नई दिल्ली: अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट गलत है और समूह को बदनाम करने के लिए आरोप लगाए गए थे. उन्होंने अपने समूह की कंपनियों की आम सभा (एजीएम) में कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट उस समय प्रकाशित की, जब समूह भारत के इतिहास में सबसे बड़े अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफपीओ) की योजना बना रहा था.
उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट गलत सूचना और बेबुनियाद आरोपों को मिलाकर तैयार की गई थी, जिनमें से ज्यादातर आरोप 2004 से 2015 तक के थे.' अडाणी ने कहा, 'उन सभी आरोपों का निपटारा उस समय उपयुक्त अधिकारियों ने किया था। यह रिपोर्ट जानबूझकर और दुर्भावना के साथ तैयार की गई थी, जिसका मकसद हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और हमारे शेयरों की कीमतों में अल्पकालिक गिरावट से मुनाफा कमाना था.'
इस रिपोर्ट के बाद भी समूह के एफपीओ को पूरा अभिदान मिल गया था, लेकिन निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उनका धन वापस करने का फैसला किया गया. उन्होंने कहा, 'हमने तुरंत इसका एक व्यापक खंडन जारी किया, लेकिन निहित स्वार्थों के चलते कुछ लोगों ने शॉर्ट-सेलर के दावों से फायदा उठाने की कोशिश की। इन्होंने विभिन्न समाचारों और सोशल मीडिया मंचों पर झूठी कहानियों को बढ़ावा दिया.'
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसे उद्योगपति गौतम अडाणी की कंपनियों में गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला और साथ ही नियामकीय स्तर पर भी कोई विफलता नजर नहीं आई. हालांकि समिति ने 2014 से 2019 के बीच सेबी के नियमों में हुए कई संशोधनों का जिक्र करते हुए कहा था कि इनसे नियामकों की जांच करने की क्षमता बाधित हुई और विदेशी संस्थानों से धन प्रवाह में कथित उल्लंघन की जांच में भी कुछ नहीं निकला है.
(पीटीआई-भाषा)