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जम्मू-कश्मीर में एजेकेपीसी ने की मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल दो साल तक बढ़ाने की मांग

जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की अग्रणी संस्था ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस ने सरकार से मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल तुरंत दो साल बढ़ाने की मांग की है. इसे लेकर संस्था ने जोरदार विरोध किया.

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Published : Jul 6, 2023, 7:37 PM IST

AJKPC protest
एजेकेपीसी का विरोध

श्रीनगर: निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की अग्रणी संस्था, ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस (एजेकेपीसी) ने गुरुवार को जोरदार प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल तुरंत दो साल के लिए बढ़ाना चाहिए. एजेकेपीसी नेताओं ने कहा कि सरकार को व्यवस्था में जीवंतता लाने के लिए भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के दिशानिर्देशों के अनुसार, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के सभी तीन स्तरों के लिए एक साथ चुनाव कराना चाहिए.

एजेकेपीसी अध्यक्ष अनिल शर्मा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल कम से कम दो साल और बढ़ाने और जनवरी 2026 में पंचायत चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई. अनिल शर्मा ने कहा कि मौजूदा जिला विकास परिषदों (डीडीसी) का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2025 में समाप्त होगा. 73वें संशोधन के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पीआरआई के सभी तीन स्तरों का सह-टर्मिनस होना चाहिए और इन निकायों के चुनाव 45 दिनों की अवधि के भीतर आयोजित किए जाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से ग्रामीण निकायों में जीवंतता सुनिश्चित होगी. चूंकि जिला विकास परिषदों का कार्यकाल 2025 में समाप्त होगा, इसलिए उससे पहले पंचायतों का कार्यकाल समाप्त करने का कोई तर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को इस पर निर्णय लेना चाहिए और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पंचायत इकाइयों के कार्यकाल में विस्तार देना चाहिए.

अपनी बात को सही ठहराते हुए शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2023 में समाप्त हो जाएगा और ऐसी अफवाहें हैं कि सरकार मौजूदा पंचायतों को नियत तारीख से पहले भी भंग कर सकती है और यह पंचायत सदस्यों को स्वीकार्य नहीं है और वे इसका कड़ा विरोध करेंगे. एजेकेपीसी नेता ने मनरेगा योजना के तहत उन लोगों की सभी बकाया सामग्री देनदारियों को तत्काल मंजूरी देने की भी मांग की है, जो 2016-17 से अपने भुगतान का इंतजार कर रहे थे.

शर्मा ने कहा कि इन लोगों का धैर्य खत्म हो रहा है और सरकार को बिना किसी देरी के 2016-17 से 2021-22 की अवधि के लिए उनकी देनदारियों का तुरंत भुगतान करना चाहिए. उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अस्थायी गार्ड/मालिस-चौकीदारों के सभी मुद्दों के तत्काल समाधान की भी मांग की, जिन्होंने अपनी-अपनी पंचायतों में विभिन्न ढांचागत विकास के लिए अपनी जमीन का योगदान दिया है.

श्रीनगर: निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की अग्रणी संस्था, ऑल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कॉन्फ्रेंस (एजेकेपीसी) ने गुरुवार को जोरदार प्रदर्शन किया और मांग की कि सरकार को जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल तुरंत दो साल के लिए बढ़ाना चाहिए. एजेकेपीसी नेताओं ने कहा कि सरकार को व्यवस्था में जीवंतता लाने के लिए भारतीय संविधान के 73वें संशोधन के दिशानिर्देशों के अनुसार, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के सभी तीन स्तरों के लिए एक साथ चुनाव कराना चाहिए.

एजेकेपीसी अध्यक्ष अनिल शर्मा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल कम से कम दो साल और बढ़ाने और जनवरी 2026 में पंचायत चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई. अनिल शर्मा ने कहा कि मौजूदा जिला विकास परिषदों (डीडीसी) का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2025 में समाप्त होगा. 73वें संशोधन के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि पीआरआई के सभी तीन स्तरों का सह-टर्मिनस होना चाहिए और इन निकायों के चुनाव 45 दिनों की अवधि के भीतर आयोजित किए जाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से ग्रामीण निकायों में जीवंतता सुनिश्चित होगी. चूंकि जिला विकास परिषदों का कार्यकाल 2025 में समाप्त होगा, इसलिए उससे पहले पंचायतों का कार्यकाल समाप्त करने का कोई तर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को इस पर निर्णय लेना चाहिए और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पंचायत इकाइयों के कार्यकाल में विस्तार देना चाहिए.

अपनी बात को सही ठहराते हुए शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2023 में समाप्त हो जाएगा और ऐसी अफवाहें हैं कि सरकार मौजूदा पंचायतों को नियत तारीख से पहले भी भंग कर सकती है और यह पंचायत सदस्यों को स्वीकार्य नहीं है और वे इसका कड़ा विरोध करेंगे. एजेकेपीसी नेता ने मनरेगा योजना के तहत उन लोगों की सभी बकाया सामग्री देनदारियों को तत्काल मंजूरी देने की भी मांग की है, जो 2016-17 से अपने भुगतान का इंतजार कर रहे थे.

शर्मा ने कहा कि इन लोगों का धैर्य खत्म हो रहा है और सरकार को बिना किसी देरी के 2016-17 से 2021-22 की अवधि के लिए उनकी देनदारियों का तुरंत भुगतान करना चाहिए. उन्होंने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अस्थायी गार्ड/मालिस-चौकीदारों के सभी मुद्दों के तत्काल समाधान की भी मांग की, जिन्होंने अपनी-अपनी पंचायतों में विभिन्न ढांचागत विकास के लिए अपनी जमीन का योगदान दिया है.

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