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Singur Verdict for WB Govt: सिंगूर फैसले के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने किया कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला - Singur Verdict for WB Govt

पश्चिम बंगाल सरकार ने सिंगुर पर मध्यस्थ नायाधिकरण के फैसले के बाद कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया है. बता दें कि इस फैसले में राज्य सरकार को टाटा समूह को मुआवजे के तौर पर 765.78 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. Singur Verdict for WB Govt, West Bengal Government, Tata Group.

Singur Verdict for WB Govt
पश्चिम बंगाल सरकार के लिए सिंगूर फैसला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 31, 2023, 4:42 PM IST

कोलकाता: सिंगुर पर मध्यस्थ न्यायाधिकरण के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को टाटा समूह को मुआवजे के रूप में 765.78 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहने के बाद, सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया है. उस मुआवजे के अलावा राज्य को 1 सितंबर 2016 से 11 फीसदी ब्याज भी देना होगा.

इसके अलावा, मामले की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये टाटा समूह को दिए जाने हैं. कुल मिलाकर करीब 2 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे. ऐसे में हर किसी को फैसले पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार था. पश्चिम बंगाल सरकार के लिए उच्च न्यायालयों में अपील करने का अवसर है. इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में अपील की गुंजाइश है.

नतीजतन, सोमवार के फैसले पर एक बार फिर लंबी कानूनी लड़ाई चल सकती है. राज्य सचिवालय नबान्न के सूत्रों के मुताबिक, फैसले के बाद राज्य पूरे मामले में कानूनी राह पर चलना चाहता है. राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने पहले ही विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है. पता चला है कि राज्य फैसले को चुनौती देगा.

संयोग से, राज्य सरकार ने ट्रिब्यूनल द्वारा आदेशित मुआवजे की राशि पर आपत्ति जताई है. राज्य सरकार भी इस आंकड़े पर सवाल उठाती है. पैसों को लेकर असहमति की बात पता चली है. जानकारी सामने आई है कि राज्य ने फैसले की प्रति हासिल करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. इसके बाद मुख्य सचिव कानूनी सलाह लेना शुरू करेंगे. संयोग से फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने साफ कहा कि राज्य सरकार इसे देखते हुए कानूनी कार्रवाई करेगी.

2011 में सत्ता में आने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में सिंगुर के अवैध भूमि अधिग्रहण को पलटने का निर्णय लिया गया. तब सुप्रीम कोर्ट ने सिंगुर के भूमि अधिग्रहण को अवैध और भूमि अधिनियम के विपरीत घोषित कर दिया. इस मामले में किसानों से जबरन जमीन अधिग्रहीत कर टाटा को सौंप दी गई.

चद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि 'इस मामले में, WBIDC ने ट्रिब्यूनल में मुआवजे की मांग के लिए टाटा समूह के साथ एक मूक समझौता किया है. टाटा का कदम वास्तव में सीपीएम द्वारा रचित योजना का हिस्सा है. हमारी सरकार को ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील करनी चाहिए.'

कोलकाता: सिंगुर पर मध्यस्थ न्यायाधिकरण के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को टाटा समूह को मुआवजे के रूप में 765.78 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहने के बाद, सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया है. उस मुआवजे के अलावा राज्य को 1 सितंबर 2016 से 11 फीसदी ब्याज भी देना होगा.

इसके अलावा, मामले की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये टाटा समूह को दिए जाने हैं. कुल मिलाकर करीब 2 हजार करोड़ रुपये चुकाने होंगे. ऐसे में हर किसी को फैसले पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार था. पश्चिम बंगाल सरकार के लिए उच्च न्यायालयों में अपील करने का अवसर है. इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में अपील की गुंजाइश है.

नतीजतन, सोमवार के फैसले पर एक बार फिर लंबी कानूनी लड़ाई चल सकती है. राज्य सचिवालय नबान्न के सूत्रों के मुताबिक, फैसले के बाद राज्य पूरे मामले में कानूनी राह पर चलना चाहता है. राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने पहले ही विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है. पता चला है कि राज्य फैसले को चुनौती देगा.

संयोग से, राज्य सरकार ने ट्रिब्यूनल द्वारा आदेशित मुआवजे की राशि पर आपत्ति जताई है. राज्य सरकार भी इस आंकड़े पर सवाल उठाती है. पैसों को लेकर असहमति की बात पता चली है. जानकारी सामने आई है कि राज्य ने फैसले की प्रति हासिल करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. इसके बाद मुख्य सचिव कानूनी सलाह लेना शुरू करेंगे. संयोग से फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने साफ कहा कि राज्य सरकार इसे देखते हुए कानूनी कार्रवाई करेगी.

2011 में सत्ता में आने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में सिंगुर के अवैध भूमि अधिग्रहण को पलटने का निर्णय लिया गया. तब सुप्रीम कोर्ट ने सिंगुर के भूमि अधिग्रहण को अवैध और भूमि अधिनियम के विपरीत घोषित कर दिया. इस मामले में किसानों से जबरन जमीन अधिग्रहीत कर टाटा को सौंप दी गई.

चद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि 'इस मामले में, WBIDC ने ट्रिब्यूनल में मुआवजे की मांग के लिए टाटा समूह के साथ एक मूक समझौता किया है. टाटा का कदम वास्तव में सीपीएम द्वारा रचित योजना का हिस्सा है. हमारी सरकार को ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील करनी चाहिए.'

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