अमरावती : एसीबी कोर्ट ने कौशल विकास मामले में पूछताछ के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (former CM Chandrababu Naidu) को दो दिन की सीआईडी हिरासत में भेजने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सीआईडी को चंद्रबाबू नायडू से राजमुंदरी जेल में ही पूछताछ करने का निर्देश दिया है जहां वह अभी बंद हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सीआईडी जांच सुबह 9.30 बजे से शाम 5 बजे तक होनी चाहिए. आदेश में साफ किया गया कि जांच के वीडियो और फोटो जारी नहीं किए जाने चाहिए. इसके अलावा कोर्ट ने सीआईडी से उन अफसरों के नाम सौंपने को कहा जो उनसे पूछताछ करेंगे. एसीबी कोर्ट के जज ने दो दिन हिरासत के बाद सीआईडी को चंद्रबाबू नायडू को रविवा को फिर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया.
इस मौके पर चंद्रबाबू ने जज को अपना दर्द और पीड़ा बताई. उन्होंने दावा किया कि उन्हें जेल में रखा जा रहा है इस वजह से मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चंद्रबाबू ने अपने अधिकारों और न्याय की रक्षा करने की मांग करते हुए कहा कि उनका 45 साल का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा किया गया विकास तेलुगु राज्यों में दिखेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें इस उम्र में बड़ी सजा दी गई है. चंद्रबाबू ने जज से कहा कि उनके खिलाफ सिर्फ आरोप हैं, उनकी पुष्टि नहीं हुई है. कानून के सामने सब कुछ बराबर है. वह कानून का सम्मान करेंगे और न्याय की जीत होगी.
बाद में जज ने चंद्रबाबू से बात की. जज ने कहा कि वह पुलिस हिरासत में नहीं हैं और उन्हें न्यायिक हिरासत में होने के कारण सजा नहीं माना जाना चाहिए. आपके पर सिर्फ आरोप हैं. जज ने कहा कि कोई दोषसिद्धि नहीं हुई और कानून और नियमों के अनुसार रिमांड पर भेज दिया गया. उन्होंने पूछा कि क्या जेल में सुविधाओं को लेकर कोई दिक्कत है? यदि सुविधाओं की जरूरत होगी तो उसके अनुसार ऑर्डर दिया जाएगा. जज ने कहा कि वह इस महीने की 24 तारीख तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे. सीआईडी आपको हिरासत देने के लिए कह रही है और आपके वकीलों ने तर्क दिया है कि हिरासत आवश्यक नहीं है. जज ने कहा कि कानून के समक्ष सभी समान हैं.
हाईकोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू की याचिका की खारिज
वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कौशल विकास मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और उनकी न्यायिक हिरासत को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी. याचिका में मुख्य रूप से निचली अदालत द्वारा दी गई गिरफ्तारी और रिमांड को निलंबित करने की मांग की गई थी. इस पर कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, उसी पर शुक्रवार को फैसला सुनाया.चंद्रबाबू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे और सिद्धार्थ लूथरा ने जोरदार दलील दी कि धारा 17ए का पालन नहीं किया गया और उन पर लगाई गई धारा 409 अमान्य है. कोर्ट में कहा गया कि सीआईडी ने इस मामले में ठीक से जांच नहीं की और कोई सबूत नहीं मिला. वहीं सीआईडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं. उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्यपाल से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी पूरी जांच होनी बाकी है. वहीं दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने चंद्रबाबू की याचिका खारिज कर दी.