नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान (Action against Maoists) और सड़कों के विकास के जरिए नक्सलियों को दोहरी चोट दी जा रही है. सरकारी सूत्रों ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि छत्तीसगढ़ में 12 महत्वपूर्ण सड़कों को जल्द से जल्द पूरा करने का लक्ष्य है. सरकार राज्य में 12 महत्वपूर्ण सड़कों पर करीब 215 किलोमीटर लंबे मार्ग का काम जल्द से जल्द पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. छत्तीसगढ़ में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों को इन सड़कों पर निर्माण कार्य के दौरान पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का जिम्मा सौंपा गया है.
नक्सल बहुल क्षेत्र में आने वाली इन 12 सड़कों पर निर्माण कार्य 'मिशन मोड' में करने की योजना बनाई गई है और राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों दोनों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा कवर प्रदान किया जाएगा.
इन 12 सड़कों में से पांच सुकमा, चार बीजापुर, एक दंतेवाड़ा में जबकि दो सड़कें बीजापुर-सुकमा सीमा और दंतेवाड़ा-सुकमा सीमा पर स्थित हैं. एक बार काम पूरा हो जाने पर ये सड़कें न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे सरकारी विकास कार्यों की सुविधा प्रदान करेंगी बल्कि नक्सलियों पर सुरक्षा बलों के वर्चस्व का मार्ग प्रशस्त करेंगी, खासतौर पर ऐसी जगहों पर जहां नक्सलियों का सबसे मजबूत आधार है.
बीजापुर में नक्सलियों ने किया था जूनियर इंजीनियर का अपहरण
नवंबर में बीजापुर जिले से 35 वर्षीय जूनियर इंजीनियर रोशन लकड़ा का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था. हालांकि लगभग एक हफ्ते बाद उन्हें रिहा कर दिया था. वह कनिष्ठ अभियंता प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) में कार्यरत थे. दिलचस्प बात यह है कि 2010 से 2015 के बीच कई सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. हालांकि ऐसी ही एक महत्वपूर्ण सड़क को इस साल जनवरी में मंजूरी दी गई थी.
इन सड़कों का निर्माण कार्य जल्द पूरा होगा
सूत्रों के अनुसार दो सड़कें - एक भेजी से चिंतागुफा (जो लगभग 30 किमी लंबी होगी) और दूसरी गोलापल्ली से पैदागुडेम तक (8 किमी) - 2012 और 2015 में स्वीकृत की गई थी, लेकिन इन सड़कों पर काम अभी शुरू होना है. हालांकि, सरकार ने अगले साल जून तक भेजी-चिंतागुफा सड़क के 10 किलोमीटर के हिस्से को पूरा करने का लक्ष्य रखा है और पूरे गोलापल्ली-पैदागुडेम खंड का निर्माण अगले साल मार्च तक किया जाना है.
सुरक्षा व्यवस्था के सूत्रों ने बताया कि इन सड़कों को 2010 से 2015 के बीच मंजूरी दी गई थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से काम पूरा नहीं हो सका. इसी तरह बीजापुर और सुकमा जिले में पड़ने वाली 70 किमी लंबी बसागुड़ा-जगरगुंडा सड़क को 2013 में स्वीकृत किया गया था और 18 किमी का निर्माण बाकी है, जबकि 23 किमी लंबे अरनपुर-जगरगुंडा खंड पर केवल 11 किमी का काम लंबित है. शेष हिस्से पर सुरक्षा कारणों से काम शुरू नहीं किया जा सका है.
सुकमा में आठ किमी सड़क मार्च तक पूरी होगी
27.8 किमी भेजी-चिंतागुफा सड़क पर सुरक्षा कारणों से निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि जून 2022 तक 10 किमी के हिस्से पर काम पूरा हो जाएगा, जबकि सुकमा जिले में आठ किमी लंबी गोलापल्ली-पैदागुडेम सड़क 22 मार्च तक पूरी हो जाएगी.
बीजापुर जिले में 52 किमी क्रिटिकल रोड नेलासनेर-गंगलूर पर शेष 34 किमी में से 12 किमी के हिस्से पर काम अगले साल जून तक पूरा कर लिया जाएगा. अधिकारियों ने कहा है कि सुकमा में कोंटा-गोलापल्ली सड़क का 10 किमी पर काम मार्च 2022 तक पूरा हो जाएगा. इस सड़क की कुल लंबाई 44 किमी है और अब तक छह किमी का काम पूरा हो चुका है.
दंतेवाड़ा में 15 किलोमीटर का मार्ग अधूरा
दंतेवाड़ा जिले में पल्ली-बरसूर मार्ग पर 15 किलोमीटर का मार्ग अगले साल जून तक बनकर तैयार हो जाएगा. इस सड़क की कुल लंबाई 38.8 किमी है, जिसमें से 23 किमी का काम पूरा हो चुका है. नक्सलवादियों के गढ़ की ओर जाने वाली एक अन्य महत्वपूर्ण सड़क, बीजापुर में 26 किमी लंबी उसर-धर्मावरम सड़क पर चिंतावागु क्षेत्र में पुल हैं, लेकिन अभी तक केवल दो पुलिया और एक पुल का निर्माण किया गया है.सुरक्षा बल के सूत्रों ने कहा कि एक बार इन सड़कों के पूरा हो जाने के बाद, सुरक्षा बल बस्तर क्षेत्र में नक्सलवादियों की आपूर्ति लाइनों और उग्रवादियों की आवाजाही को रोक सकेंगे.
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिलों में नक्सल विरोधी अभियान के लिए सुरक्षा बलों के चार नए शिविर स्थापित किए गए हैं. 2015 से अब तक 24 सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं. इसके अलावा, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की सात नई इकाइयां स्थापित की गई हैं.