चेन्नई : पुडुचेरी में 6 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनावों में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री व ऑल इंडियन एन. रंगास्वामी कांग्रेस (एआईएनआर) के अध्यक्ष एन. रंगास्वामी अकेले ही सियासी समर में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. एआईएनआर कांग्रेस 2018 से भाजपा के साथ एक रणनीतिक गठबंधन में है और उसने कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में भी अहम भूमिका निभाई थी. सूत्रों की मानें, तो जब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में भाजपा का शासन होगा और यहां भाजपा का नया मुख्यमंत्री बनेगा, तब से ही एन. रंगास्वामी विचलित हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पुडुचेरी के प्रभारी राजीव चंद्रशेखर ने बताया, 'केंद्रीय गृह मंत्री ने सार्वजनिक रूप से राजग का मुख्यमंत्री बनाने की बात की थी, ना कि भाजपा का. भाजपा और एआईएनआर के बीच कोई समस्या नहीं है और यदि है तो हम उसे सुलझा लेंगे.'
एआईएनआर के उच्च पदस्थ सूत्रों ने के अनुसार रंगास्वामी उसी स्थिति में अपना विचार बदल सकते हैं, जब पार्टी को कुल 30 सीटों में से 18 सीटें दी जाएं.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, 'भाजपा को आलाकमान से परामर्श लेना होगा. इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. हम पुडुचेरी में सत्ता में आना चाहते हैं और इसके लिए अगर समझौता करना जरूरी है, तो हम फैसला लेंगे.'
गौरतलब है कि वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों में एआईएनआर, एआईएडीएमके और भाजपा ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था. इसमें एआईएनआर को 12 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं एआईएडीएमके और भाजपा खाली हाथ रह गए थे. एआईएनआर का तर्क है कि पुडुचेरी में भाजपा का कोई जमीनी समर्थन नहीं है. 3 फीसदी से कम वोट शेयर के साथ मुख्यमंत्री पद की मांग करना भाजपा की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है.
दूसरी ओर, भाजपा ने बाकी राज्यों की तरह यहां भी परफेक्ट सोशल इंजीनियरिंग की है और वह शक्तिशाली वन्नियार समुदाय के साथ जुड़ने की कोशिश कर रही है. पुडुचेरी में इस समुदाय की 30 फीसदी आबादी है.
वहीं बार-बार संपर्क करने के बाद भी एन. रंगस्वामी की इस मसले पर टिप्पणी नहीं मिल सकी. बता दें कि रंगास्वामी को केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में बतौर मुख्यमंत्री दो कार्यकाल मिले हैं. इसमें एक कांग्रेस के सदस्य के रूप में मिला और दूसरा अपनी पार्टी बनाने के बाद मिला.
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