एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने महिला की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को तब निस्तारित किया, जब उसके कथित समलैंगिक साथी ने कहा कि उसने अपनी मर्जी से अपने माता-पिता के साथ रहने का फैसला किया है. समलैंगिक संबंध के एंटीक्लाइमैक्स पर, केरल उच्च न्यायालय ने एक महिला द्वारा अपने समलैंगिक साथी की रिहाई की याचिका पर फैसला दिया है, जिसका कहना है कि उसके माता-पिता द्वारा उसका अपहरण कर लिया गया था. पता चला है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका मलप्पुरम कोंडोट्टी निवासी एक महिला ने दायर की थी. अपनी याचिका में, उन्होंने कहा कि वह जब प्लस वन में पढ़ा करती थीं, तब से एर्नाकुलम कोलनचेरी निवासी अपने समलैंगिक महिला साथी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थी.
हालांकि अदालत ने सोमवार को याचिका खारिज कर दिया, जब महिला साथी ने अदालत में कहा कि उसने अपने माता-पिता के किसी भी दबाव के बिना अपनी इच्छा से याचिकाकर्ता के साथ अपना रिश्ता खत्म कर लिया. गौरतलब है कि दोनों महिलाएं इसी साल जनवरी में भाग गई थीं. याचिकाकर्ता महिला ने कहा कि उनकी महिला साथी के माता-पिता ने एक सेवानिवृत्त साइबर पुलिस अधिकारी की मदद से उसके मोबाइल नंबर का पता लगाया और इस साल 30 मई को उनका अपहरण कर लिया.
दोनों अपने स्कूल के दिनों से दोस्त थे और हाई स्कूल में पढ़ते समय दोनों को प्यार हो गया और बाद में साथ रहने लगे. 30 मई को याचिकाकर्ता महिला ने अपने महिला साथी के माता-पिता पर अपहरण का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. याचिकाकर्ता ने यह भी शिकायत की कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता ने वनजा कलेक्टिव नामक एक एनजीओ की मदद से अदालत में याचिका दायर की थी, जो LGBTQIA+ और अन्य वंचित समूहों के लिए काम करता है. गौरतलब है कि केरल हाई कोर्ट ने पिछले साल दो समलैंगिक लड़कियों को एक साथ रहने की इजाजत दी थी. सऊदी अरब में पढ़ाई के दौरान दोनों को प्यार हो गया था.
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