीय हैं, जबकि जिन्ना सिर्फ पाकिस्तान के हैं. अखिलेश अगर अपने बयान पर कायम रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में नुकसान तय है.

हैदराबाद : सरदार पटेल की जयंती पर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जिन्ना की शान में कसीदे पढ़ दिए. साथ ही, उनकी तुलना गांधी और पटेल से कर दी. बीजेपी ने इस मुद्दे को लपक लिया. आलोचना हुई तो अखिलेश ने विरोधियों को फिर से इतिहास पढ़ने की नसीहत भी दे दी. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि जिन्ना प्रेम दिखाकर अखिलेश ने विधानसभा चुनाव से पहले ऐतिहासिक भूल कर ली और ध्रुवीकरण के लिए तैयार बैठी भाजपा को गोल्डन चांस दे दिया. जैसी उम्मीद थी, बीजेपी अखिलेश के जिन्ना वाले बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रही है. शायद जिन्ना का जिन्न चुनाव तक अखिलेश का पीछा नहीं छोड़े.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
अखिलेश यादव

जिन्ना की बात करने से भारत में नहीं मिलता है वोट : पॉलिटिकल एक्सपर्ट अखिलेश के जिन्ना वाले बयान को बेवजह मानते हैं. माना जाता है कि इस बार उत्तरप्रदेश में मुसलमान रणनीति के तहत वोट करेंगे . वह सिर्फ एक दल को वोट नहीं करेंगे बल्कि क्षेत्र के हिसाब से उस पार्टी को वोट देंगे, जो बीजेपी को हराने की दम रखती हो. इस लिहाज से समाजवादी पार्टी को अल्पसंख्यक वोट खुद ब खुद मिल जाता. मगर अब जिन्ना का जिन्न बीजेपी को हिंदू वोट लामबंद करने का मौका दे सकता है. अगर जिन्ना प्रकरण लंबा खिंचेगा, तो नुकसान सपा को ही होगा. भारत के मुसलमान जिन्ना से 75 साल पहले ही अपना पल्ला झाड़ चुके हैं.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने मुहम्मद अली जिन्ना को कभी नेता नहीं माना.

मुस्लिम वोट, जिसके लिए अखिलेश जिन्ना को यूपी ले आए : उत्तर प्रदेश की 130 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता अपना प्रभाव रखते हैं. इनमें से ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश की बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, मेरठ, हापुड़, बागपत में 30 से 40 फीसद मुस्लिम वोटर हैं. पूर्वांचल में गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मिर्जापुर में मुस्लिम वोटरों का प्रतिशत 15 से 20 फीसद है. इन जिलों जब मुसलमान वोटर जाटव या दलित के साथ वोट करते हैं तो परिणाम बहुजन समाजवादी पार्टी के पक्ष में आता है. जब मुस्लिम वोट बैंक यादव बिरादरी के साथ तालमेल से एम-वाई समीकरण बनाता है, तो समाजवादी पार्टी को फायदा मिलता है.

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
नरेद्र मोदी और योगी आदित्य नाथ के कारण माइनॉरिटी पॉलिटिक्स हाशिये पर चली गई है.

एम-वाई समीकरण को साधने की कोशिश : असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम यूपी की 75 जिले में से 55 जिलों की सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिनमें से ज्यादातर सीट पश्चिम यूपी की है. इसके अलावा लखीमपुर खीरी समेत जिन इलाकों में प्रियंका गांधी ने हाल के दिनों में जो पहुंच बनाई है, उन इलाकों में मुस्लिम वोटर कांग्रेस का रुख कर सकते हैं. बहुजन समाज पार्टी बड़ी तादाद में मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में उतार सकती है. पिछले 5 साल में अखिलेश एम-वाई समीकरण के M यानी मुस्लिम से दूर नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि जिन्ना के बहाने उन्होंने अपने पुराने वोटर को करीब लाने की कोशिश की है, मगर यह दांव उल्टा पड़ सकता है.

गांधी और पटेल की जिन्ना की तुलना कर अखिलेश यादव ने बड़ी गलती की है. भारतीय राजनीति में जिन्ना का नाम जिससे जुड़ा, उसका पॉलिटिकल कैरियर खत्म हो गया. पाकिस्तान में जिन्ना की मजार पर जाने के चलते आडवाणी राजनीति के हाशिए पर चले गए. अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण देश की राजनीति में मेजॉरिटी पॉलिटिक्स हो रही है. अखिलेश मॉइनॉरिटी पॉलिटिक्स के कारण हिट विकेट ही होंगे.

- योगेश मिश्र, पॉलिटिकल एक्सपर्ट

akhilesh yadav praised jinnah Samajwadi Party
लालकृष्ण आडवाणी को पाकिस्तान में जिन्ना की तारीफ करना महंगा पड़ा.

बोले एक्सपर्ट, जिन्ना वाला बयान, अनुभव की कमी : पॉलिटिकल एक्सपर्ट योगेश मिश्र सपा प्रमुख की जिन्ना वाली टिप्पणी को अनुभव की कमी भी मानते हैं. उनका कहना है कि जिन्ना भारतीय मुसलमानों के आइडियल नहीं हैं. अगर ऐसा होता तो मुसलमान बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए होते. भारत में रह रहे मुसलमानों का जिन्ना से कोई लेना-देना ही नहीं है. योगेश मिश्र के अनुसार, अखिलेश यादव इतिहास के छात्र नहीं रहे हैं. उन्हें नहीं पता कि भारतीय इतिहास में गांधी, पटेल, नेहरू और जिन्ना का रोल क्या है. उन्हें सामान्य छात्र की तरह इतना ही मालूम है कि स्वतंत्रता संग्राम में ये सभी अंग्रेजों को खिलाफ लड़ रहे थे. अखिलेश को यह बयान देने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए था कि भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी विश्व के 130 देशों में सम्मानीय हैं, जबकि जिन्ना सिर्फ पाकिस्तान के हैं. अखिलेश अगर अपने बयान पर कायम रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में नुकसान तय है.

Last Updated : Nov 10, 2021, 4:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.