प्रयागराज/भोपाल : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने जिस कमरे में सुसाइड किया था, उसे पुलिस ने शुरुआती जांच पड़ताल के बाद मंगलवार को सील कर दिया. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी का अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही उन्होंने पूरे मामले की हाईकोर्ट के जज के निर्देशन में जांच कराए जाने की बात कही. वहीं भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने (Pragya Singh Thakur) महंत नरेंद्र गिरी की मौत पर (Akhara Parishad President Narendra Giri) कई तरह के सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई और एनआईए को जांच सौंपनी चाहिए.
महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का दर्शन करने के बाद मीडिया से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि महन्त नरेंद्र गिरि से जुड़े हुए सभी लोग चाहते हैं कि सच्चाई सामने आनी चाहिए. इस मामले की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच होनी चाहिए, जिससे पूरी की पूरी सच्चाई जनता के सामने आए. उन्होंने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि मौत की जांच अगर सिटिंग जज करेंगे तो सभी विवाद निकालकर सामने आएंगे. अखिलेश यादव ने कहा कि संतों से बात करने पर यह जानकारी मिली है कि कई दिनों से महंत नरेंद्र गिरी मंत्री और अधिकारियों से मिलना चाहते थे. इसके साथ ही वह परेशान चल रहे थे. इसीलिए इस पूरे मामले की हाईकोर्ट के जज के निर्देशन में जांच होनी चाहिए.
प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि ये हत्या है या आत्महत्या, इसकी निष्पक्ष जांच होनी ही चाहिए. इससे पहले भी कई संत नरेन्द्र गिरी की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग कर चुके हैं. झोतेश्वर आश्रम में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand Saraswati) ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की संदिग्ध आत्महत्या (Narendra giri suicide) पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि संतों को विचलित नहीं होना चाहिए. सबसे बड़ा पाप आत्महत्या है. हत्या हुई या आत्महत्या दोनों गलत है. इस दौरान उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष CBI जांच की मांग की है.
'संत समाज के लिए बड़ी क्षति'
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत को संत समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया. उन्होंने कहा कि हमारी नरेंद्र गिरी से गंगा सफाई और गोहत्या जैसे मुद्दों पर चर्चा होती रहती थी. हमारे बहुत अच्छे संबंध थे. वहीं अखाड़ा परिषद के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के सवाल पर शंकाराचार्य ने लोकतांत्रिक पद्धति अपनाने की बात कही.
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