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चार महीने के सफर के बाद लक्ष्य पर पहुंचेगा Aditya L1, रेडिएशन समेत कई अहम चीजों का जुटाएगा डाटा - वाराणसी न्यूज

चंद्रयान 3 की सफलता के बाद सूर्य पर होने वाले विविध प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए आदित्य एलवन (Aditya L1 Launched) को भी लांच किया जा चुका है. भारत ऐसा करने वाला दूसरा देश है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 6:24 PM IST

सफर पर निकला आदित्य एलवन.

वाराणसी : देश के लिए आज एक और सबसे बड़ा दिन है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है. शनिवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य-एलवन लांच किया गया. यह भारत की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि में से एक है. आदित्य-एलवन की लांचिंग से देशभर में खुशी का माहौल है. इस मिशन के साथ ही भारत सूर्य पर भी रिसर्च करने के लिए पहुंच जाएगा. यहां से सूर्य में होने वाली हलचल के साथ ही वहां पर हो रही प्रक्रियाओं को भी समझा जा सकेगा.

सुबह 11:50 बजे हुई लांचिंग : आदित्य-L1 शनिवार की सुबह 11:50 बजे लांच हुआ. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 127 दिन में सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. ऐसा कह सकते हैं कि लगभग चार महीने में आदित्य-एलवन सूर्य के पास पहुंचेगा. साल 2024 में करीब 7 जनवरी तक यह अपने स्थान पर पहुंच जाएगा. आदित्य-एलवन धरती को नुकसान पहुंचाने वाले रेडिएशन का भी विश्लेषण करेगा. इसके साथ ही वहां पर हो रही हलचल का भी डेटा कलेक्ट करेगा. सूरज पर बनने वाले स्पॉट, सोलर फ्लेयर्स, सोलर विंड, UV किरणें, XRAY और गामा का भी अवलोकन करेगा.

Aditya L1 की लांचिंग पर बीएचयू में भी खुशी की लहर है.
Aditya L1 की लांचिंग पर बीएचयू में भी खुशी की लहर है.

चार महीने में अपने स्थान पर पहुंचेगा आदित्य-L1 : मिशन से जुड़े IIT BHU के सौर विज्ञानी डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि L1 प्वाइंट की तरफ आदित्य-एलवन अपनी यात्रा शुरू कर चुका है. सभी देशवासियों, बुद्धिजीवियों और इसरो के वैज्ञानिकों को इसके लिए बधाई. यह L1 प्वाइंट पर लगभग चार महीने में पहुंचेगा. यह धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. आदित्य-एलवन में सात उपकरण लगे हुए हैं, जो सूर्य पर होने वाले विविध प्रक्रियाओं, सौर तरंगों की, स्पेस मौसम के प्रभावों का अध्ययन करेंगे. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि वह सौर विज्ञानी होने के नाते इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं.

बीएचयू के सौर विज्ञानी भी करेंगे डाटा का अध्ययन.
बीएचयू के सौर विज्ञानी भी करेंगे डाटा का अध्ययन.

आदित्य-L1 से मिलने वाले डेटा का होगा अध्ययन : सौर विज्ञानी ने बताया कि उनका काम भारत में सूरज की स्टडी करना है. इसके साथ ही आदित्य-एलवन के शूट उपकरण जो टेलिस्कोप है, उसके साइंस मैनेजमेंट पैनल का मैं मेंबर भी हूं. हम लोग वहां से आने वाले डेटा का अध्ययन करेंगे. इसके साथ ही सौर मंडल में होने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे. हम ऐसा करने वाले दूसरे देश हैं. हमसे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सोहो मिशन को 1995 में लांच किया था, जो सूर्य के अवलोकन के लिए लैग्रेंज पॉइंट-1 पर पहुंचा था. हमारा आदित्य-एल वन सोलर फ्लेयर, कोरोनल रिएक्शन, कोरोनल हीटिंग की स्टडी करेगा.

स्पेस वेदर के साथ ही कई स्टडी करेगा आदित्य-L1 : डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि आदित्य-एलवन स्पेस वेदर के प्रभावों की स्टडी करेगा. इसके साथ सोलर विंग और उसके प्लाज्मा के भौतिक प्रक्रियाओं और उसकी प्रॉपर्टीज का अध्ययन करेगा. पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं, जिसमें से हम लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर जा रहे हैं. लैग्रेंज प्वाइंट-1 सूर्य और पृथ्वी की लाइन पर है. यह इन दोनों को जोड़ने वाली लाइन है. हम पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूरी पर जाएंगे. वहां पर हलो ऑर्बिट है, जहां पर आदित्य-एलवन जाएगा. इसके बाद वह वहां से लगातार सूर्य का अवलोकन करेगा. देश के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

यह भी पढ़ें : एरीज नैनीताल से सूर्य की गतिविधियों और आदित्य L1 पर रखी जाएगी नजर, जानें कैसे

PSLV-C57 अपनी सबसे लंबी उड़ान पर निकला, Aditya-L1 अपनी तय कक्षा में पहुंचा, लॉन्चिंग सफल

सफर पर निकला आदित्य एलवन.

