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अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अफगानिस्तान को दोहरी शांति की जरूरत : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने की घोषणा एक बड़ा कदम है. जो इस युद्धग्रस्त देश को एक निश्चित दिशा में ले जाएगी और ऐसे में सभी पक्षकारों को यह सुनिश्चित करने के लिये काम करना चाहिए कि यह दिशा सही हो एवं इसका परिणाम अफगान लोगों के हित में हो.

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Published : Apr 16, 2021, 10:38 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्री जयशंकर ने रायसीना डॉयलाग में ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब के साथ चर्चा के दौरान कहा कि अफगानिस्तान को दोहरी शांति की जरूरत है.

विदेश मंत्री ने कहा कि यह शांति देश के भीतर और उसके आसपास हो. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों की सुरक्षा के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप तथा अन्य पड़ोसी देशों के उसके संबंधों के माध्यम से, जो भी हो सकेगा, वह करेगा.

विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा हमेशा से मानना रहा है कि यह अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व और उसके द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया होनी चाहिए. वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब ने कहा कि उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर चर्चा की है और अगले कुछ दिनों में एक दल बनाया जाएगा जो अमेरिका और नाटो के साथ परिवर्तन की योजना पर काम करेगा.

उन्होंने कहा कि बाइडेन की अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद जो बड़ी तस्वीर उभरी है, उसके बाद अब तालिबान के लिए अफगानिस्तान में हिंसा जारी रखने का कोई कारण नहीं बनता है. अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि यह स्थिति अब नहीं रह गई है कि हिंसा जारी रखें और मैं समझता हूं कि उनके (तालिबान) लिए अफगानिस्तान की सरकार के साथ वास्तव में शांति कायम करने और राजनीतिक समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनने का यही समय है.

दूसरी ओर ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि अमेरिका का अंतत: अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा और प्रतिबद्धता सकारात्मक कदम है. इसे क्षेत्र की उस वास्तविकता के आलोक में देखा जाना चाहिए कि विदेशी बलों की उपस्थिति ने कभी भी शांति एवं स्थिरता में योगदान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि तालिबान को अब अफगानिस्तान की सरकार, वहां के लोगों एवं देश के विभिन्न समूहों के साथ वार्ता शुरू कर देनी चाहिए. अब व्यापक संवाद होना चाहिए.

यह भी पढ़ें-बंगाल चुनाव को लेकर EC की नई गाइडलाइन, अब 72 घंटे पहले थमेगा प्रचार

उन्होंने कहा कि परिणाम का इंतजार करना शून्य पैदा कर देगा और तालिबान की इस शून्य को भरने की आकांक्षा एक मुसीबत साबित होगी. जरीफ ने कहा कि यह अफगानिस्तान में नए युद्ध का आधार तैयार करेगी और इस क्षेत्र में हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.

नई दिल्ली : विदेश मंत्री जयशंकर ने रायसीना डॉयलाग में ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब के साथ चर्चा के दौरान कहा कि अफगानिस्तान को दोहरी शांति की जरूरत है.

विदेश मंत्री ने कहा कि यह शांति देश के भीतर और उसके आसपास हो. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के सर्वश्रेष्ठ हितों की सुरक्षा के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप तथा अन्य पड़ोसी देशों के उसके संबंधों के माध्यम से, जो भी हो सकेगा, वह करेगा.

विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा हमेशा से मानना रहा है कि यह अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व और उसके द्वारा नियंत्रित प्रक्रिया होनी चाहिए. वहीं, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहीब ने कहा कि उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ अफगानिस्तान में उभरती स्थिति पर चर्चा की है और अगले कुछ दिनों में एक दल बनाया जाएगा जो अमेरिका और नाटो के साथ परिवर्तन की योजना पर काम करेगा.

उन्होंने कहा कि बाइडेन की अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा के बाद जो बड़ी तस्वीर उभरी है, उसके बाद अब तालिबान के लिए अफगानिस्तान में हिंसा जारी रखने का कोई कारण नहीं बनता है. अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि यह स्थिति अब नहीं रह गई है कि हिंसा जारी रखें और मैं समझता हूं कि उनके (तालिबान) लिए अफगानिस्तान की सरकार के साथ वास्तव में शांति कायम करने और राजनीतिक समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनने का यही समय है.

दूसरी ओर ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि अमेरिका का अंतत: अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा और प्रतिबद्धता सकारात्मक कदम है. इसे क्षेत्र की उस वास्तविकता के आलोक में देखा जाना चाहिए कि विदेशी बलों की उपस्थिति ने कभी भी शांति एवं स्थिरता में योगदान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि तालिबान को अब अफगानिस्तान की सरकार, वहां के लोगों एवं देश के विभिन्न समूहों के साथ वार्ता शुरू कर देनी चाहिए. अब व्यापक संवाद होना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि परिणाम का इंतजार करना शून्य पैदा कर देगा और तालिबान की इस शून्य को भरने की आकांक्षा एक मुसीबत साबित होगी. जरीफ ने कहा कि यह अफगानिस्तान में नए युद्ध का आधार तैयार करेगी और इस क्षेत्र में हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.

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