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इस बार तेज है मानसून की रफ्तार, जानिये इसकी वजह और फायदे

देश के कई इलाकों में जून के पहले पखवाड़े में हुई बारिश राहत लेकर आई है. उत्तर भारत के लोगों को गर्मी से राहत मिली है लेकिन ये बरसात उस मानसून की फुहार है जिसने कई इलाकों में जल्दी दस्तक दी है. आखिर क्या है इसकी वजह, इसके फायदे और नुकसान. जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

मानसून
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Published : Jun 16, 2021, 3:02 PM IST

हैदराबाद: देश के अधिकतर इलाकों में मेघ झमाझम बरस रहे हैं. लेकिन जून महीने के बीच में देश के ज्यादातर हिस्सों में हो रही बरसात बता रही है कि मानसून इस बार जल्दी पहुंच गया है. सवाल है कि क्या इस बार मानसून में ये बदलाव क्यों आया और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं.

केरल में देर से पर मध्य भारत में पहुंचा जल्दी

देश में मानसून केरल से दस्तक देता है. इस बार मानसून केरल की दहलीज पर दो दिन देर से पहुंचा. 3 जून को केरल में मानसून की पहली बारिश हुई और फिर देश के अन्य हिस्सों की तरफ रुख किया. केरल और आस-पास के राज्यों में भले मानसून देर से पहुंचा हो लेकिन मध्य भारत के कई इलाकों में मानसून अपने तय दिन से करीब एक हफ्ते पहले पहुंच गया. मौसम विभाग के मुताबिक इसकी वजह से गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तक के कई इलाकों में बारिश हुई है.

जल्दी क्यों बरसे मेघ ?

इस साल बंगाल की खाड़ी से यास और अरब सागर से तौकते चक्रवाती तूफान आए. खासकर यास तूफान ने मानसून को जल्द पहुंचने में मदद की. इस बार मानसून की दोनों शाखाएं बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से एक्टिव है.

मानसून की शुरुआत भले देर से हुई लेकिन इन दिनों ये काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. अरब सागर से उटती पश्चिमी हवाओं और बंगाल की खाड़ी के उत्तर में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण ऐसा हो रहा है. ये दबाव का क्षेत्र इन यूपी के पूर्वी हिस्सों और बिहार के ऊपर बना हुआ है जिससे यहां तेज बारिश की संभावना है. मानसून की तेज रफ्तार के कारण पश्चिम बंगाल से लेकर उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार से पूर्वोत्तर के राज्यों में पहुंच चुका है.

तेजी रहेगी बरकरार ?

मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिम बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. जिसके कारण अगले दो से तीन दिन में मानसून के ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, और उत्तराखंड की ओर बढ़ने की संभावना है. देश की राजधानी दिल्ली में भी प्री मानसून की बारिश हो चुकी है. पिछले करीब एक दशक में पहली बार ऐसा होगा जब 15 जून के बाद दिल्ली में मानसून की एंट्री होगी, वरना दिल्ली में मानसून की दस्तक जून के आखिरी दिनों में होती है. इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करीब 8 साल बाद तो हिमाचल की राजधानी शिमला में 21 साल बाद मानसून के बादल पहले बरस गए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों में मानसून की रफ्तार धीमी हो सकती है लेकिन वक्त से पहले पूरा देश मानसून की चादर ओढ़ लेगा.

क्या हैं फायदे और नुकसान ?

मानसून की ये रफ्तार किसानों के चेहरे पर रौनक ले आएगी. देश में होने वाली ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर करती है. इस मौसम में लगाई गई फसलों का अच्छा होना बारिश पर निर्भर होता है. ऐसे में इस बार मानसून की जल्दबाजी किसानों के लिए अच्छी खबर है.

जल्दी मानसून आने से गर्मी से भी राहत जल्दी मिली है. दिल्ली समेत देश के उत्तरी भाग में मई और जून की गर्मी से मानसून ही राहत दिलाता है और इस बार ये राहत जल्दी मिली है. मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया था ऐसे में गर्मियों मे होने वाली पानी की किल्लत का भी समाधान हो सकता है. नदियों तालाबों जैसे जल स्त्रोतों के अलावा भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा.

