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अहमदाबाद विस्फोट के तीन दोषियों का दावा, दी गई थी झूठी गवाही - अयाज सैयद अहमदाबाद ब्लास्ट

अहमदाबाद विस्फोट के तीन दोषियों ने दावा किया है कि उनके खिलाफ झूठी गवाही दी गई है. उसने कहा कि धार्मिक वैमन्यस्ता की वजह से खिलाफ में गवाही दी गई है. उसका आरोप है कि अपराध शाखा के अधिकारियों के हाथों मिली धमकी और प्रलोभन के कारण एक आरोपी ही सरकारी गवाह बन गया. हालांकि अदालत के आदेश में उसकी यह दलील शामिल नहीं है.

ahmedabad blast 2008
फाइल फोटो अहमदाबाद ब्लास्ट
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Published : Feb 20, 2022, 4:24 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों ने दावा किया है कि एक वादा-माफ गवाह (अप्रूवर) ने ईर्ष्या, द्वेष और उनके धार्मिक संप्रदायों पर मतभेद के कारण उनके खिलाफ गवाही दी थी. मामले का एक आरोपी अयाज सैयद सरकारी गवाह बन गया था और उसका बयान अन्य आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित करने में महत्वपूर्ण था.

एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को इस सिलसिले में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई थी. इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे. अदालत ने मामले में 11 अन्य दोषियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. फांसी की सजा पाने वाले एक अपराधी शहाबुद्दीन शेख ने अदालत में कहा कि वह और अयाज सैयद अपराध शाखा के एक ही प्रकोष्ठ और साबरमती जेल के एक ही बैरक में थे.

अदालत के फैसले की प्रति के अनुसार, शेख ने अपने बयान में कहा था कि जेल में ही दोनों एक दूसरे से वाकिफ हुए थे और वहीं पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा के बारे में एक-दूसरे से जानकारी साझा की थी. शेख के अंग्रेजी और अरबी भाषा के अच्छे ज्ञान के बारे में सैयद को पता था. शेख के अनुसार, वह खेलों से लेकर अकादमिक प्रतियोगिताओं में सैयद (अप्रूवर) को हरा देता था, जिसकी वजह से उसके प्रति सैयद को ईर्ष्या हो गयी थी.

शेख ने अंग्रेजी में दिये अपने बयान में कहा था कि वे दोनों इस्लाम के अलग-अलग संप्रदायों के मानने वाले थे. सैयद सुन्नी बरेलवी है, जो फतेहा और दरगाह में विश्वास रखते हैं, जबकि शेख गैर-बरेलवी सुन्नी है, जो इन बातों में विश्वास नहीं करते हैं.

दोषसिद्ध सैयद ने कहा कि उसने (अप्रूवर ने) मेरे खिलाफ झूठे और बढ़ाचढ़ाकर बयान देकर नफरत, ईर्ष्या और शत्रुता पूरी कर ली. मौत की सजा पाने वाले एक अन्य दोषी मोहम्मद इकबाल कागजी ने भी कहा कि उसके खिलाफ सैयद का बयान पूरी तरह से झूठा और फर्जी था.

दोषी ने दावा किया, 'मुख्य बात यह है कि हमारी न्यायिक हिरासत के इन 10 वर्षों के दौरान उसके (सैयद) मन में मुझसे दुश्मनी थी. उसने यह मान लिया था कि उसे कभी जेल से रिहा नहीं किया जाएगा, इसलिए वह एक सरकारी गवाह बन गया और जल्द से जल्द रिहा होने के लिए पूरी तरह से झूठी और फर्जी बातें बताईं.' उसने कहा, 'मैं निश्चित तौर पर मानता हूं कि उसने (सैयद) अपनी दुश्मनी और द्वेष के कारण मेरे खिलाफ बयान दिया था.'

मौत की सजा पाने वाले एक अन्य दोषी कय्यामुद्दीन कपाड़िया ने दावा किया कि अपराध शाखा के अधिकारियों के हाथों मिली धमकी और प्रलोभन के कारण सैयद सरकारी गवाह बन गया था. हालांकि अदालत के आदेश में उसकी यह दलील शामिल नहीं है.

ये भी पढ़ें : अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में दोषियों का केस लड़ेगी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद

(पीटीआई)

अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों ने दावा किया है कि एक वादा-माफ गवाह (अप्रूवर) ने ईर्ष्या, द्वेष और उनके धार्मिक संप्रदायों पर मतभेद के कारण उनके खिलाफ गवाही दी थी. मामले का एक आरोपी अयाज सैयद सरकारी गवाह बन गया था और उसका बयान अन्य आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित करने में महत्वपूर्ण था.

एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को इस सिलसिले में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई थी. इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे. अदालत ने मामले में 11 अन्य दोषियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. फांसी की सजा पाने वाले एक अपराधी शहाबुद्दीन शेख ने अदालत में कहा कि वह और अयाज सैयद अपराध शाखा के एक ही प्रकोष्ठ और साबरमती जेल के एक ही बैरक में थे.

अदालत के फैसले की प्रति के अनुसार, शेख ने अपने बयान में कहा था कि जेल में ही दोनों एक दूसरे से वाकिफ हुए थे और वहीं पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा के बारे में एक-दूसरे से जानकारी साझा की थी. शेख के अंग्रेजी और अरबी भाषा के अच्छे ज्ञान के बारे में सैयद को पता था. शेख के अनुसार, वह खेलों से लेकर अकादमिक प्रतियोगिताओं में सैयद (अप्रूवर) को हरा देता था, जिसकी वजह से उसके प्रति सैयद को ईर्ष्या हो गयी थी.

शेख ने अंग्रेजी में दिये अपने बयान में कहा था कि वे दोनों इस्लाम के अलग-अलग संप्रदायों के मानने वाले थे. सैयद सुन्नी बरेलवी है, जो फतेहा और दरगाह में विश्वास रखते हैं, जबकि शेख गैर-बरेलवी सुन्नी है, जो इन बातों में विश्वास नहीं करते हैं.

दोषसिद्ध सैयद ने कहा कि उसने (अप्रूवर ने) मेरे खिलाफ झूठे और बढ़ाचढ़ाकर बयान देकर नफरत, ईर्ष्या और शत्रुता पूरी कर ली. मौत की सजा पाने वाले एक अन्य दोषी मोहम्मद इकबाल कागजी ने भी कहा कि उसके खिलाफ सैयद का बयान पूरी तरह से झूठा और फर्जी था.

दोषी ने दावा किया, 'मुख्य बात यह है कि हमारी न्यायिक हिरासत के इन 10 वर्षों के दौरान उसके (सैयद) मन में मुझसे दुश्मनी थी. उसने यह मान लिया था कि उसे कभी जेल से रिहा नहीं किया जाएगा, इसलिए वह एक सरकारी गवाह बन गया और जल्द से जल्द रिहा होने के लिए पूरी तरह से झूठी और फर्जी बातें बताईं.' उसने कहा, 'मैं निश्चित तौर पर मानता हूं कि उसने (सैयद) अपनी दुश्मनी और द्वेष के कारण मेरे खिलाफ बयान दिया था.'

मौत की सजा पाने वाले एक अन्य दोषी कय्यामुद्दीन कपाड़िया ने दावा किया कि अपराध शाखा के अधिकारियों के हाथों मिली धमकी और प्रलोभन के कारण सैयद सरकारी गवाह बन गया था. हालांकि अदालत के आदेश में उसकी यह दलील शामिल नहीं है.

ये भी पढ़ें : अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में दोषियों का केस लड़ेगी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद

(पीटीआई)

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