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आज है अजा एकादशी, ऐसे करें श्री हरि को प्रसन्न - आज है अजा एकादशी

अजा एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु से जुड़ी हुई मानी जाती है. अजा एकादशी के व्रत और पूजा संकल्प से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. जानिए इस व्रत के पूजन का विधान और इससे जुड़े उपाय.

अजा एकादशी
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Published : Aug 23, 2022, 12:52 PM IST

वाराणसी: सनातन धर्म में पर्व और त्योहार हर दिन मनाए जाते हैं. हर दिन कोई ना कोई पर्व और व्रत अपने आप में महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे ही आज अजा एकादशी का व्रत है. इस व्रत को करने मात्र से ही सारे दुखों का नाश होता है. पाप से मुक्ति मिलती है. भगवान श्री कृष्ण ने भी इस व्रत को महत्वपूर्ण बताते हुए व्रत करने वाले की मनोकामना पूर्ण होने के साथ ही मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक में उसके वास करने की बातें बताई हैं.

इस बारे में पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि अजा एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु से जुड़ी हुई मानी जाती है. इस दिन प्रात काल स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पीले वस्त्र पहनकर अजा एकादशी का व्रत और पूजा संकल्प करना चाहिए. वैसे पूरे दिन भगवान श्री हरि विष्णु के पूजन का विधान बताया गया है. श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या उनकी तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करने के बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, चंदन, फूल, माला उन्हें अर्पित करने के बाद विधि विधान से उनका पूजन करना चाहिए. उन्हें नैवेद्य स्वरूप जो भी हो वह अर्पित करना चाहिए.

इसे भी पढ़े-Nirjala Ekadashi 2022 निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस, जानें क्या है व्रत का उत्तम दिन और समय

इसके बाद भगवान की दीपक से आरती संपन्न करके प्रसाद का वितरण हर किसी में करना चाहिए. अपनी मनोवांछित कामना के साथ ही श्री हरि विष्णु से अपने दुख दर्द को भी साझा करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करने के साथ ही दान दक्षिणा करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करना चाहिए.

वाराणसी: सनातन धर्म में पर्व और त्योहार हर दिन मनाए जाते हैं. हर दिन कोई ना कोई पर्व और व्रत अपने आप में महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे ही आज अजा एकादशी का व्रत है. इस व्रत को करने मात्र से ही सारे दुखों का नाश होता है. पाप से मुक्ति मिलती है. भगवान श्री कृष्ण ने भी इस व्रत को महत्वपूर्ण बताते हुए व्रत करने वाले की मनोकामना पूर्ण होने के साथ ही मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक में उसके वास करने की बातें बताई हैं.

इस बारे में पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि अजा एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु से जुड़ी हुई मानी जाती है. इस दिन प्रात काल स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पीले वस्त्र पहनकर अजा एकादशी का व्रत और पूजा संकल्प करना चाहिए. वैसे पूरे दिन भगवान श्री हरि विष्णु के पूजन का विधान बताया गया है. श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या उनकी तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित करने के बाद उन्हें पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, चंदन, फूल, माला उन्हें अर्पित करने के बाद विधि विधान से उनका पूजन करना चाहिए. उन्हें नैवेद्य स्वरूप जो भी हो वह अर्पित करना चाहिए.

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इसके बाद भगवान की दीपक से आरती संपन्न करके प्रसाद का वितरण हर किसी में करना चाहिए. अपनी मनोवांछित कामना के साथ ही श्री हरि विष्णु से अपने दुख दर्द को भी साझा करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करने के साथ ही दान दक्षिणा करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करना चाहिए.

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