ETV Bharat / bharat

आईपीसी की धाराओं में बदलाव के बाद अभ्यर्थियों को नए सिरे से शुरू करनी होगी न्यायिक सेवा की तैयारी, जानिए क्या बोले विशेषज्ञ - भारतीय दंड संहिता की धाराओं की संख्या

लोकसभा में केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं की संख्या आधी करने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू भी किया जा सकता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 8, 2023, 8:19 PM IST

विशेषज्ञ नितिन राकेश ने दी जानकारी

लखनऊ : लोकसभा में केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं की संख्या आधी करने का प्रस्ताव रखा है. शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जा सकता है. ऐसे में अगले साल होने वाली न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को सभी सेक्शन को नए सिरे से याद करना होगा. इसके अलावा कई वर्गों का आपस में समायोजन होने से न्यायिक सेवा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. कानून में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ज्यूडिशियरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को पुराने कानून के साथ ही नए संशोधन पर भी पूरा फोकस करना होगा, क्योंकि उन्हें दोनों ही कानून के बारे में अच्छी जानकारी होना बहुत जरूरी है.

न्यायिक सेवा की तैयारी
न्यायिक सेवा की तैयारी


विशेषज्ञ नितिन राकेश ने बताया कि 'विशेष तौर पर जो अभ्यर्थी सिविल जज जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें इस नए कानून को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है. उन्हें लग रहा है कि नया दंड संहिता आने के बाद सब कुछ बदल जाएगा. उन्होंने बताया कि परीक्षा में पैटर्न का बदलाव तो नया कानून आने के बाद ही होगा. लेकिन अभ्यर्थियों को नए और पुराने दोनों कानून के बारे में जानकारी होना आवश्यक है. प्रतियोगी परीक्षा में इन दोनों से ही सवाल पूछे जा सकते हैं. इसके अलावा एक बार सलेक्शन होने के बाद जब वह न्यायिक सेवा में आएंगे तब उन्हें वर्षों पुराने मुकदमों को सुनना पड़ेगा. ऐसे में दोनों कानून का ज्ञान होने पर ही वह मुकदमे की सुनवाई कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि ऐसे में पुराने कानून को पूरी तरह से नहीं हटाया जाएगा, प्रतियोगी परीक्षा करने वाले छात्रों को उन्हें जानना ही पड़ेगा.'


नितिन प्रकाश ने बताया कि 'सरकार कानून में तो बदलाव करेगी, लेकिन उनके मूल सिद्धांत में अगर परिवर्तन करती है तो अभ्यर्थियों को दिक्कत होगी. फिर उन्हें तैयारी करने में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अगर सरकार सिर्फ धाराओं का संशोधन कर देती है और किसी अपराध या कानून के मूल सिद्धांत में परिवर्तन नहीं करती है तो ज्यादा मुश्किल नहीं होगी. उन्होंने बताया कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी पिछले ही साल उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा के सिलेबस में बदलाव किया है. अगर उसे तरह ही कुछ बदलाव होता है तो अभ्यर्थियों को कुछ ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं होगा, लेकिन अगर इसमें कुछ बहुत बड़ा संशोधन हो जाता है, विशेष तौर पर पुराने कानून को किस तरह से लागू किया जाएगा और पढ़ाया जाएगा उस दिक्कतें होंगी.'

यह भी पढ़ें : जेपी सैनी बने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति

यह भी पढ़ें : Polytechnic Exam : उत्तर पुस्तिका पर मोबाइल नंबर लिखने वाले सभी छात्र UFM में डाले जाएंगे, परीक्षक के खिलाफ होगी FIR

विशेषज्ञ नितिन राकेश ने दी जानकारी

लखनऊ : लोकसभा में केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं की संख्या आधी करने का प्रस्ताव रखा है. शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जा सकता है. ऐसे में अगले साल होने वाली न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को सभी सेक्शन को नए सिरे से याद करना होगा. इसके अलावा कई वर्गों का आपस में समायोजन होने से न्यायिक सेवा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. कानून में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ज्यूडिशियरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को पुराने कानून के साथ ही नए संशोधन पर भी पूरा फोकस करना होगा, क्योंकि उन्हें दोनों ही कानून के बारे में अच्छी जानकारी होना बहुत जरूरी है.

न्यायिक सेवा की तैयारी
न्यायिक सेवा की तैयारी


विशेषज्ञ नितिन राकेश ने बताया कि 'विशेष तौर पर जो अभ्यर्थी सिविल जज जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उन्हें इस नए कानून को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है. उन्हें लग रहा है कि नया दंड संहिता आने के बाद सब कुछ बदल जाएगा. उन्होंने बताया कि परीक्षा में पैटर्न का बदलाव तो नया कानून आने के बाद ही होगा. लेकिन अभ्यर्थियों को नए और पुराने दोनों कानून के बारे में जानकारी होना आवश्यक है. प्रतियोगी परीक्षा में इन दोनों से ही सवाल पूछे जा सकते हैं. इसके अलावा एक बार सलेक्शन होने के बाद जब वह न्यायिक सेवा में आएंगे तब उन्हें वर्षों पुराने मुकदमों को सुनना पड़ेगा. ऐसे में दोनों कानून का ज्ञान होने पर ही वह मुकदमे की सुनवाई कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि ऐसे में पुराने कानून को पूरी तरह से नहीं हटाया जाएगा, प्रतियोगी परीक्षा करने वाले छात्रों को उन्हें जानना ही पड़ेगा.'


नितिन प्रकाश ने बताया कि 'सरकार कानून में तो बदलाव करेगी, लेकिन उनके मूल सिद्धांत में अगर परिवर्तन करती है तो अभ्यर्थियों को दिक्कत होगी. फिर उन्हें तैयारी करने में ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अगर सरकार सिर्फ धाराओं का संशोधन कर देती है और किसी अपराध या कानून के मूल सिद्धांत में परिवर्तन नहीं करती है तो ज्यादा मुश्किल नहीं होगी. उन्होंने बताया कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी पिछले ही साल उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा के सिलेबस में बदलाव किया है. अगर उसे तरह ही कुछ बदलाव होता है तो अभ्यर्थियों को कुछ ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं होगा, लेकिन अगर इसमें कुछ बहुत बड़ा संशोधन हो जाता है, विशेष तौर पर पुराने कानून को किस तरह से लागू किया जाएगा और पढ़ाया जाएगा उस दिक्कतें होंगी.'

यह भी पढ़ें : जेपी सैनी बने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति

यह भी पढ़ें : Polytechnic Exam : उत्तर पुस्तिका पर मोबाइल नंबर लिखने वाले सभी छात्र UFM में डाले जाएंगे, परीक्षक के खिलाफ होगी FIR

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.