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अगस्ता वेस्टलैंड मामला: CBI ने पूर्व ब्रिगेडियर के खिलाफ रिश्वत मामले को बंद किया

सीबीआई ने सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) वीएस सैनी के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को बंद कर दिया है. जांच एजेंसी को सैनी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों का समर्थन करने वाले कोई सबूत नहीं मिले हैं.

अगस्ता वेस्टलैंड मामला
अगस्ता वेस्टलैंड मामला
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Published : Oct 25, 2022, 8:24 PM IST

नई दिल्ली: रिश्वतखोरी के आरोपों का समर्थन करने वाले कोई सबूत नहीं मिलने के बाद सीबीआई ने एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को सात साल बाद आखिरकार बंद कर दिया. वर्ष 2010 में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर के फील्ड परीक्षण के दौरान ब्रिटेन स्थित कंपनी का कथित रूप से पक्ष लेने के मामले में कड़ी पूछताछ का सामना करने वाले सेना की उड्डयन शाखा से संबंधित रहे ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) वीएस सैनी को मामला बंद होने से आखिरकार राहत मिल गई.

अधिकारियों ने बताया कि सैनी पर 2010 में हुए फील्ड मूल्यांकन परीक्षण के दौरान कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स से कंपनी का पक्ष लेने के बदले में रिश्वत मांगने का आरोप था. अधिकारियों ने बताया कि यह मामला दशकों पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के बेड़े को बदलने के लिए टोही और निगरानी अभियानों के लिए सेना की उड्डयन शाखा द्वारा 197 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता से संबंधित था.

सेना की उड्डयन शाखा ने 24 जुलाई, 2008 को प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया था, जिसके लिए तीन कंपनियों - ब्रिटेन स्थित अगस्ता वेस्टलैंड, फ्रांस स्थित यूरोकॉप्टर और रूस स्थित रोसोबोरोनोएक्सपोर्ट्स ने प्रतिक्रिया दी थी और तकनीकी एवं वाणिज्यिक प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे. यह आरोप लगाया गया था कि ब्रिगेडियर सैनी ने परीक्षण टीम के प्रभारी अधिकारी के रूप में कंपनी द्वारा आरएफपी में उल्लिखित हेलीकॉप्टर से इतर अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की एक अलग किस्म की भागीदारी की अनुमति दी थी और उन्होंने तीन फरवरी 2010 को अस्त्र उपकरण (डब्ल्यूई) निदेशालय को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में एक पत्र भी लिखा था.

पत्र में उल्लेख किया गया था कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है जिससे अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के मूल्यांकन में देरी हो सकती है. पत्र में कहा गया था कि इसका मतलब यह होगा कि ऊंचाई पर महत्वपूर्ण शीतकालीन परीक्षण करने का अवसर निकल जाएगा और परीक्षण टीम अगस्तावेस्टलैंड की सहमति से प्रावधान परीक्षण के साथ आगे बढ़ेगी.

अधिकारियों ने कहा कि डब्ल्यूई निदेशालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पूरी परीक्षण टीम ने सर्वसम्मति से परीक्षण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया था और यह ब्रिगेडियर सैनी का स्वतंत्र निर्णय नहीं था. परीक्षण के दौरान उतारे गए अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर को पहले चरण में खारिज कर दिया गया था और किसी सौदे पर हस्ताक्षर नहीं किए गए. हेलीकॉप्टरों का परीक्षण 'कोई लागत नहीं कोई प्रतिबद्धता नहीं' प्रावधान के तहत भी किया गया था, इसलिए भारत द्वारा कोई लागत वहन नहीं की गई.

सैनी के खिलाफ रिश्वत की मांग के आरोप दो साल बाद स्विस अधिकारियों द्वारा बरामद एक अहस्ताक्षरित दस्तावेज से सामने आए, जो कथित बिचौलिए गुइडो हाश्के की मां इरेरा इरमा के आवास से बरामद किया गया था, जो अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेली कॉप्टर सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में इतालवी अधिकारियों की जांच के दायरे में था.

इतालवी अभियोजक द्वारा भेजे गए न्यायिक अनुरोध पर स्विस अधिकारियों द्वारा 23 अप्रैल, 2012 को इरमा के निवास से बरामद किए गए दस्तावेज में फील्ड मूल्यांकन परीक्षण (एफईटी) के दौरान कंपनी के पक्ष में अगस्तावेस्टलैंड के एक एजेंट से सैनी द्वारा कथित तौर पर रिश्वत मांगे जाने की बात शामिल थी. मिलान की एक अदालत में अपने बयान के दौरान, हैश्के ने दावा किया था कि उसे रिश्वत की मांग से संबंधित जानकारी मिशेल से मिली थी और संबंधित दस्तावेज भारत में लिखा गया था तथा लैपटॉप पर टाइप किया गया था.

