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'मैं बुर्का नहीं पहनना चाहती, मैं आजादी चाहती हूं' सुनिए अफगानी लड़की का दर्द

अफगानिस्तान में हालात को लेकर दिल्ली में मौजूद अफगान नागरिक काफी परेशान हैं. अफगानी नागरिकों ने कहा कि नेता अफगानिस्तान छोड़कर भाग रहे हैं और आम नागरिक अपने ही देश में फंस गए हैं.

अफगान नागरिक परेशान
अफगान नागरिक परेशान
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Published : Aug 15, 2021, 10:32 PM IST

नई दिल्ली : हफ्तों तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. राजधानी काबुल तक पहुंचने के बाद तालिबान के हाथ में सत्ता आने का आधिकारिक एलान बाकी है. राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने करीबियों के साथ देश छोड़ चुके हैं. हालांकि उनके सलाहकार ने उनके देश छोड़ने की खबरों से इनकार किया है.

अफगानिस्तान में हालात को लेकर दिल्ली में मौजूद अफगान नागरिक काफी परेशान हैं. जंगपुरा में रहने वाले अफगानी नागरिक हिदायतुल्ला ने कहा कि नेता इधर-उधर भाग रहे हैं और आम नागरिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे फंस गए हैं. मैंने अपने दोस्तों से बात की है. उन्होंने मुझे बताया है कि तालिबान काबुल में प्रवेश कर चुका है. हाल ही में मैंने अपने एक रिश्तेदार को इस लड़ाई में खोया था.

अफगान नागरिकों ने बयां किया दर्द

ये भी पढ़ें : तालिबान ने अफगानिस्तान में बनाई अंतरिम सरकार, अहमद जलाली को मिल सकती है सत्ता

अब्दुल काजीर कहते हैं कि मेरे रिश्तेदार अफगानिस्तान के हेरात में रहते हैं. वहां सब कुछ बंद है. कोई शांति नहीं है. महिलाओं और लड़कियों को बिना चादर पहने बाहर जाने की अनुमति नहीं है. हम आजादी चाहते हैं.

ये भी पढ़ें : अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने देश छोड़ा

वहीं, एक अन्य अफगानी नागरिक अरीफा ने कहा कि वहां हालात सच में बहुत खतरनाक हैं. मैं चादरी (बुर्का) नहीं पहनना चाहती, मैं आजादी चाहती हूं. मैं न कुछ खा पा रही हूं और न सो पा रही हूं.

नई दिल्ली : हफ्तों तक चले संघर्ष के बाद आखिरकार तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. राजधानी काबुल तक पहुंचने के बाद तालिबान के हाथ में सत्ता आने का आधिकारिक एलान बाकी है. राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने करीबियों के साथ देश छोड़ चुके हैं. हालांकि उनके सलाहकार ने उनके देश छोड़ने की खबरों से इनकार किया है.

अफगानिस्तान में हालात को लेकर दिल्ली में मौजूद अफगान नागरिक काफी परेशान हैं. जंगपुरा में रहने वाले अफगानी नागरिक हिदायतुल्ला ने कहा कि नेता इधर-उधर भाग रहे हैं और आम नागरिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वे फंस गए हैं. मैंने अपने दोस्तों से बात की है. उन्होंने मुझे बताया है कि तालिबान काबुल में प्रवेश कर चुका है. हाल ही में मैंने अपने एक रिश्तेदार को इस लड़ाई में खोया था.

अफगान नागरिकों ने बयां किया दर्द

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अब्दुल काजीर कहते हैं कि मेरे रिश्तेदार अफगानिस्तान के हेरात में रहते हैं. वहां सब कुछ बंद है. कोई शांति नहीं है. महिलाओं और लड़कियों को बिना चादर पहने बाहर जाने की अनुमति नहीं है. हम आजादी चाहते हैं.

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वहीं, एक अन्य अफगानी नागरिक अरीफा ने कहा कि वहां हालात सच में बहुत खतरनाक हैं. मैं चादरी (बुर्का) नहीं पहनना चाहती, मैं आजादी चाहती हूं. मैं न कुछ खा पा रही हूं और न सो पा रही हूं.

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