हल्द्वानी : मिनिस्ट्री ऑफ चाय यानी चाय मंत्रालय का नाम सुनकर हर कोई चौंक जाएगा. लेकिन हल्द्वानी में दो युवकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अक्सर चाय की चर्चा किए जाने से प्रेरणा लेते हुए अपनी चाय की दुकान का नाम मिस्ट्री ऑफ चाय यानी चाय मंत्रालय रख लिया. हल्द्वानी के पीली कोठी के पास चाय मंत्रालय की दुकान इन दिनों खूब चर्चा में है. लोग चाय मंत्रालय में पहुंच अपने मनपसंद फ्लेवर के चाय की चुस्की ले रहे हैं.
लॉकडाउन में चली गई नौकरी
हल्द्वानी के रहने वाले सारांश सती और अंकित ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में एक होटल में नौकरी करते थे. लॉकडाउन में नौकरी चली जाने के बाद दोनों हल्द्वानी पहुंच गए. उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ नया कर गुजरने का जज्बा रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा ली. उनके मन में आया कि क्यों ना चाय की दुकान खोल ली जाए. दोनों दोस्तों ने अपनी योजना को मूर्त रूप दिया. चाय की दुकान खोल ली. अपनी दुकान को चाय मंत्रालय का नाम दे दिया. इसके बाद उन्होंने चाय की दुकान की शुरुआत करते हुए उसका नाम मिनिस्ट्री ऑफ चाय रख दिया. फिर क्या था, उनकी चाय की दुकान चल पड़ी है. चाय के शौकीन उनकी चाय मंत्रालय दुकान में पहुंच चाय की चुस्की ले रहे हैं.
चॉकलेट से लेकर गुलाब फ्लेवर की चाय
उनके चाय मंत्रालय में गरीब से लेकर अमीरों तक का ख्याल रखा गया है. यहां चाय की कीमत ₹10 से लेकर ₹50 तक रखी गई है. चॉकलेट चाय, अदरक चाय, रोज चाय, इलायची चाय, पान चाय, मसाला चाय, केसर चाय, तुलसी चाय, लेमन टी, मिनट टी इस दुकान पर उपलब्ध हैं. दुकान में कॉफी के शौकीनों का भी ख्याल रखा गया है. सभी प्रकार के कॉफी भी उपलब्ध हैं. दुकान संचालक सारांश सती के मुताबिक दुकान पर रोजाना ढाई सौ से 300 चाय की बिक्री होती हैं. जिससे वह रोजाना करीब 10 हजार की बिक्री कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि चाय मंत्रालय नाम सुनकर दूर-दूर से लोग चाय पीने के लिए पहुंचते हैं.
चाय मंत्रालय में होती है दुनिया भर की गॉशिप
सारांश के अनुसार दुकान में चाय की चुस्की के साथ राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं आम बात है. इसके साथ-साथ प्रेमी जोड़े भी चाय पीकर प्यार की बातें करते हैं. सारांश ने बताया कि सभी प्रकार के लोग उनके चाय मंत्रालय में पहुंचते हैं और उनकी चाय को पसंद करते हैं. लोग चाय की चुस्की लेकर अपनी दिनचर्या की शुरुआत के साथ-साथ शाम की थकान भी मिटाते हैं. यही नहीं चाय की दुकान में स्लोगन के माध्यम से लोगों को कई तरह के संदेश भी दिए गए हैं. सारांस का कहना है कि इन संदेशों के माध्यम से लोग समाज में अच्छा मैसेज दे सकें.
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अंकित और सारांश की कहानी बताती है कि चाहे कैसी भी परिस्थितियां जीवन में आ जाएं, हार नहीं माननी है. जिंदगी कोई न कोई रास्ता जरूर दिखाती है. बस उस इशारे को समझने की जरूरत है. आज अंकित और सारांश अपने चाय मंत्रालय की सफलता से लॉकडाउन में नौकरी खोने वाले कई अन्य लोगों और बेरोजगारों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं.