बेंगलुरु: कर्नाटक के तुमकुरु जिले के मधुगिरी की एक अदालत ने कार्यकर्ता और क्रांतिकारी कवि वरवर राव (81) के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है.
वह वर्तमान में एक अन्य मामले (एल्गार परिषद मामला) के सिलसिले में उन्हें मेडिकल आधार पर जमानत दी गई है. आपकाे बता दें कि 2005 में तुमकुरु में पुलिसकर्मियों पर हमले से संबंधित एक मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया गया. वरवर राव और एक अन्य कार्यकर्ता व कवि गदर आरोपियों में शामिल हैं.
वरवर के वकील एस बालन ने कहा कि वह मधुगिरी कोर्ट के गैर-जमानती वारंट आदेश के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट जाएंगे.
10 फरवरी, 2005 को तुमकुरु जिले के पावागड़ा तालुक के वेंकटम्मनहल्ली में माओवादियों ने पुलिस दल पर हमला किया, जिसमें छह पुलिसकर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई थी. वरवर राव और गदर को नक्सलियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
एल्गर परिषद मामले में वरवर राव जमानत पर हैं
वरवर राव इस साल फरवरी में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा एल्गार परिषद मामले या (भीमा-कोरेगांव मामले) के संबंध में जमानत पर बाहर हैं.
31 दिसंबर 2017 को पुणे में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयाेजन किया गया था. उसके अगले ही दिन (1 जनवरी 2018 को) हिंसा भड़क उठी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए. हिंसा के बाद इस आयोजन में मौजूद कई लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) जैसे कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने आरोप लगाया कि इस घटना का संबंध माओवादियों से था और इस कार्यक्रम में दिए गए भाषण जिसमें वरवरा राव और अन्य शामिल थे, अगले दिन हुई हिंसा को भड़काने के लिए जिम्मेदार थे.
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