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फिलीपींस के बाद ब्राजील, चिली के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें: ब्रह्मोस सीईओ

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीएमडी और सीईओ अतुल राणे ने कहा कि अगले तीन वर्षों में ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात में बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. ये एक प्रमुख सैन्य उपकरण निर्माता, रक्षा निर्यात और विक्रेता बनने की भारत की महत्वाकांक्षाओं के लिए गेम-चेंजर हो सकता है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीव कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

After Philippines, Brahmos missiles for Brazil, Chile: Brahmos CEO
फिलीपींस के बाद ब्राजील, चिली के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें: ब्रह्मोस सीईओ
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Published : Aug 2, 2022, 2:14 PM IST

नई दिल्ली: ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रमुख ने सोमवार को एक रूसी समाचार एजेंसी को बताया कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के कुल निर्यात ऑर्डर 4 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीएमडी और सीईओ अतुल राणे ने कहा, 'निर्यात अगले तीन वर्षों में 2.5 बिलियन डॉलर से 3 बिलियन डॉलर हो सकता है. हम इस तरह की बिक्री की उम्मीद करते हैं.'

फिलीपींस को ब्रह्मोस की तीन बैटरी बेचने के लिए जनवरी 2022 में 375 मिलियन डॉलर (2,770 करोड़ रुपये) का अनुबंध करने के बाद, ब्राजील और चिली के साथ बातचीत जारी है. राणे ने वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, यूएई और सऊदी अरब सहित अन्य देशों और भौगोलिक क्षेत्रों का नाम लेते हुए कहा, 'लैटिन अमेरिका (ब्राजील और चिली) में थोड़ा और समय लग सकता है, यानी शायद तीन या चार साल.'

समाचार एजेंसी ने राणे के हवाले से कहा कि वार्ता केवल उन देशों के साथ है जिनके रूस के साथ मैत्रीपूर्ण आर्थिक संबंध हैं. उन्होंने कहा, 'हम उस देश से बात नहीं कर सकते जहां रूस की साझेदारी या बिक्री नहीं है.' उन्होंने कहा कि एक देश को बातचीत करने के लिए 'दोस्ताना' की श्रेणी में आना चाहिए. 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन के आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए नए पश्चिमी प्रतिबंधों पर राणे ने संकेत दिया कि संभावना और इसे दूर करने के तरीकों पर बहुत पहले काम किया गया था.

जब पश्चिमी दुनिया ने रूस में जाने वाले डॉलर पर प्रतिबंध लगाए, तो हमने उस समस्या को बहुत पहले ही सुलझा लिया था. यह मत भूलो कि रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध और पश्चिमी प्रतिबंध सीरिया के बाद से क्रीमिया और अब वर्तमान स्थिति आपके सामने है ... ब्रह्मोस इन सभी प्रतिबंधों से गुजरा है. 'ब्रह्मोस' का नाम ब्रह्मपुत्र नदी और रूस में मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है.

ये भी पढ़ें- Indigo की फ्लाइट के नीचे आई की कार, पहिये से टकराने से बची

इसे 1998 में भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी राज्य के स्वामित्व वाली एनपीओ मशिनोस्त्रोईनियां ( NPO Mashinostroyenia) के बीच स्थापित एक संयुक्त उद्यम का एक उत्पाद है. सभी ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया जाता है, जहां भारत की 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ब्रह्मोस की बिक्री से उत्पन्न संपूर्ण राजस्व को अनुसंधान और विकास (R&D) गतिविधि के लिए अलग रखा जाता है ताकि मिसाइल को और विकसित किया जा सके और इसे तकनीकी रूप से उन्नत किया जा सके.

नई दिल्ली: ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रमुख ने सोमवार को एक रूसी समाचार एजेंसी को बताया कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के कुल निर्यात ऑर्डर 4 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीएमडी और सीईओ अतुल राणे ने कहा, 'निर्यात अगले तीन वर्षों में 2.5 बिलियन डॉलर से 3 बिलियन डॉलर हो सकता है. हम इस तरह की बिक्री की उम्मीद करते हैं.'

फिलीपींस को ब्रह्मोस की तीन बैटरी बेचने के लिए जनवरी 2022 में 375 मिलियन डॉलर (2,770 करोड़ रुपये) का अनुबंध करने के बाद, ब्राजील और चिली के साथ बातचीत जारी है. राणे ने वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, यूएई और सऊदी अरब सहित अन्य देशों और भौगोलिक क्षेत्रों का नाम लेते हुए कहा, 'लैटिन अमेरिका (ब्राजील और चिली) में थोड़ा और समय लग सकता है, यानी शायद तीन या चार साल.'

समाचार एजेंसी ने राणे के हवाले से कहा कि वार्ता केवल उन देशों के साथ है जिनके रूस के साथ मैत्रीपूर्ण आर्थिक संबंध हैं. उन्होंने कहा, 'हम उस देश से बात नहीं कर सकते जहां रूस की साझेदारी या बिक्री नहीं है.' उन्होंने कहा कि एक देश को बातचीत करने के लिए 'दोस्ताना' की श्रेणी में आना चाहिए. 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन के आक्रमण के बाद रूस पर लगाए गए नए पश्चिमी प्रतिबंधों पर राणे ने संकेत दिया कि संभावना और इसे दूर करने के तरीकों पर बहुत पहले काम किया गया था.

जब पश्चिमी दुनिया ने रूस में जाने वाले डॉलर पर प्रतिबंध लगाए, तो हमने उस समस्या को बहुत पहले ही सुलझा लिया था. यह मत भूलो कि रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध और पश्चिमी प्रतिबंध सीरिया के बाद से क्रीमिया और अब वर्तमान स्थिति आपके सामने है ... ब्रह्मोस इन सभी प्रतिबंधों से गुजरा है. 'ब्रह्मोस' का नाम ब्रह्मपुत्र नदी और रूस में मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है.

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इसे 1998 में भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी राज्य के स्वामित्व वाली एनपीओ मशिनोस्त्रोईनियां ( NPO Mashinostroyenia) के बीच स्थापित एक संयुक्त उद्यम का एक उत्पाद है. सभी ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया जाता है, जहां भारत की 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि रूस की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ब्रह्मोस की बिक्री से उत्पन्न संपूर्ण राजस्व को अनुसंधान और विकास (R&D) गतिविधि के लिए अलग रखा जाता है ताकि मिसाइल को और विकसित किया जा सके और इसे तकनीकी रूप से उन्नत किया जा सके.

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