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अफगानिस्तान की स्थिति चिंता का विषय : भारत

भारत ने तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान के कई क्षेत्रों में कब्जा किए जाने पर चिंता जताई है. इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ( MEA spokesperson) ने कहा कि हम हालात पर नजर रखे हुए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले साल से अफगानिस्तान से 383 से अधिक हिंदू व सिख समुदाय के लोगों को निकाला जा चुका है.

अरिंदम बागची
अरिंदम बागची
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Published : Aug 12, 2021, 7:24 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 7:43 PM IST

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कई क्षेत्रों में कब्जा करने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति चिंता का विषय है और वह वहां समग्र एवं तत्काल संघर्ष विराम की उम्मीद करता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही. उन्होंने कहा, 'हम अफगानिस्तान में सभी पक्षकारों से सम्पर्क में है और इस युद्धग्रस्त देश में जमीनी स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं.' उन्होंने कहा कि पिछले साल से अफगानिस्तान से हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक लोगों को निकाला गया है.

उन्होंने कहा कि भारत दोहा में अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्षेत्रीय सम्मेलन (ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान) में कतर के निमंत्रण पर हिस्सा ले रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'अफगानिस्तान में स्थिति चिंता का विषय है. यह स्थिति तेजी से उभरती है. हम वहां समग्र एवं तत्काल संघर्ष विराम की उम्मीद करते हैं.' पाकिस्तान द्वारा तालिबान को समर्थन जारी रहने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की भूमिका की जानकारी है.

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह दोहा में अफगानिस्तान के कई महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ अफगान शांति प्रक्रिया पर वार्ता में भाग ले रहे हैं. बागची ने कहा कि बैठक के बारे में अधिक जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी. उन्होंने कहा, 'हम सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने वाले शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं को साकार करने वाले अफगानिस्तान का समर्थन करते हैं.' प्रवक्ता ने कहा, 'हम चाहते हैं कि वहां (अफगानिस्तान) में शांति हो ताकि वहां दीर्घकालिक विकास हो सके.'

ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान की पामीर आर्मी कोर ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण किया

बागची ने कहा कि सभी पक्षकारों को इस दृष्टि से काम करना चाहिए ताकि अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित व्यवस्था हो. अफगानिस्तान के संबंध में भारतीय उच्चायोग के परामर्श के संबंध में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह परामर्श वहां भारतीय नागरिकों के लिए जारी किए गए थे. उल्लेखनीय है कि नए परामर्श में काबुल में भारतीय दूतावास ने अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को देश से हवाई यात्रा सेवाओं को बंद करने से पहले अपने भारतीय कर्मचारियों को परियोजना स्थलों से तुरंत वापस लाने की सलाह दी थी.

दूतावास ने कहा था कि 29 जून और 24 जुलाई को जारी सुरक्षा परामर्श अब भी बरकरार है. दूतावास ने कहा था, 'जैसे-जैसे अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हिंसा बढ़ी है, कई प्रांतों और शहरों में वाणिज्यिक हवाई यात्रा सेवाएं बंद हो रही हैं.'

दूतावास ने कहा था, 'अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को हवाई यात्रा सेवाओं के बंद होने से पहले अफगानिस्तान में परियोजना स्थलों से अपने भारतीय कर्मचारियों को तुरंत वापस बुलाने की सलाह दी जाती है.' इस बीच, अरिंदम बागची ने संघर्ष समाधान की मध्यस्थता के लिए कतर के विशेष दूत अल-कहतानी की भारत यात्रा का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि विशेष दूत ने विदेश मंत्री डॉ जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से मुलाकात की थी. वार्ता में अफगानिस्तान की स्थिति और शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान की आवश्यकता के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की गई थी. बागची ने कहा कि विशेष दूत ने दोहा में चल रही अफगान शांति वार्ता पर बैठक में भाग लेने के लिए भारत को भी आमंत्रित किया था.

ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान में संघर्ष भयावह, करीब चार लाख लोग हुए विस्थापित : संयुक्त राष्ट्र

अफगानिस्तान में स्थिति प्रतिदिन खराब होती जा रही है, वहीं तालिबान ने गुरुवार को दसवीं प्रांतीय राजधानी गजनी पर कब्जा कर लिया है. इस बीच, अफगानिस्तान के इस्लामी गणराज्य की सरकार ने शहरों पर तालिबान के हमलों पर सरकार और अफगानिस्तान के लोगों की गंभीर चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उठाया है, जिसके कारण अफगानिस्तान में युद्ध अपराध और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और मानवीय तबाही हुई है.

इसीक्रम में राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के अध्यक्ष डॉ अब्दुल्ला की अध्यक्षता में अफगान वार्ता दल ने बुधवार को दोहा में रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान की भागीदारी के साथ विस्तारित ट्रोइका बैठक में भाग लिया. हालांकि रूस द्वारा बुधवार को बुलाई गई 'विस्तारित ट्रोइका' बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था.

ज्ञात हो कि एक मई को अमेरिका द्वारा देश से अपने सैनिकों की वापसी शुरू करने के बाद से अफगानिस्तान में आतंकी हमले हो रहे हैं. अमेरिका ने अपने अधिकांश बलों को पहले ही वापस बुला लिया है और वह अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की 31 अगस्त तक वापसी पूरा करना चाहता है. तालिबान को 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. अब, जब अमेरिका अपने सैनिकों को वापस बुला रहा रहा है, तालिबान लड़ाके देश के विभिन्न हिस्सों पर नियंत्रण कर रहे हैं.

नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कई क्षेत्रों में कब्जा करने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति चिंता का विषय है और वह वहां समग्र एवं तत्काल संघर्ष विराम की उम्मीद करता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में यह बात कही. उन्होंने कहा, 'हम अफगानिस्तान में सभी पक्षकारों से सम्पर्क में है और इस युद्धग्रस्त देश में जमीनी स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं.' उन्होंने कहा कि पिछले साल से अफगानिस्तान से हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक लोगों को निकाला गया है.

उन्होंने कहा कि भारत दोहा में अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्षेत्रीय सम्मेलन (ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान) में कतर के निमंत्रण पर हिस्सा ले रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'अफगानिस्तान में स्थिति चिंता का विषय है. यह स्थिति तेजी से उभरती है. हम वहां समग्र एवं तत्काल संघर्ष विराम की उम्मीद करते हैं.' पाकिस्तान द्वारा तालिबान को समर्थन जारी रहने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की भूमिका की जानकारी है.

उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह दोहा में अफगानिस्तान के कई महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ अफगान शांति प्रक्रिया पर वार्ता में भाग ले रहे हैं. बागची ने कहा कि बैठक के बारे में अधिक जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी. उन्होंने कहा, 'हम सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने वाले शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध भविष्य की आकांक्षाओं को साकार करने वाले अफगानिस्तान का समर्थन करते हैं.' प्रवक्ता ने कहा, 'हम चाहते हैं कि वहां (अफगानिस्तान) में शांति हो ताकि वहां दीर्घकालिक विकास हो सके.'

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बागची ने कहा कि सभी पक्षकारों को इस दृष्टि से काम करना चाहिए ताकि अफगान-नेतृत्व वाली, अफगान-स्वामित्व वाली और अफगान-नियंत्रित व्यवस्था हो. अफगानिस्तान के संबंध में भारतीय उच्चायोग के परामर्श के संबंध में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह परामर्श वहां भारतीय नागरिकों के लिए जारी किए गए थे. उल्लेखनीय है कि नए परामर्श में काबुल में भारतीय दूतावास ने अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को देश से हवाई यात्रा सेवाओं को बंद करने से पहले अपने भारतीय कर्मचारियों को परियोजना स्थलों से तुरंत वापस लाने की सलाह दी थी.

दूतावास ने कहा था कि 29 जून और 24 जुलाई को जारी सुरक्षा परामर्श अब भी बरकरार है. दूतावास ने कहा था, 'जैसे-जैसे अफगानिस्तान के कई हिस्सों में हिंसा बढ़ी है, कई प्रांतों और शहरों में वाणिज्यिक हवाई यात्रा सेवाएं बंद हो रही हैं.'

दूतावास ने कहा था, 'अफगानिस्तान में काम कर रही भारतीय कंपनियों को हवाई यात्रा सेवाओं के बंद होने से पहले अफगानिस्तान में परियोजना स्थलों से अपने भारतीय कर्मचारियों को तुरंत वापस बुलाने की सलाह दी जाती है.' इस बीच, अरिंदम बागची ने संघर्ष समाधान की मध्यस्थता के लिए कतर के विशेष दूत अल-कहतानी की भारत यात्रा का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि विशेष दूत ने विदेश मंत्री डॉ जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से मुलाकात की थी. वार्ता में अफगानिस्तान की स्थिति और शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान की आवश्यकता के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की गई थी. बागची ने कहा कि विशेष दूत ने दोहा में चल रही अफगान शांति वार्ता पर बैठक में भाग लेने के लिए भारत को भी आमंत्रित किया था.

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अफगानिस्तान में स्थिति प्रतिदिन खराब होती जा रही है, वहीं तालिबान ने गुरुवार को दसवीं प्रांतीय राजधानी गजनी पर कब्जा कर लिया है. इस बीच, अफगानिस्तान के इस्लामी गणराज्य की सरकार ने शहरों पर तालिबान के हमलों पर सरकार और अफगानिस्तान के लोगों की गंभीर चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उठाया है, जिसके कारण अफगानिस्तान में युद्ध अपराध और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन और मानवीय तबाही हुई है.

इसीक्रम में राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद के अध्यक्ष डॉ अब्दुल्ला की अध्यक्षता में अफगान वार्ता दल ने बुधवार को दोहा में रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान की भागीदारी के साथ विस्तारित ट्रोइका बैठक में भाग लिया. हालांकि रूस द्वारा बुधवार को बुलाई गई 'विस्तारित ट्रोइका' बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया था.

ज्ञात हो कि एक मई को अमेरिका द्वारा देश से अपने सैनिकों की वापसी शुरू करने के बाद से अफगानिस्तान में आतंकी हमले हो रहे हैं. अमेरिका ने अपने अधिकांश बलों को पहले ही वापस बुला लिया है और वह अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की 31 अगस्त तक वापसी पूरा करना चाहता है. तालिबान को 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. अब, जब अमेरिका अपने सैनिकों को वापस बुला रहा रहा है, तालिबान लड़ाके देश के विभिन्न हिस्सों पर नियंत्रण कर रहे हैं.

Last Updated : Aug 12, 2021, 7:43 PM IST
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