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...जब विवाह की डोर में बंधे राधा-कृष्ण

राधा! ऐसा नाम, जो कृष्ण के बगैर आधा-अधूरा लगता है. प्रेम के फूल से गुंथी इस माला से पूरा विश्व राधा-कृष्ण का जाप करता है. हालांकि राधा, कृष्ण की पत्नी थीं या प्रेमिका, इसको लेकर अलग-अलग पटकथाएं सामने आती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधा-कृष्ण का विवाह भगवान ब्रह्मा ने स्वयं अपने हाथों से कराया था? जानें राधा-कृष्ण का विवाह कहां और कब हुआ था...

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Published : Nov 19, 2020, 10:41 PM IST

डोर में बंधे राधा-कृष्ण
डोर में बंधे राधा-कृष्ण

मथुरा (उत्तर प्रदेश): कृष्ण लीला की जमीन, राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि मथुरा, जहां आज भी कृष्ण लीलाओं के तमाम प्रमाण देखे जाते हैं. उस मथुरा में राधा, कृष्ण की प्रेमिका के तौर पर ही जानी जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण और राधा की शादी भी हुई थी. जी हां! स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी और राधा भगवान कृष्ण की पत्नी भी थीं.

जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट क्षेत्र है, जहां भांडीरवन के नाम से विख्यात स्थान राधा-कृष्ण के प्रेम विवाह के नाम से जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, राधा-कृष्ण की शादी स्वयं ब्रह्मा जी ने कराई थी.

राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि मथुरा

राधा-कृष्ण का विवाह स्थल
जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट सुरीर रोड पर स्थित है राधा-कृष्ण का विवाह स्थल. यहीं है भांडीरवन, जहां प्राचीन काल का वटवृक्ष द्वापर युग से यहां मौजूद है. इस वृक्ष के नीचे स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान कृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी. कहा जाता है कि भांडीरवन में एक वट वृक्ष है. इस वट वृक्ष की जड़ें 10 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं. इसी वट वृक्ष के नीचे ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी का विवाह संपन्न कराया था. भांडीरवन में वटवृक्ष द्वापर युग से ही वहां है. विष्णु पुराण में भी इस वट वृक्ष का जिक्र किया गया है.

भांडीरवन आते हैं श्रद्धालु

भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की कथाएं कई शास्त्र पुराणों में लिखी हुई हैं, लेकिन विवाह के संबंध में मात्र विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है. इस स्थान के दर्शन करने के लिए हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां आकर मन की शांति और नवविवाहित जोड़े भगवान का आशीर्वाद लेते हैं. फिलहाल वैश्विक महामारी के चलते इस मंदिर में इक्का-दुक्का ही श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं.

एक ही वट वृक्ष में से राधा-कृष्ण निकले
स्थानीय लोगों के अनुसार, द्वापर युग का यह वट वृक्ष विशाल रूप में फैला हुआ है. यह वट वृक्ष दो रंगों में है. एक सांवला कृष्ण रूपी और दूसरा हिस्सा गोरा राधा रूपी. शादी में जिस तरह वर-वधु को गठजोड़ा पहनाया जाता है, उसी तरह वृक्ष पर जड़ों से गठजोड़ा बना हुआ है.

इस वृक्ष के नीचे ग्वालबालों के साथ कृष्ण करते थे भोजन
मान्यताओं के अनुसार, भांडीरवन में वट वृक्ष के नीचे हर रोज कृष्ण अपने ग्वालबालों के साथ बैठकर भोजन करते थे. साथ ही कृष्ण अपनी लीलाओं से ग्वालबालों को मंत्र-मुग्ध कर देते थे.

भांडीरवन में विकास कार्य
राज्य सरकार द्वारा तीर्थ विकास परिषद द्वारा भांडीरवन में 5 करोड़ की लागत से विकास कार्य कराया गया है. मंदिर में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए छांव में बैठने की व्यवस्था और सौंदर्यीकरण कराया गया.

राधा-कृष्ण का कुदरती हस्त मिलन
मंदिर के पुजारी सोनू पंडित ने बताया कि यह द्वापर युग का वट वृक्ष का पेड़ है. स्वयं ब्रह्मा जी ने राधा रानी और कृष्ण भगवान की शादी बाल अवस्था में कराई थी. यह वृक्ष उसी समय का है, जब द्वापर युग में शादी हुई थी. इस तरह शादी के समय चार खंभे लगाए जाते हैं. यहां 4 पेड़ लगे हुए हैं, जो कुदरती गठजोड़ जैसा बनाते हैं. उसी तरह पेड़ की जड़ें भीं गठजोड़ा बनाती हैं. यहां कुदरती हस्त मिलन भी देखा जा सकता है. राधा कृष्ण एक दूसरे से हाथ मिला रहे हैं.

यहां जो भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, उनकी मन की शांति और सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. यह पवित्र भूमि है, जहां राधा-कृष्ण श्याम सुंदर का विवाह स्वयं ब्रह्मा जी ने बाल अवस्था में संपन्न कराया था.

नंद बिहारी गोस्वामी, महंत

मैं गुजरात से यहां दर्शन करने आया हूं. ब्रह्मा जी ने इस वन के अंदर राधा रानी और भगवान कृष्ण का विवाह संपन्न कराया था. मैंने किताबों में पढ़ा था और इस स्थान के दर्शन करने का अभिलाषी था. जानकारी करने के बाद मैं यहां मथुरा पहुंचा और इस वन के दर्शन किए जहां राधा-कृष्ण का विवाह स्थल बना हुआ है.

इंद्र शर्मा, श्रद्धालु

मथुरा (उत्तर प्रदेश): कृष्ण लीला की जमीन, राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि मथुरा, जहां आज भी कृष्ण लीलाओं के तमाम प्रमाण देखे जाते हैं. उस मथुरा में राधा, कृष्ण की प्रेमिका के तौर पर ही जानी जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान कृष्ण और राधा की शादी भी हुई थी. जी हां! स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी और राधा भगवान कृष्ण की पत्नी भी थीं.

जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट क्षेत्र है, जहां भांडीरवन के नाम से विख्यात स्थान राधा-कृष्ण के प्रेम विवाह के नाम से जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, राधा-कृष्ण की शादी स्वयं ब्रह्मा जी ने कराई थी.

राधा-कृष्ण के प्रेम की भूमि मथुरा

राधा-कृष्ण का विवाह स्थल
जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट सुरीर रोड पर स्थित है राधा-कृष्ण का विवाह स्थल. यहीं है भांडीरवन, जहां प्राचीन काल का वटवृक्ष द्वापर युग से यहां मौजूद है. इस वृक्ष के नीचे स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान कृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी. कहा जाता है कि भांडीरवन में एक वट वृक्ष है. इस वट वृक्ष की जड़ें 10 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं. इसी वट वृक्ष के नीचे ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी का विवाह संपन्न कराया था. भांडीरवन में वटवृक्ष द्वापर युग से ही वहां है. विष्णु पुराण में भी इस वट वृक्ष का जिक्र किया गया है.

भांडीरवन आते हैं श्रद्धालु

भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की कथाएं कई शास्त्र पुराणों में लिखी हुई हैं, लेकिन विवाह के संबंध में मात्र विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है. इस स्थान के दर्शन करने के लिए हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. यहां आकर मन की शांति और नवविवाहित जोड़े भगवान का आशीर्वाद लेते हैं. फिलहाल वैश्विक महामारी के चलते इस मंदिर में इक्का-दुक्का ही श्रद्धालु दर्शन करने आ रहे हैं.

एक ही वट वृक्ष में से राधा-कृष्ण निकले
स्थानीय लोगों के अनुसार, द्वापर युग का यह वट वृक्ष विशाल रूप में फैला हुआ है. यह वट वृक्ष दो रंगों में है. एक सांवला कृष्ण रूपी और दूसरा हिस्सा गोरा राधा रूपी. शादी में जिस तरह वर-वधु को गठजोड़ा पहनाया जाता है, उसी तरह वृक्ष पर जड़ों से गठजोड़ा बना हुआ है.

इस वृक्ष के नीचे ग्वालबालों के साथ कृष्ण करते थे भोजन
मान्यताओं के अनुसार, भांडीरवन में वट वृक्ष के नीचे हर रोज कृष्ण अपने ग्वालबालों के साथ बैठकर भोजन करते थे. साथ ही कृष्ण अपनी लीलाओं से ग्वालबालों को मंत्र-मुग्ध कर देते थे.

भांडीरवन में विकास कार्य
राज्य सरकार द्वारा तीर्थ विकास परिषद द्वारा भांडीरवन में 5 करोड़ की लागत से विकास कार्य कराया गया है. मंदिर में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए छांव में बैठने की व्यवस्था और सौंदर्यीकरण कराया गया.

राधा-कृष्ण का कुदरती हस्त मिलन
मंदिर के पुजारी सोनू पंडित ने बताया कि यह द्वापर युग का वट वृक्ष का पेड़ है. स्वयं ब्रह्मा जी ने राधा रानी और कृष्ण भगवान की शादी बाल अवस्था में कराई थी. यह वृक्ष उसी समय का है, जब द्वापर युग में शादी हुई थी. इस तरह शादी के समय चार खंभे लगाए जाते हैं. यहां 4 पेड़ लगे हुए हैं, जो कुदरती गठजोड़ जैसा बनाते हैं. उसी तरह पेड़ की जड़ें भीं गठजोड़ा बनाती हैं. यहां कुदरती हस्त मिलन भी देखा जा सकता है. राधा कृष्ण एक दूसरे से हाथ मिला रहे हैं.

यहां जो भी श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, उनकी मन की शांति और सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. यह पवित्र भूमि है, जहां राधा-कृष्ण श्याम सुंदर का विवाह स्वयं ब्रह्मा जी ने बाल अवस्था में संपन्न कराया था.

नंद बिहारी गोस्वामी, महंत

मैं गुजरात से यहां दर्शन करने आया हूं. ब्रह्मा जी ने इस वन के अंदर राधा रानी और भगवान कृष्ण का विवाह संपन्न कराया था. मैंने किताबों में पढ़ा था और इस स्थान के दर्शन करने का अभिलाषी था. जानकारी करने के बाद मैं यहां मथुरा पहुंचा और इस वन के दर्शन किए जहां राधा-कृष्ण का विवाह स्थल बना हुआ है.

इंद्र शर्मा, श्रद्धालु

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