जल्दी बारिश या अच्छी बारिश से जल जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल बारिश के बाद जल जमाव के कारण मक्खी मच्छर पैदा होते हैं जो डेंगू, मलेरिया से लेकर दूसरे अन्य रोगों की वजह बनते हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में बरसात में होने वाली बीमारियां खतरे की घंटी हैं. ऐसे में सावधानी बहुत जरूरी है.

ये भी पढ़ें: आज से 256 जिलों में सोने पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू

हैदराबाद: देश के अधिकतर इलाकों में मेघ झमाझम बरस रहे हैं. लेकिन जून महीने के बीच में देश के ज्यादातर हिस्सों में हो रही बरसात बता रही है कि मानसून इस बार जल्दी पहुंच गया है. सवाल है कि क्या इस बार मानसून में ये बदलाव क्यों आया और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं.

केरल में देर से पर मध्य भारत में पहुंचा जल्दी

देश में मानसून केरल से दस्तक देता है. इस बार मानसून केरल की दहलीज पर दो दिन देर से पहुंचा. 3 जून को केरल में मानसून की पहली बारिश हुई और फिर देश के अन्य हिस्सों की तरफ रुख किया. केरल और आस-पास के राज्यों में भले मानसून देर से पहुंचा हो लेकिन मध्य भारत के कई इलाकों में मानसून अपने तय दिन से करीब एक हफ्ते पहले पहुंच गया. मौसम विभाग के मुताबिक इसकी वजह से गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तक के कई इलाकों में बारिश हुई है.

जल्दी क्यों बरसे मेघ ?

इस साल बंगाल की खाड़ी से यास और अरब सागर से तौकते चक्रवाती तूफान आए. खासकर यास तूफान ने मानसून को जल्द पहुंचने में मदद की. इस बार मानसून की दोनों शाखाएं बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों तरफ से एक्टिव है.

मानसून की शुरुआत भले देर से हुई लेकिन इन दिनों ये काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. अरब सागर से उटती पश्चिमी हवाओं और बंगाल की खाड़ी के उत्तर में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण ऐसा हो रहा है. ये दबाव का क्षेत्र इन यूपी के पूर्वी हिस्सों और बिहार के ऊपर बना हुआ है जिससे यहां तेज बारिश की संभावना है. मानसून की तेज रफ्तार के कारण पश्चिम बंगाल से लेकर उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार से पूर्वोत्तर के राज्यों में पहुंच चुका है.

तेजी रहेगी बरकरार ?

मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिम बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. जिसके कारण अगले दो से तीन दिन में मानसून के ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, और उत्तराखंड की ओर बढ़ने की संभावना है. देश की राजधानी दिल्ली में भी प्री मानसून की बारिश हो चुकी है. पिछले करीब एक दशक में पहली बार ऐसा होगा जब 15 जून के बाद दिल्ली में मानसून की एंट्री होगी, वरना दिल्ली में मानसून की दस्तक जून के आखिरी दिनों में होती है. इस बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करीब 8 साल बाद तो हिमाचल की राजधानी शिमला में 21 साल बाद मानसून के बादल पहले बरस गए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों में मानसून की रफ्तार धीमी हो सकती है लेकिन वक्त से पहले पूरा देश मानसून की चादर ओढ़ लेगा.

क्या हैं फायदे और नुकसान ?

मानसून की ये रफ्तार किसानों के चेहरे पर रौनक ले आएगी. देश में होने वाली ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर करती है. इस मौसम में लगाई गई फसलों का अच्छा होना बारिश पर निर्भर होता है. ऐसे में इस बार मानसून की जल्दबाजी किसानों के लिए अच्छी खबर है.

जल्दी मानसून आने से गर्मी से भी राहत जल्दी मिली है. दिल्ली समेत देश के उत्तरी भाग में मई और जून की गर्मी से मानसून ही राहत दिलाता है और इस बार ये राहत जल्दी मिली है. मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया था ऐसे में गर्मियों मे होने वाली पानी की किल्लत का भी समाधान हो सकता है. नदियों तालाबों जैसे जल स्त्रोतों के अलावा भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा.

जल्दी बारिश या अच्छी बारिश से जल जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है. दरअसल बारिश के बाद जल जमाव के कारण मक्खी मच्छर पैदा होते हैं जो डेंगू, मलेरिया से लेकर दूसरे अन्य रोगों की वजह बनते हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में बरसात में होने वाली बीमारियां खतरे की घंटी हैं. ऐसे में सावधानी बहुत जरूरी है.

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