नई दिल्ली : राष्ट्र के समक्ष पेश आने वाली भावी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में मंगलवार को आमूलचूल परिवर्तन करते हुए, थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी 'अग्निपथ' नामक योजना की मंगलवार को घोषणा की, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी.
अधिक योग्य और युवा सैनिकों को भर्ती करने के लिए दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के संबंध में रक्षा मंत्रालय ने बताया कि योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे और चयन के लिए पात्रता आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें 'अग्निवीर' नाम दिया जाएगा.
रोजगार के पहले वर्ष में एक 'अग्निवीर' का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे. हर महीने 9,000 रुपये सरकार के समान योगदान वाले एक कोष में जाएंगे. इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा. प्रत्येक 'अग्निवीर' को 'सेवा निधि पैकेज' के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी.
यह भर्ती अखिल भारतीय, अखिल वर्ग के आधार पर की जाएगी. इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं. सशस्त्र बलों द्वारा समय-समय पर घोषित की गई संगठनात्मक आवश्यकता और सेना की नीतियों के आधार पर चार साल की सेवा पूरी होने पर अग्निवीर को सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा. योजना में नियमित सेवा के लिए हर बैच से 25 प्रतिशत सैनिकों को बरकरार रखने का प्रावधान किया गया है.
इस योजना का मकसद रक्षा विभाग के बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में योजना को मंजूरी मिलने के थोड़ी ही देर बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया को नयी पहल के बारे में पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया.
सरकार के मुताबिक, नयी योजना देशभक्त और उत्साही युवाओं को सशस्त्र बलों में चार सालों तक काम करने का मौका देगी. तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारतीय युवाओं को अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर के रूप में सशस्त्र बलों में काम करने का अवसर मिलेगा. देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए यह एक परिवर्तनकारी योजना है.'
उन्होंने कहा कि इससे सेना में अपेक्षाकृत युवा और प्रौद्योगिकी के अनुरूप स्वयं को ढालने में सक्षम सैनिक भर्ती होंगे तथा इससे सशस्त्र बलों की युद्धक क्षमता बढ़ेगी. रक्षा मंत्री ने इसे तीनों सेवाओं की मानव संसाधन नीति में नए युग की शुरुआत करने वाला एक प्रमुख रक्षा नीति सुधार बताया. उन्होंने कहा कि यह योजना तत्काल प्रभाव से लागू होगी और अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों (पीबीओआर) की भर्ती प्रक्रिया के दौरान तीनों सेवाओं में पंजीकरण इसी आधार पर होगा.
योजना के तहत ग्रेच्युटी और पेंशन लाभ की सुविधा नहीं दी जाएगी और नए रंगरूटों को सशस्त्र बलों में जारी कार्य अवधि के लिए 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा. इससे सशस्त्र बलों के बढ़ रहे वेतन और पेंशन बिलों में कटौती करने में मदद मिलेगी.
वर्ष 2022-23 के 5,25,166 करोड़ रुपये के रक्षा बजट में से सैन्यकर्मियों की पेंशन के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये हैं. राजस्व व्यय के लिए 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. राजस्व व्यय में वेतन के भुगतान और प्रतिष्ठानों के रख-रखाव पर खर्च शामिल हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या इस योजना का लक्ष्य सशस्त्र बलों के पेंशन बिल में कटौती करना है, सिंह ने कहा कि सरकार तीनों सेवाओं के लिए हमेशा पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएगी और उनके लिए धन की कमी का कोई सवाल ही नहीं है.
नई योजना के तहत चार साल के कार्यकाल में करीब ढाई से छह महीने की प्रशिक्षण अवधि शामिल होगी. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अग्निवीर सशस्त्र बलों में किसी भी मौजूदा रैंक से अलग रैंक होगा. सभी तीनों सेवाओं के लिए नामांकन एक ऑनलाइन केंद्रीकृत प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा. इसके तहत विशेष रैलियों और मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थानों से कैंपस साक्षात्कार के जरिये चयन किया जाएगा.
वर्तमान में सेना 10 साल के शुरुआती कार्यकाल के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत युवाओं की भर्ती करती है, जिसे 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है. सैन्य मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि नई भर्ती योजना से छह से सात वर्षों में एक सैनिक की औसत आयु मौजूदा 32 वर्ष से घटकर 24-26 वर्ष हो जाएगी. सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा, 'नई प्रक्रिया से हमारी भर्ती प्रक्रिया में एक आदर्श बदलाव आएगा. इससे हमारे रंगरूटों और सैनिकों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण देने के तरीके में बदलाव की आवश्यकता होगी.'