विशेष अदालत द्वारा स्विट्जरलैंड और इटली को भेजे गए न्यायिक अनुरोध के तहत भारत को उक्त दस्तावेज और हैश्के के बयान के रिकॉर्ड प्रदान किए गए थे. सीबीआई की जांच वाले वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लाए गए मिशेल ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई पूछताछ में सैनी द्वारा मांगी गई कथित रिश्वत के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रक्षा मंत्रालय के एक निदेशक के पत्र के आधार पर 12 जून 2013 को प्राथमिक जांच दर्ज की थी और लगभग सात महीने बाद तीन जनवरी 2014 को इसे प्राथमिकी में बदल दिया था. अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई को उक्त दस्तावेज में उल्लिखित रिश्वत की मांग की पुष्टि करने के लिए कोई अन्य दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य नहीं मिला, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल मामला बंद हो गया. उन्होंने कहा कि अदालत ने भी निष्कर्षों को स्वीकार कर लिया है. (पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: रिश्वतखोरी के आरोपों का समर्थन करने वाले कोई सबूत नहीं मिलने के बाद सीबीआई ने एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले को सात साल बाद आखिरकार बंद कर दिया. वर्ष 2010 में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर के फील्ड परीक्षण के दौरान ब्रिटेन स्थित कंपनी का कथित रूप से पक्ष लेने के मामले में कड़ी पूछताछ का सामना करने वाले सेना की उड्डयन शाखा से संबंधित रहे ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) वीएस सैनी को मामला बंद होने से आखिरकार राहत मिल गई.

अधिकारियों ने बताया कि सैनी पर 2010 में हुए फील्ड मूल्यांकन परीक्षण के दौरान कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स से कंपनी का पक्ष लेने के बदले में रिश्वत मांगने का आरोप था. अधिकारियों ने बताया कि यह मामला दशकों पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के बेड़े को बदलने के लिए टोही और निगरानी अभियानों के लिए सेना की उड्डयन शाखा द्वारा 197 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता से संबंधित था.

सेना की उड्डयन शाखा ने 24 जुलाई, 2008 को प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया था, जिसके लिए तीन कंपनियों - ब्रिटेन स्थित अगस्ता वेस्टलैंड, फ्रांस स्थित यूरोकॉप्टर और रूस स्थित रोसोबोरोनोएक्सपोर्ट्स ने प्रतिक्रिया दी थी और तकनीकी एवं वाणिज्यिक प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे. यह आरोप लगाया गया था कि ब्रिगेडियर सैनी ने परीक्षण टीम के प्रभारी अधिकारी के रूप में कंपनी द्वारा आरएफपी में उल्लिखित हेलीकॉप्टर से इतर अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की एक अलग किस्म की भागीदारी की अनुमति दी थी और उन्होंने तीन फरवरी 2010 को अस्त्र उपकरण (डब्ल्यूई) निदेशालय को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में एक पत्र भी लिखा था.

पत्र में उल्लेख किया गया था कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है जिससे अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के मूल्यांकन में देरी हो सकती है. पत्र में कहा गया था कि इसका मतलब यह होगा कि ऊंचाई पर महत्वपूर्ण शीतकालीन परीक्षण करने का अवसर निकल जाएगा और परीक्षण टीम अगस्तावेस्टलैंड की सहमति से प्रावधान परीक्षण के साथ आगे बढ़ेगी.

अधिकारियों ने कहा कि डब्ल्यूई निदेशालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर पूरी परीक्षण टीम ने सर्वसम्मति से परीक्षण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया था और यह ब्रिगेडियर सैनी का स्वतंत्र निर्णय नहीं था. परीक्षण के दौरान उतारे गए अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर को पहले चरण में खारिज कर दिया गया था और किसी सौदे पर हस्ताक्षर नहीं किए गए. हेलीकॉप्टरों का परीक्षण 'कोई लागत नहीं कोई प्रतिबद्धता नहीं' प्रावधान के तहत भी किया गया था, इसलिए भारत द्वारा कोई लागत वहन नहीं की गई.

सैनी के खिलाफ रिश्वत की मांग के आरोप दो साल बाद स्विस अधिकारियों द्वारा बरामद एक अहस्ताक्षरित दस्तावेज से सामने आए, जो कथित बिचौलिए गुइडो हाश्के की मां इरेरा इरमा के आवास से बरामद किया गया था, जो अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेली कॉप्टर सौदे में कथित भ्रष्टाचार के मामले में इतालवी अधिकारियों की जांच के दायरे में था.

इतालवी अभियोजक द्वारा भेजे गए न्यायिक अनुरोध पर स्विस अधिकारियों द्वारा 23 अप्रैल, 2012 को इरमा के निवास से बरामद किए गए दस्तावेज में फील्ड मूल्यांकन परीक्षण (एफईटी) के दौरान कंपनी के पक्ष में अगस्तावेस्टलैंड के एक एजेंट से सैनी द्वारा कथित तौर पर रिश्वत मांगे जाने की बात शामिल थी. मिलान की एक अदालत में अपने बयान के दौरान, हैश्के ने दावा किया था कि उसे रिश्वत की मांग से संबंधित जानकारी मिशेल से मिली थी और संबंधित दस्तावेज भारत में लिखा गया था तथा लैपटॉप पर टाइप किया गया था.

विशेष अदालत द्वारा स्विट्जरलैंड और इटली को भेजे गए न्यायिक अनुरोध के तहत भारत को उक्त दस्तावेज और हैश्के के बयान के रिकॉर्ड प्रदान किए गए थे. सीबीआई की जांच वाले वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लाए गए मिशेल ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई पूछताछ में सैनी द्वारा मांगी गई कथित रिश्वत के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रक्षा मंत्रालय के एक निदेशक के पत्र के आधार पर 12 जून 2013 को प्राथमिक जांच दर्ज की थी और लगभग सात महीने बाद तीन जनवरी 2014 को इसे प्राथमिकी में बदल दिया था. अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई को उक्त दस्तावेज में उल्लिखित रिश्वत की मांग की पुष्टि करने के लिए कोई अन्य दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य नहीं मिला, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल मामला बंद हो गया. उन्होंने कहा कि अदालत ने भी निष्कर्षों को स्वीकार कर लिया है. (पीटीआई-भाषा)

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