चंडीगढ़: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे आम आदमी पार्टी की हरियाणा में सक्रियता बढ़ती नजर आ रही है. जो काम हरियाणा में करीब दस साल से कांग्रेस नहीं कर पाई. वो आम आदमी पार्टी ने कर दिया है. दरअसल आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में संगठन बना लिया है. हरियाणा के भिवानी जिले से इसका आगाज भी जोरदार तरीके से पार्टी ने किया है. जहां पर आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण करवाया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भिवानी में करीब 1500 से ज्यादा पार्टी के नवनियुक्त पार्टी कार्यकर्ताओं को शपथ दिलाई. इस मौके पर हरियाणा चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक तंवर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा और राष्ट्रीय सह सचिव मौजूद रहे. भिवानी भी एनसीआर क्षेत्र में आता है. ऐसे में एनसीआर क्षेत्र में पार्टी का प्रभाव और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
दिल्ली एनसीआर में हरियाणा के 14 जिले: हरियाणा के करीब 14 जिले एनसीआर क्षेत्र में आते हैं. जिनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत, रोहतक, भिवानी और पानीपत जैसे बड़े जिले शामिल हैं. इन जिलों में आम आदमी पार्टी काफी लंबे समय से अपनी सक्रियता को भी बढ़ा रही है. इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट पर भी पार्टी का बड़ा जोर है. यानी पार्टी जीटी रोड बेल्ट और एनसीआर के क्षेत्र को खास तौर पर टारगेट कर रही है.
निगम चुनाव बड़ी चुनौती: दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद में कभी भी निगम चुनाव का बिगुल बज सकता है. गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम में करीब डेढ़ साल से चुनाव लंबित है. इन नगर निगम निगमों वार्ड बंदी का काम चल रहा है. इसी वजह से अभी तक यहां पर नगर निगम चुनाव नहीं हो पाए हैं. अगर आप पार्टी गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो इसका फायदा वो विधानसभा चुनाव में भी उठाने की कोशिश करेगी.
आप पार्टी का इन मुद्दों पर फोकस: दिल्ली, पंजाब की तरह ही हरियाणा में भी पार्टी का वैसे तो मुख्य फोकस बिजली को लेकर ही है. जिसके दम पर पार्टी दिल्ली के साथ ही पंजाब में भी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. बिजली को लेकर आम आदमी पार्टी के तमाम नेता प्रदेश के विभिन्न जिलों में यात्रा भी निकाल चुके हैं. इस मुद्दे को भुनाने के लिए वो लगातार जनता के बीच भी जा रहे हैं. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे पर भी पार्टी फोकस कर रही है.
क्या है आम आदमी पार्टी का हरियाणा में टारगेट? हरियाणा आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि किसी भी पार्टी की राजनीतिक लड़ाई में उसका संगठन अहम होता है. वही पार्टी मजबूती के साथ लड़ सकती है. जिसके पास मजबूत संगठन हो. अगले दो-तीन महीने में हरियाणा में सबसे बड़ी सेना आम आदमी पार्टी की होगी. पार्टी का लक्ष्य प्रदेश की 10 की 10 लोकसभा और 90 की 90 विधानसभा सीटें हैं.
क्या कहती है बीजेपी? बीजेपी सरकार के मीडिया सचिव ने कहा कि आम आदमी पार्टी भले ही कितने भी प्रयास कर ले, उसकी हरियाणा में दाल गलने वाली नहीं है. उन्होंने कहा कि साल 2014-2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हरियाणा में उतरी थी. तब उनके तमाम नेताओं की जमानत जब्त हो गई थी. उन्होंने कहा कि जहां तक बात एनसीआर क्षेत्र की है, तो वहां भी आम आदमी पार्टी के नेताओं की जमानत जब्त हुई थी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो ये मुफ्त का राग अलापते हैं, उसका हरियाणा में कोई भी असर देखने को नहीं मिला था. हरियाणा की जमीन से ही श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था और कर्म को ही प्रधान बताया था, इसलिए आम आदमी पार्टी हरियाणा के लोगों को मुफ्त वाला प्रचार दिखाकर उसकी पहचान, कर्म प्रधानता को नहीं डगमगा सकती. इसलिए आम आदमी पार्टी की यहां कोई दाल गलने वाली नहीं है.
क्या कहते हैं कांग्रेस के प्रवक्ता? आम आदमी पार्टी को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कोई वजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. कांग्रेस पार्टी इस बार हरियाणा की सत्ता में वापसी करेगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार? इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली मॉडल के सहारे पंजाब में सत्ता में आने में कामयाब हुई, लेकिन हरियाणा में 2014 के चुनाव रहे हो या फिर 2019 के, इनमें पार्टी कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई थी. जहां तक बात एनसीआर क्षेत्र की है, तो वहां भी इन दोनों चुनाव में पार्टी का कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिला था.
उन्होंने कहा कि तब आप पार्टी के पास बड़ा संगठन और कोई बड़ा चेहरा भी नहीं था कि वो हरियाणा में कोई बड़ा प्रभाव डाल सके. अब पार्टी का संगठन भी लगातार मजबूत होता जा रहा है. कई बड़े नेता भी पार्टी से जुड़े हैं. ऐसे में आने वाले नगर निगम चुनाव हो या लोकसभा और विधानसभा चुनाव, इन में पार्टी पिछले चुनावों के मुकाबले बेहतर परफॉर्म कर सकती है.