मुंबई: अडाणी समूह 259 हेक्टेयर में फैली धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिये सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरी है. परियोजना के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एस.वी.आर श्रीनिवास ने कहा कि समूह ने दुनिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी में से एक के पुनर्विकास के लिये 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगायी. समूह ने डीएलएफ को पीछे छोड़ा, जिसने 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगायी थी. उन्होंने कहा कि हम अब सरकार को ब्योरा भेजेंगे. सरकार उसपर विचार करेगी और अंतिम मंजूरी देगी.
बोली पूरे 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिये थी. परियोजना को लेकर कुल समयसीमा सात साल है. यह क्षेत्र 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है. परियोजना के तहत झुग्गियों में रह रहे 6.5 लाख लोगों का पुनर्वास करना है. यह परियोजना विभिन्न जटिलताओं के कारण कई साल से अटकी पड़ी थी. सफल बोलीदाता को मध्य मुंबई में लाखों वर्ग फुट के आवासीय और वाणिज्यिक स्थान बेचकर कमाई करने का मौका मिलेगा. दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की इकाइयों सहित कुल आठ बोलीदाता अक्टूबर में आयोजित बोली पूर्व बैठक में शामिल हुए थे.
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उनमें से तीन ने परियोजना के लिए बोली लगाई थी. तीसरा बोलीदाता नमन ग्रुप था, जिसकी बोली पात्र नहीं पायी गयी. सरकार ने सफल बोलीदाता के चयन के लिये कम से कम 20,000 करोड़ रुपये नेटवर्थ की शर्त रखी थी. ऊंची बोली लगाने वाले की परियोजना आवंटित करने से पहले तकनीकी और वित्तीय योग्यता का आकलन किया जाएगा. महाराष्ट्र स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी ने धारावी के पुनर्विकास के लिए निविदाएं 1 अक्टू्बर, 2022 को आमंत्रित की थीं. निविदा की अंतिम तारीख पहले 31 अक्टूबर थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 15 नवंबर कर दिया गया था.
भारत, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण कोरिया की आठ कंपनियों ने बोली से पहले 11 अक्टूबर को आयोजित एक बैठक में धारावी के पुनर्विकास में रुचि दिखाई थी. इससे पहले, दो कंपनियों ने परियोजना में रुचि दिखाई थी लेकिन अक्टूबर 2020 में पिछली राज्य सरकार ने तकनीकी आधार पर निविदा रद्द कर दी थी. इस परियोजना के तहत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले प्रत्येाक परिवार को 405 वर्ग फुट क्षेत्र वाले मकान मिलेंगे. इस परियोजना के तहत चार मंजिला इमारत बनाई जाएगी.
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धारावी में अगले 17 वर्षों में एक करोड़ वर्ग फुट से अधिक जगह तैयार होने की संभावना है. इसमें से 70-80 लाख वर्ग फुट का निर्माण पुनर्वास के लिए किया जाएगा. बाकी बचा हिस्सा बेचा जाएगा. धारावी के पुनर्विकास की योजना साल 1999 में बनी थी. दो दशक में तीन बार निविदा प्रक्रिया हो चुकी थी. चौथी बार फिर से निविदा आमंत्रित की गई थी. धारावी पुनर्विकास के नए प्रस्ताव में किसी भारतीय कंपनी के होने की शर्त रखी गई थी. राज्य सरकार की योजना के तहत 1 जनवरी, 2000 तक के वैध झुग्गीवासियों को मुफ्त में मकान दिए जाएंगे जबकि बाकी झुग्गीवासियों को निर्माण लागत के आधार पर 300 वर्गफुट का आवास मिलेगा. इस परियोजना पर 28,000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया था जिसमें अब 20 से 30 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है.
(एक्सट्रा इनपुट: पीटीआई भाषा)