नई दिल्ली : भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (IRCTC) के अनुबंधों के गैर-नवीनीकरण को लेकर रेलवे यूनियन ने आरोप लगाया कि यह कदम केंद्र सरकार की रेलवे के निजीकरण की योजना का एक हिस्सा है. वे अपने ही कर्मचारियों का शोषण कर रहे हैं.
इसको लेकर अखिल भारतीय रेलवे महासंघ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 'ईटीवी भारत' से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इससे पहले भी हमने यह मुद्दा उठाया था, जब आईआरसीटीसी ने तेजस एक्सप्रेस के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया था. देखा जाए तो पूरी तरह से शोषण का मामला है. इस संबंध में हमने रेलवे बोर्ड को पत्र भी लिखा है.
उन्होंने कहा कि वे शोषण के माध्यम से निजीकरण की आधारशिला रखना चाहते हैं. इस वजह से आईआरसीटीसी के कर्मचारियों के अनुबंधों को नवीनीकृत नहीं किया जा रहा है. इतना ही कर्मचारियों के वेतन में कटौती की गई है, उन्हें कोई भत्ता नहीं मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि इसका हमने सदैव विरोध किया है, आज भी हम इसका विरोध कर रहे हैं. इन कर्मचारियों की भर्ती के लिए रेलवे बोर्ड, रेलवे मंत्री के साथ-साथ आईआरसीटीसी के अधिकारियों से बात करेंगे.
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि आईआरसीटीसी में जो कर्मचारी अनुबंध पर काम करते थे, उनका अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि उनको नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. ऐसे हालात में कोरोना महामारी की वजह से देश आर्थिक रूप से खराब स्थिति से गुजर रहा है. सरकार नौकरी देने के बजाय नौकरी छीनने का काम कर रही है.
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उन्होंने कहा, यही वो नारा है जो मोदी लगाया करते थे कि अच्छे दिन उन्हीं की सरकार में आने वाले है. इस सरकार को आम जनता की कोई परवाह नहीं है. रेलवे को कार्पोरेट हाउसेस के हाथ में बेचा जा रहा है. अडानी को रेलवे दिया जा रहा है. इसी का यह नतीजा है कि वो चाहते हैं कि इन लोगों को नौकरियों से बाहर किया जाए. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं.
इससे पहले 25 जून को सभी रेलवे जोन को पत्र लिखकर आईआरसीटीसी ने सूचित किया था कि वर्तमान परिस्थितियों में इन अनुबंधित कर्मचारियों की जरूरत नहीं है और उन्हें एक महीने की नोटिस देकर उनके अनुबंध को समाप्त किया जा सकता है.
इससे लगभग 560 कर्मियों की नौकरियां चली जाएंगी. बहरहाल कर्मियों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर मुद्दे को उठाया.