उन्होंने कहा कि सेना में सैनिकों की भर्ती के लिए तय किए गए शारीरिक, चिकित्सकीय और पेशेवर मानकों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि अग्निपथ योजना के क्रियान्वयन और स्थिरीकरण के दौरान सेना की संचालन क्षमता, सीमाओं पर रक्षा तैयारियों और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की क्षमता को पूरी तरह से बरकरार रखा जाएगा.'
जनरल पांडेय ने कहा, 'हम चार साल के लिए प्रारंभिक प्रवेश की जांच के उद्देश्य से एक निष्पक्ष, पारदर्शी और वैज्ञानिक पद्धति स्थापित करेंगे और फिर से नामांकन करने वालों का चयन करने के लिए इसी तरह के मानदंड लागू करेंगे.' सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि परिवर्तन से बल में नई शक्त’ और आत्मविश्वास आएगा जिससे इसे मजबूत और अधिक सक्षम बनाने में मदद मिलेगी. जनरल पांडे ने कहा कि योजना का उद्देश्य सेना को भविष्य के लिए तैयार एक लड़ाकू बल बनाना है, जो संघर्ष के व्यापक परिप्रेक्ष्य में कई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो.
उन्होंने कहा कि तय समय में सेना की एक उन्नत युवा प्रोफाइल तैयार हो जाएगी, जिसकी औसत उम्र 32 से घटकर 26 वर्ष हो जाएगी. रक्षा मंत्री ने कहा कि सभी अग्निवीर के पास चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद विभिन्न राज्यों और निजी क्षेत्र में रोजगार मिलने की उज्ज्वल संभावनाएं होंगी. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि नई योजना के तहत महिलाओं को भी सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा. हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इस योजना के तहत महिलाओं की भर्ती संबंधित सेवाओं की जरूरतों पर निर्भर करेगी.
एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना गतिशील युवाओं के स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही है और यह उन्हें उच्च तकनीक वाले वातावरण में प्रशिक्षित करके भविष्य के रोजगार के लिए उनके कौशल को बेहतर बनाएगी. सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों ने अग्निपथ योजना पर मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसके तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना में संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) विनोद भाटिया ने कहा, 'अग्निपथ योजना या ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ जांची परखी नहीं है, कोई प्रायोगिक परियोजना नहीं, सीधे इसका कार्यान्वयन किया जा रहा है। इससे समाज का सैन्यीकरण होगा, साल-दर-साल लगभग 40,000 (75 प्रतिशत) युवा नौकरी के बिना खारिज और निराश, हथियारों में अर्ध प्रशिक्षित पूर्व अग्निवीर होंगे। अच्छा विचार नहीं। किसी को फायदा नहीं होगा.'
22 साल तक भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में सेवा देने वाले ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) नितिन वेल्डे ने कहा कि इस योजना की आलोचना या सराहना करना जल्दबाजी होगी. मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) बी एस धनोआ ने कहा कि योजना की परिकल्पना और कार्यान्वयन लागत में कटौती को ध्यान में रखते हुए किया गया है, लेकिन यह 21 वीं सदी की सेना में आवश्यक बड़े सुधारों के लिए उत्प्रेरक साबित हो सकता है.
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) यश मोर ने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि वह सबसे अधिक उन लाखों युवाओं को लेकर (निराशा) महसूस करते हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में भर्ती की सारी उम्मीद खो दी है। मोर ने ट्वीट किया, सेवा मुख्यालय भी इसे लागू करने के लिए अनिच्छुक प्रतीत होता है.
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ योजना पूर्ववर्ती सैन्य परंपरा, लोकाचार, नैतिकता और मूल्यों के अनुरूप नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह सेना की दक्षता और प्रभावशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी.’’ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) पी आर शंकर ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘टूर आफ ड्यूटी अच्छा विचार नहीं लगता. सावधानी से आगे बढ़ें.’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने अग्निपथ योजना शुरू किए जाने का स्वागत करते हुए इसे क्रांतिकारी पहल बताया.
केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों में मिशन मोड में अगले डेढ़ साल के भीतर 10 लाख लोगों की भर्ती करने संबंधी निर्देश की भी जमकर सराहना की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जहां इसे युवाओं को अपना एवं देश का सुनहरा कल बनाने का एक अद्भुत अवसर करार दिया वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के फैसले दर्शाते हैं कि उनकी सरकार का जोर युवाओं के लिए रोजगार निर्माण पर और केंद्र में काम के बोझ का प्रभावी प्रबंधन करने पर है.