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Watch Video : अहमदाबाद इसरो के डायरेक्टर बोले- चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग में मददगार होंगे यहां बने सेंसर - अहमदाबाद इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई

चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) शुक्रवार को लॉन्च किया जाएगा. अहमदाबाद इसरो द्वारा 11 अलग-अलग वस्तुएं बनाई गई हैं और चंद्रयान 3 के अंदर रखी गई हैं. इस चंद्रयान की सफल लैंडिंग के लिए काफी सावधानी बरती गई है.

Ahmedabad ISRO director Nilesh Desai
अहमदाबाद इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई
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Published : Jul 13, 2023, 10:20 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 6:55 AM IST

सुनिए नीलेश देसाई ने क्या कहा

अहमदाबाद : भारत आज एक और उपलब्धि अपने नाम करने जा रहा है. श्रीहरिकोटा से दोपहर 02:35 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-2 के अंदर, भारत ने अपने पहले प्रयास में चंद्र के दक्षिणी भाग तक सबसे दूर तक पहुंचने का रिकॉर्ड दर्ज किया था. 4 साल की छोटी सी अवधि में भारत एक बार फिर चंद्र पर अपना उपग्रह लॉन्च करने के लिए तैयार है. अहमदाबाद इसरो का चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3 Mission) को बनाने में काफी अहम योगदान रहा है.

अहमदाबाद इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई (Ahmedabad ISRO director Nilesh Desai) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि, चंद्रयान 3, चंद्रयान-2 का फालोअप मिशन है. चंद्रयान-2 सफल नहीं रहा, जिसके कारण चंद्रयान-3 बनाने का निर्णय लिया गया. कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार कल चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा. भारत के सभी इसरो ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का भी बहुत बड़ा योगदान है.

उपग्रहों के सेंसर और पेलोड का निर्माण अहमदाबाद के इसरो केंद्र में किया जाता है. चंद्र पर आसान लैंडिंग के लिए बहुत सारे सेंसर और पेलोड की आवश्यकता होती है. इन पेलोड का निर्माण अहमदाबाद इसरो में किया जाता है, जिन्हें चंद्रयान 3 में स्थापित किया गया है.

उन्होंने कहा कि ये चंद्र पर आसानी से और सफलतापूर्वक लैंडिंग में काफी मददगार साबित होगा. इसके अलावा रोवर का कैमरा सिस्टम, कार्बन अल्टीमीटर सेंसर, प्रोसेसिंग सिस्टम, इमेज मेकर जैसे 11 अलग-अलग आइटम अहमदाबाद में तैयार किए गए हैं, जिसे चंद्रयान 3 में स्थापित किया गया है.

चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में अंतर की बात करें तो कोई खास अंतर नहीं है. चंद्रयान 2 में एक ऑर्बिटर था, लेकिन इसे चंद्रयान 3 में नहीं लगाया गया. इसके अलावा, 21 छोटे सिस्टम परिवर्तन किए गए हैं, क्योंकि चंद्रयान 2 की लैंडिंग ठीक से नहीं हो पाई थी. इन 21 अलग-अलग सिस्टम को बदलने से सही लैंडिंग हो सकेगी.

अगर चंद्रयान 3 सफल होता है तो चंद्र की मिट्टी, रसायन समेत वहां के वातावरण के बारे में जानकारी मिल सकेगी. इसके अलावा इस सैटेलाइट के जरिए दिन और रात के ज्वार-भाटा के बारे में भी अधिक जानकारी मिल सकेगी.

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सुनिए नीलेश देसाई ने क्या कहा

अहमदाबाद : भारत आज एक और उपलब्धि अपने नाम करने जा रहा है. श्रीहरिकोटा से दोपहर 02:35 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-2 के अंदर, भारत ने अपने पहले प्रयास में चंद्र के दक्षिणी भाग तक सबसे दूर तक पहुंचने का रिकॉर्ड दर्ज किया था. 4 साल की छोटी सी अवधि में भारत एक बार फिर चंद्र पर अपना उपग्रह लॉन्च करने के लिए तैयार है. अहमदाबाद इसरो का चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3 Mission) को बनाने में काफी अहम योगदान रहा है.

अहमदाबाद इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई (Ahmedabad ISRO director Nilesh Desai) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि, चंद्रयान 3, चंद्रयान-2 का फालोअप मिशन है. चंद्रयान-2 सफल नहीं रहा, जिसके कारण चंद्रयान-3 बनाने का निर्णय लिया गया. कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार कल चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा. भारत के सभी इसरो ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का भी बहुत बड़ा योगदान है.

उपग्रहों के सेंसर और पेलोड का निर्माण अहमदाबाद के इसरो केंद्र में किया जाता है. चंद्र पर आसान लैंडिंग के लिए बहुत सारे सेंसर और पेलोड की आवश्यकता होती है. इन पेलोड का निर्माण अहमदाबाद इसरो में किया जाता है, जिन्हें चंद्रयान 3 में स्थापित किया गया है.

उन्होंने कहा कि ये चंद्र पर आसानी से और सफलतापूर्वक लैंडिंग में काफी मददगार साबित होगा. इसके अलावा रोवर का कैमरा सिस्टम, कार्बन अल्टीमीटर सेंसर, प्रोसेसिंग सिस्टम, इमेज मेकर जैसे 11 अलग-अलग आइटम अहमदाबाद में तैयार किए गए हैं, जिसे चंद्रयान 3 में स्थापित किया गया है.

चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में अंतर की बात करें तो कोई खास अंतर नहीं है. चंद्रयान 2 में एक ऑर्बिटर था, लेकिन इसे चंद्रयान 3 में नहीं लगाया गया. इसके अलावा, 21 छोटे सिस्टम परिवर्तन किए गए हैं, क्योंकि चंद्रयान 2 की लैंडिंग ठीक से नहीं हो पाई थी. इन 21 अलग-अलग सिस्टम को बदलने से सही लैंडिंग हो सकेगी.

अगर चंद्रयान 3 सफल होता है तो चंद्र की मिट्टी, रसायन समेत वहां के वातावरण के बारे में जानकारी मिल सकेगी. इसके अलावा इस सैटेलाइट के जरिए दिन और रात के ज्वार-भाटा के बारे में भी अधिक जानकारी मिल सकेगी.

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Last Updated : Jul 14, 2023, 6:55 AM IST
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