महेंद्रगढ़: मशहूर अभिनेता सतीश कौशिक का हार्ट अटैक से निधन हो गया. अब वो हमारे बीच नहीं रहे. हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हो गया. सतीश कौशिक का पैतृक गांव महेंद्रगढ़ जिले कनीना उपमंडल का धनौंदा गांव है. उनके पिता बनवारी लाल दो भाई थे. बनवारी लाल छोटे थे जबकि गोवर्धन बड़े थे. वहीं बात सतीश कौशिक की करें तो उनके तीन भाई थे. उनके बड़े भाई का नाम ब्रह्म प्रकाश कौशिक, छोटे भाई का नाम अशोक कुमार और सबसे छोटे सतीश कौशिक थे. तीन भाईयों के अलावा उनकी तीन बहनें भी हैं. जिनका नाम सरस्वती, शकुंतला और सविता हैं.
बचपन से ही था गांव से लगाव: दिग्गज अभिनेता सतीश कौशिक के पिता बनवारी लाल दिल्ली में मुनीम का कार्य करते थे. इसके बाद उनके पिता ने हैरिसन कंपनी की एजेंसी ले ली. सतीश कौशिक का बचपन दिल्ली के करोल बाग में बीता. उनकी पढ़ाई भी दिल्ली के स्कूलों में हुई. गर्मी की छुट्टियों में सतीश कौशिक हरियाणा में छुट्टियों ले लिए आते थे. वो महेंद्रगढ़ के धनौंदा गांव में दोस्तों के साथ काफी वक्त बीताते थे. सतीश के करीबी बताते हैं कि वो हर साल धनौंदा गांव में होने वाले सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते थे. बचपन से ही उन्हें गांव से बहुत लगाव था.
बाजरे की रोटी, चने का साग था पसंद: सतीश कौशिक के चचेरे भाई सुभाष कौशिक ने कहा कि उनकी भरपाई करना मुश्किल है. उनके चले जाने का सबसे ज्यादा दुख उन्हें हुआ है. क्योंकि वो सतीश कौशिक का विशेष ध्यान रखते थे. उन्होंने बताया कि सतीश कौशिक को बाजरे की रोटी, चने का साग बहुत पंसद था. वो ऊंट गाड़ी की सवारी कर बहुत खुश होते थे. सतीश कौशिक के बचपन के दोस्त राजेंद्र सिंह ने कहा कि जब भी सतीश गांव में घूमने आते थे, वो पूरे गांव का भ्रमण करते थे. बचपन में जब वो छुट्टियों में घूमने आते थे तो गुल्ली डंडा, कबड्डी, कुश्ती जैसे खेल बड़े चाव से खेलते थे.
उन्होंने बताया कि सतीश कौशिक ने उन लोगों को कई बार मुंबई घूमाने का ऑफर दिया, लेकिन समय की कमी की वजह से हम वहां नहीं जा सके. सतीश कौशिक के बचपन के साथी सूरत सिंह ने बताया कि वो जब भी गांव आते थे. सूरत सिंह के साथ पूरा समय व्यतीत करते थे. मुंबई से ही वो उनसे बातचीत कर गांव की जानकारी लेते थे. सतीश कौशिश ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से धनौंदा गांव को एक करोड़ रुपये की ग्रांट दिलवाई थी, जिससे गांव में काफी विकास कार्य हुए थे. इतना ही नहीं उन्होंने खुद से भी गांव में काफी विकास कार्य करवाए हैं.
गांव में करवाए विकास कार्य: साल 2010 में उन्होंने धनौंदा गांव के राधा कृष्णा मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई थी. इसके अलावा उन्होंने जोहड़ की सफाई करवाई, सरकार के सहयोग से गांव में स्टेडियम बनवाया. इसके अलावा सरकार से गांव के विकास के लिए कई बार ग्रांट भी उपलब्ध करवाई. धनौंदा गांव के लोगों ने बताया कि आखिरी समय तक सतीश कौशिक का लगाव गांव से खूब रहा है.
सतीश कौशिश के चचेरे भतीजे सुनील ने कहा कि ताऊजी जब भी गांव आते थे, सबसे पहले इसकी जानकारी मुझे फोन पर देते थे. इतना ही नहीं गांव के किसी भी कार्यक्रम के लिए जब उन्हें बुलाया जाता तो वो सब काम छोड़कर आ जाते थे. सतीश कौशिश अक्सर कहते थे कि धनौंदा मेरा गांव है और मुझे इससे सबसे ज्यादा लगाव है. सतीश कौशिक के चचेरे भतीजे ने कहा कि उनका अचानक छोड़कर चले जाना हम सबके लिए बड़ी क्षति है. सुबह से ही गांव में लोगों के आने जाने का सिलसिला जारी है.