वाराणसी : देश के लिए आज एक और सबसे बड़ा दिन है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने एक और बड़ा कारनामा कर दिखाया है. शनिवार को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य-एलवन लांच किया गया. यह भारत की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि में से एक है. आदित्य-एलवन की लांचिंग से देशभर में खुशी का माहौल है. इस मिशन के साथ ही भारत सूर्य पर भी रिसर्च करने के लिए पहुंच जाएगा. यहां से सूर्य में होने वाली हलचल के साथ ही वहां पर हो रही प्रक्रियाओं को भी समझा जा सकेगा.

सुबह 11:50 बजे हुई लांचिंग : आदित्य-L1 शनिवार की सुबह 11:50 बजे लांच हुआ. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह 127 दिन में सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. ऐसा कह सकते हैं कि लगभग चार महीने में आदित्य-एलवन सूर्य के पास पहुंचेगा. साल 2024 में करीब 7 जनवरी तक यह अपने स्थान पर पहुंच जाएगा. आदित्य-एलवन धरती को नुकसान पहुंचाने वाले रेडिएशन का भी विश्लेषण करेगा. इसके साथ ही वहां पर हो रही हलचल का भी डेटा कलेक्ट करेगा. सूरज पर बनने वाले स्पॉट, सोलर फ्लेयर्स, सोलर विंड, UV किरणें, XRAY और गामा का भी अवलोकन करेगा.

Aditya L1 की लांचिंग पर बीएचयू में भी खुशी की लहर है.
Aditya L1 की लांचिंग पर बीएचयू में भी खुशी की लहर है.

चार महीने में अपने स्थान पर पहुंचेगा आदित्य-L1 : मिशन से जुड़े IIT BHU के सौर विज्ञानी डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि L1 प्वाइंट की तरफ आदित्य-एलवन अपनी यात्रा शुरू कर चुका है. सभी देशवासियों, बुद्धिजीवियों और इसरो के वैज्ञानिकों को इसके लिए बधाई. यह L1 प्वाइंट पर लगभग चार महीने में पहुंचेगा. यह धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. आदित्य-एलवन में सात उपकरण लगे हुए हैं, जो सूर्य पर होने वाले विविध प्रक्रियाओं, सौर तरंगों की, स्पेस मौसम के प्रभावों का अध्ययन करेंगे. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि वह सौर विज्ञानी होने के नाते इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं.

बीएचयू के सौर विज्ञानी भी करेंगे डाटा का अध्ययन.
बीएचयू के सौर विज्ञानी भी करेंगे डाटा का अध्ययन.

आदित्य-L1 से मिलने वाले डेटा का होगा अध्ययन : सौर विज्ञानी ने बताया कि उनका काम भारत में सूरज की स्टडी करना है. इसके साथ ही आदित्य-एलवन के शूट उपकरण जो टेलिस्कोप है, उसके साइंस मैनेजमेंट पैनल का मैं मेंबर भी हूं. हम लोग वहां से आने वाले डेटा का अध्ययन करेंगे. इसके साथ ही सौर मंडल में होने वाली प्रक्रियाओं का अध्ययन करेंगे. हम ऐसा करने वाले दूसरे देश हैं. हमसे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सोहो मिशन को 1995 में लांच किया था, जो सूर्य के अवलोकन के लिए लैग्रेंज पॉइंट-1 पर पहुंचा था. हमारा आदित्य-एल वन सोलर फ्लेयर, कोरोनल रिएक्शन, कोरोनल हीटिंग की स्टडी करेगा.

स्पेस वेदर के साथ ही कई स्टडी करेगा आदित्य-L1 : डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि आदित्य-एलवन स्पेस वेदर के प्रभावों की स्टडी करेगा. इसके साथ सोलर विंग और उसके प्लाज्मा के भौतिक प्रक्रियाओं और उसकी प्रॉपर्टीज का अध्ययन करेगा. पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं, जिसमें से हम लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर जा रहे हैं. लैग्रेंज प्वाइंट-1 सूर्य और पृथ्वी की लाइन पर है. यह इन दोनों को जोड़ने वाली लाइन है. हम पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूरी पर जाएंगे. वहां पर हलो ऑर्बिट है, जहां पर आदित्य-एलवन जाएगा. इसके बाद वह वहां से लगातार सूर्य का अवलोकन करेगा. देश के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

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